जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कृषि भूमि और सड़कों के किनारे डम्पिंग की गई ग्रेनाइट स्लरी को एक माह में हटाने के आदेश दिये हैं.
अधिसूचित डम्पिंग यार्ड के अलावा अन्य स्थानों पर ग्रेनाइट स्लरी को डम्प करने पर भी हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढा व न्यायाधीश मनोज कुमार गर्ग की खंडपीठ ने ग्रीन एंड क्लीन एवेस लैंड संस्थान की ओर से लालसिंह की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया.
अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने याचिका दायर करते हुए बताया कि जालोर में ग्रेनाइट की करीब 1000 फैक्ट्रियां हैं, जिनसे वेस्ट के रूप में स्लरी निकलती है. स्लरी को सार्वजनिक स्थान, कृषि भूमि, सड़क के किनारे डम्प किया जा रहा है. पिछले दस साल से स्थानीय लोगों ने इस बारे में कई बार जिला प्रशासन एवं रिको से लिखित शिकायत की. लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला.
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स्लरी आमजन के स्वास्थ्य के लिए भी घातक है. ऐसे में स्लरी को डम्प करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी. न्यायालय के समक्ष रिको की ओर से एवं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास की ओर से जवाब के लिए चार सप्ताह का समय देने का अनुरोध किया गया.
न्यायालय ने अगली सुनवाई 25 अक्टूबर को मुकरर्र की है. साथ ही आदेश दिया है कि अधिसूचित डम्पिंग यार्ड के अलावा कहीं पर भी स्लरी नहीं डाली जाये. यदि कहीं पर स्लरी डाली गई है तो उसे एक माह में हटा दिया जाये.