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Rajasthan High Court Order : पत्नी सिलाई से कमा रही है, फिर भी देना होगा भरण-पोषण

राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ ने पत्नी व बच्चों के भरण-पोषण से जुड़ी रिवीजन याचिका पर अहम आदेश दिया है कि पत्नी के पास आय का स्त्रोत होने पर भी (Rajasthan High Court Order) पति को भरण-पोषण देना होगा. जानें क्या है पूरा मामला...

Rajasthan High Court
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Jun 14, 2022, 9:37 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाया. एक रिवीजन याचिका पर अहम आदेश देते हुए जोधपुर मुख्यपीठ कहा कि पत्नी के पास आय का स्त्रोत होने पर भी पति को भरण-पोषण देना होगा. हाईकोर्ट ने कहा कि पति जो एक वेल्डर है, लगभग एक कुशल कामगार की तरह है और इस प्रकार यह नहीं माना जा सकता है कि वह याचिकाकर्ता-पत्नी को बनाए रखने के लिए (Rajasthan High Court Big Decision) पर्याप्त कमाई नहीं कर रहा है.

अदालत ने यह भी कहा कि भले ही याचिकाकर्ता-पत्नी घरेलू रूप से कपड़े सिल रही हो और उसके पास कुछ आय का स्रोत हो, तो भी पति अपने दो बच्चों के साथ पत्नी को भरण-पोषण का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है. जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की अदालत में याचिकाकर्ता पत्नी सर्वजीत कौर की ओर से अधिवक्ता कुलदीप शर्मा ने एक रिवीजन याचिका पेश की, जिसमें बताया कि पारिवारिक न्यायालय ने भरण-पोषण के तहत दोनों बच्चों के लिए तीन-तीन हजार रुपये अदा करने के निर्देश दिये थे. लेकिन पत्नी को कुछ नहीं दिया गया.

पढ़ें : Rajasthan High Court: हाईकोर्ट के प्रत्येक न्यायाधीश पर 23 हजार 665 मुकदमों का बोझ, 50 फीसदी पद अभी भी खाली

हाईकोर्ट ने रिवीजन याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि भले ही याचिकाकर्ता-पत्नी घरेलू रूप से कपड़े सिल रही हो, फिर भी वह भरण-पोषण पाने की हकदार है. पारिवारिक न्यायालय ने याचिकाकर्ता पत्नी को भरण-पोषण नहीं दिया, क्योंकि वह सिलाई का काम जानती थी और घरेलू स्तर पर महिलाओं के लिए कपड़े सिलती थी. लेकिन कोर्ट ने माना कि प्रतिवादी पति वेल्डर है जो एक कुशल कामगार की तरह है. ऐसे में बच्चों व पत्नी को भरण-पोषण देना होगा.

कोर्ट को बताया गया कि आदेश पारित होने के बाद भी आज तक बच्चों को भरण-पोषण की राशि अदा नहीं की गई है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता-पत्नी को भी प्रारंभिक आवेदन दाखिल करने की तारीख से तीन हजार रुपये की मासिक भरण-पोषण का भुगतान किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि बच्चों को पहले दिए गए पारिवारिक न्यायालय के आदेश के अनुसार ही मासिक भरण-पोषण दिया जाएगा.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसला सुनाया. एक रिवीजन याचिका पर अहम आदेश देते हुए जोधपुर मुख्यपीठ कहा कि पत्नी के पास आय का स्त्रोत होने पर भी पति को भरण-पोषण देना होगा. हाईकोर्ट ने कहा कि पति जो एक वेल्डर है, लगभग एक कुशल कामगार की तरह है और इस प्रकार यह नहीं माना जा सकता है कि वह याचिकाकर्ता-पत्नी को बनाए रखने के लिए (Rajasthan High Court Big Decision) पर्याप्त कमाई नहीं कर रहा है.

अदालत ने यह भी कहा कि भले ही याचिकाकर्ता-पत्नी घरेलू रूप से कपड़े सिल रही हो और उसके पास कुछ आय का स्रोत हो, तो भी पति अपने दो बच्चों के साथ पत्नी को भरण-पोषण का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है. जस्टिस डॉ. पुष्पेन्द्र सिंह भाटी की अदालत में याचिकाकर्ता पत्नी सर्वजीत कौर की ओर से अधिवक्ता कुलदीप शर्मा ने एक रिवीजन याचिका पेश की, जिसमें बताया कि पारिवारिक न्यायालय ने भरण-पोषण के तहत दोनों बच्चों के लिए तीन-तीन हजार रुपये अदा करने के निर्देश दिये थे. लेकिन पत्नी को कुछ नहीं दिया गया.

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हाईकोर्ट ने रिवीजन याचिका पर सुनवाई के बाद कहा कि भले ही याचिकाकर्ता-पत्नी घरेलू रूप से कपड़े सिल रही हो, फिर भी वह भरण-पोषण पाने की हकदार है. पारिवारिक न्यायालय ने याचिकाकर्ता पत्नी को भरण-पोषण नहीं दिया, क्योंकि वह सिलाई का काम जानती थी और घरेलू स्तर पर महिलाओं के लिए कपड़े सिलती थी. लेकिन कोर्ट ने माना कि प्रतिवादी पति वेल्डर है जो एक कुशल कामगार की तरह है. ऐसे में बच्चों व पत्नी को भरण-पोषण देना होगा.

कोर्ट को बताया गया कि आदेश पारित होने के बाद भी आज तक बच्चों को भरण-पोषण की राशि अदा नहीं की गई है. कोर्ट ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता-पत्नी को भी प्रारंभिक आवेदन दाखिल करने की तारीख से तीन हजार रुपये की मासिक भरण-पोषण का भुगतान किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि बच्चों को पहले दिए गए पारिवारिक न्यायालय के आदेश के अनुसार ही मासिक भरण-पोषण दिया जाएगा.

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