जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर मुख्यपीठ ने एक विशेष अपील को खारिज करते हुए महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है कि भाषा अध्यापक के लिए स्नातक स्तर पर भी विषय का अध्ययन होना आवश्यक है. वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा व न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने प्रदीप जांगिड़ की ओर से एकलपीठ के आदेश के खिलाफ पेश विशेष अपील पर सुनवाई के बाद खारिज कर दिया.
अपीलकर्ता की ओर से बताया गया कि निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा राजस्थान की ओर से 31 जुलाई 2018 को तृतीय श्रेणी अध्यापक लेवल द्वितीय अंग्रेजी विषय के लिए आवेदन किया था. उसने स्नातक विज्ञान वर्ग से उत्तीर्ण किया था, लेकिन एमए अंग्रेजी विषय में उत्तीर्ण किया था. ऐसे में उसने अंग्रेजी अध्यापक के लिए आवेदन किया, लेकिन उसे विभाग ने यह कहते हुये योग्य नहीं माना कि उसने स्नातक स्तर पर अंग्रेजी विषय नही था. जिसके खिलाफ उसने एकलपीठ के समक्ष याचिका पेश की थी.
याचिका में बताया कि जब उसने एमए कर रखा है तो स्नातक स्तर पर अंग्रेजी होना आवश्यक नहीं है, क्योंकि मास्टर डिग्री अंग्रेजी में है. ऐसे में भाषा अध्यापक पद पर वह योग्य है. एकलपीठ ने याचिका पर सुनवाई के बाद 28 अगस्त 2019 को निर्णय पारित करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था. जिसके खिलाफ खंडपीठ के समक्ष विशेष अपील पेश की गई.
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खंडपीठ के समक्ष अपील में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास एवं एनसीईटी की ओर से अधिवक्ता विवेक श्रीमाली ने पक्ष रखते हुए बताया कि भाषा अध्यापक के लिए स्नातक स्तर पर भाषा विषय के रूप में अध्ययन आवश्यक है. अपीलकर्ता ने स्नातक विज्ञान वर्ग से उत्तीर्ण करने के बाद मास्टर डिग्री अंग्रेजी विषय में उत्तीर्ण की है. ऐसे में भाषा अध्यापक के लिए योग्य नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक दृष्टान्त भी पेश किए. खंडपीठ ने सुनवाई के बाद आदेश पारित करते हुए माना कि भाषा अध्यापक के लिए मास्टर डिग्री के साथ स्नातक स्तर पर भी अंग्रेजी विषय का अध्ययन आवश्यक था. विशेष अपील को न्यायालय ने खारिज कर दिया.