जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल को लेकर अहम फैसला देते हुए राज्य सरकार की ओर से एकलपीठ के आदेश के विरुद्ध् पेश विशेष अपील को निस्तारित करते हुए एकलपीठ के आदेश को यथावत रखा है. कोर्ट ने कहा कि ग्राम पिलवा स्थित हिन्दी माध्यम स्कूल को संचालित किया (Court on converting a Hindi school to English medium) जाएगा. यदि अंग्रेजी माध्यम से संचालित करना है, तो दूसरी पारी में संचालित किया जाए.
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि हिन्दी माध्यम स्कूल को लगातार संचालित किया जाएगा और जो भी हिन्दी माध्यम में प्रवेश लेना चाहते हैं उनको 15 दिन में प्रवेश दिया जाएगा. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश कुलदीप माथुर की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार की ओर से स्कूल विकास प्रबंधन समिति, श्री हरी सिंह सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पिलवा पंचायत समिति देचू के पक्ष में पारित आदेश को चुनौती दी गई थी. एएजी पंकज शर्मा ने कहा कि सरकार ने किसी पर दबाव नहीं बनाया है. जो भी अंग्रेजी में प्रवेश लेना चाहते हैं, उनको ही प्रवेश दिया जा रहा है.
जबकि प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित ने कहा कि गांव में एक मात्र विद्यालय है, जो कि हिन्दी माध्यम से संचालित है. आसपास दूसरा विद्यालय नहीं है. जबकि सरकार उसको महात्मा गांधी अंग्रेजी विद्यालय में बदल रही है. जिससे हिन्दी माध्यम के छात्र मात्रा भाषा में शिक्षा से वंचित हो जाऐंगे. कोर्ट ने विशेष अपील को निस्तारित करते हुए कहा कि रिकार्ड पर जो डाटा रखा गया है एवं शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 को देखते हुए आसपास दूसरा हिन्दी विद्यालय नहीं होने से श्री हरी सिंह सीनियर सेकेंडरी स्कूल को अंग्रेजी माध्यम में नहीं बदला जाए. यदि अंग्रेजी माध्यम से संचालित करना है, तो दूसरी पारी में किया जा सकता है. जो भी हिन्दी माध्यम में प्रवेश लेकर पढ़ना चाहते हैं, उनको 15 दिन में प्रवेश दिया जाए.
क्या कहा था एकलपीठ ने: राज्य सरकार की ओर से हिन्दी माध्यम के स्कूल की बजाय महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम में बदलने पर स्कूल विकास प्रबंधन समिति, श्री हरी सिंह सीनियर सेकेंडरी स्कूल की ओर से एकलपीठ में चुनौती दी गई थी. एकलपीठ के जस्टिस दिनेश मेहता ने विस्तृत आदेश पारित किया था. जिसमें कहा गया था कि अंग्रेजी माध्यम की स्कीम ही अवैधानिक और संविधान व शिक्षा के अधिकार अधिनियम के विपरीत है. राज्य सरकार राष्ट्रपति की अनुमति के बिना शिक्षा का माध्यम नहीं बदल सकती है. कोर्ट ने यह भी कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत बच्चे की प्रारम्भिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में होनी चाहिए.