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शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक भर्ती-2018 याचिका के अधीन रखने के निर्देश

राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरुवार को शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक भर्ती 2018 की नियुक्तियों के संबंध में सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एजुकेशन डिपार्टमेंट ऑफ राजस्थान सहित अन्य के खिलाफ नोटिस जारी किया है.

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शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक भर्ती 2018 मामला
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Published : Jun 11, 2020, 9:39 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में डॉ. जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी की अदालत ने शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक भर्ती 2018 की नियुक्तियों को एक याचिका के निस्तारण के तहत रखने के निर्देश दिए हैं. साथ ही एजुकेशन डिपार्टमेंट ऑफ राजस्थान, जयपुर सहित चेयरमैन और सचिव राजस्थान सब-ऑर्डिनेट एंड मिनिस्ट्रियल सर्विस सेलेक्शन बोर्ड, जयपुर को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब-तलब किया है.

शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक भर्ती 2018 मामला

मामले के अनुसार बांसवाड़ा निवासी कालू सिंह, अनिता सरेल, नारायण लाल और अंजना की ओर से VC पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता ऋतुराज सिंह ने न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने सिंघानिया विश्वविद्यालय से शारीरिक शिक्षा में स्नातक किया था. उसके पश्चात शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक भर्ती 2018 में आवेदन किया, जिसमें सभी ने अपनी श्रेणी की कट ऑफ से ज्यादा अंक अर्जित किए.

विभाग द्वारा याचिकाकर्ताओं का नाम अस्थाई सूची में यह कहते हुए डाल दिया गया कि याचिकाकर्ताओं की डिग्री की NCTE से मान्यता की जांच की जानी है, जबकि दूसरी और विभाग द्वारा भर्ती प्रक्रिया जारी रखते हुए चार चयन सूचियां जारी कर दी गईं. जबकि याचिकाकर्ताओं की डिग्री की मान्यता जांच के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिससे सारे पद भर जाने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.

यह भी पढ़ेंः गौशालाओं को अनुदान जारी करने के मामले में सरकार दो सप्ताह में निस्तारण करे: HC

अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि अधिनियम द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय की डिग्री स्वतः ही मान्यता प्राप्त कहलाती है. इसलिए अलग से किसी संस्था से मान्यता की जरूरत नहीं होती है. सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बाड़ी (झुंझनू) अधिनियम 2008 द्वारा स्थापित किया गया है. इसलिए एनसीटीई से मान्यता की जरूरत है ही नहीं.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में डॉ. जस्टिस पुष्पेंद्र सिंह भाटी की अदालत ने शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक भर्ती 2018 की नियुक्तियों को एक याचिका के निस्तारण के तहत रखने के निर्देश दिए हैं. साथ ही एजुकेशन डिपार्टमेंट ऑफ राजस्थान, जयपुर सहित चेयरमैन और सचिव राजस्थान सब-ऑर्डिनेट एंड मिनिस्ट्रियल सर्विस सेलेक्शन बोर्ड, जयपुर को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब-तलब किया है.

शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक भर्ती 2018 मामला

मामले के अनुसार बांसवाड़ा निवासी कालू सिंह, अनिता सरेल, नारायण लाल और अंजना की ओर से VC पर पैरवी करते हुए अधिवक्ता ऋतुराज सिंह ने न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ताओं ने सिंघानिया विश्वविद्यालय से शारीरिक शिक्षा में स्नातक किया था. उसके पश्चात शारीरिक प्रशिक्षण अनुदेशक भर्ती 2018 में आवेदन किया, जिसमें सभी ने अपनी श्रेणी की कट ऑफ से ज्यादा अंक अर्जित किए.

विभाग द्वारा याचिकाकर्ताओं का नाम अस्थाई सूची में यह कहते हुए डाल दिया गया कि याचिकाकर्ताओं की डिग्री की NCTE से मान्यता की जांच की जानी है, जबकि दूसरी और विभाग द्वारा भर्ती प्रक्रिया जारी रखते हुए चार चयन सूचियां जारी कर दी गईं. जबकि याचिकाकर्ताओं की डिग्री की मान्यता जांच के संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की गई, जिससे सारे पद भर जाने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है.

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अधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि अधिनियम द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय की डिग्री स्वतः ही मान्यता प्राप्त कहलाती है. इसलिए अलग से किसी संस्था से मान्यता की जरूरत नहीं होती है. सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बाड़ी (झुंझनू) अधिनियम 2008 द्वारा स्थापित किया गया है. इसलिए एनसीटीई से मान्यता की जरूरत है ही नहीं.

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