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आपराधिक मामले में सह आरोपी को जमानत मिलने पर दूसरे सह आरोपी को भी मिलेगा लाभ : HC - decision in barmer case

हाईकोर्ट ने बाड़मेर के एक आपराधिक मामले में सुनवाई करते हुए आदेश में कहा है कि अब से प्रदेश की समस्त सेशन न्यायालय को उच्च न्यायालय द्वारा सह आरोपी को जमानत दिये जाने के बाद उसी मामले में अन्य सभी सह आरोपियों को जमानत देनी होगी, जब तक असाधारण /अलग-अलग विशेषताएं मौजूद नहीं होती हैं.

barmer crime case
आपराधिक मामले में सुनवाई
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Published : Jan 27, 2021, 9:57 PM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने बाड़मेर के एक आपराधिक मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी को जमानत मंजूर कर ली. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता की अदालत में खेत सिंह व कल्याण सिंह की ओर से अधिवक्ता अभिषेक शर्मा ने जमानत याचिका पेश की थी. अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष बताया कि मामले में सह अभियुक्त स्वरूप सिंह की जमानत उच्च न्यायालय से हो चुकी है, जबकि खेत सिंह व कल्याण सिंह की जमानत को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है.

न्यायालय ने दोनों की जमानत को स्वीकार करते हुए अपने आदेश में कहा है कि अब से प्रदेश की समस्त सेशन न्यायालय को उच्च न्यायालय द्वारा सह आरोपी को जमानत दिये जाने के बाद उसी मामले में अन्य सभी सह आरोपियों को जमानत देनी होगी, जब तक असाधारण /अलग-अलग विशेषताएं मौजूद नहीं होती हैं. उन मामलों में जमानत स्वीकार करनी होगी, अन्यथा जमानत स्वीकार नहीं करने पर जमानत अर्जी खारिज करने की वजह लिखनी होगी.

पढ़ें : बिजली चोरी पर लगाम लगाने की कवायद...VCR राशि के विवादों के निस्तारण के लिए समितियों का हुआ गठन

उच्च न्यायालय का मानना है कि ऐसा करने से जहां कागजी कार्रवाई एवं मामलों की बढ़ोतरी में कमी हो सकेगी. उच्च न्यायालय का मामना है कि एक ही मामले में अन्य सह आरोपी को उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद दूसरे को नहीं मिलने से यह अभियुक्त की हिरासत को भी बढ़ाने जैसा है.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने बाड़मेर के एक आपराधिक मामले में सुनवाई करते हुए आरोपी को जमानत मंजूर कर ली. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता की अदालत में खेत सिंह व कल्याण सिंह की ओर से अधिवक्ता अभिषेक शर्मा ने जमानत याचिका पेश की थी. अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष बताया कि मामले में सह अभियुक्त स्वरूप सिंह की जमानत उच्च न्यायालय से हो चुकी है, जबकि खेत सिंह व कल्याण सिंह की जमानत को अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है.

न्यायालय ने दोनों की जमानत को स्वीकार करते हुए अपने आदेश में कहा है कि अब से प्रदेश की समस्त सेशन न्यायालय को उच्च न्यायालय द्वारा सह आरोपी को जमानत दिये जाने के बाद उसी मामले में अन्य सभी सह आरोपियों को जमानत देनी होगी, जब तक असाधारण /अलग-अलग विशेषताएं मौजूद नहीं होती हैं. उन मामलों में जमानत स्वीकार करनी होगी, अन्यथा जमानत स्वीकार नहीं करने पर जमानत अर्जी खारिज करने की वजह लिखनी होगी.

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उच्च न्यायालय का मानना है कि ऐसा करने से जहां कागजी कार्रवाई एवं मामलों की बढ़ोतरी में कमी हो सकेगी. उच्च न्यायालय का मामना है कि एक ही मामले में अन्य सह आरोपी को उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद दूसरे को नहीं मिलने से यह अभियुक्त की हिरासत को भी बढ़ाने जैसा है.

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