जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए माना कि घरेलु हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 2 ए के अनुसार पीड़ित व्यक्ति में एक विदेशी नागरिक सहित कोई भी महिला शामिल होगी, जो कि घरेलू हिंसा के अधीन है. ऐसी महिला 2005 के अधिनियम की धारा 12 की सुरक्षा पाने की बहुत हकदार है.
न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता विदेशी नागरिक रोबर्टो निएड्डू की ओर से पेश याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने माना कि विदेशी महिला यदि भारत में रही है तो यहां क्षेत्राधिकार बनता है. याचिकाकर्ता की पत्नि कैथरीन नीएड्डू ने घरेलू हिंसा (domestic violence) से महिलाओं के संरक्षण अधिनियम की धारा 12 के तहत अपने पति रोबर्टो निएड्डू के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके खिलाफ रोबर्टो निएड्डू ने शिकायत के क्षेत्राधिकार को लेकर निचली अदालत के समक्ष आवेदन किया था लेकिन उसे खारिज कर दिया गया.
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निचली अदालत के खिलाफ अपीलीय न्यायालय के समक्ष अपील दायर कर याचिकाकर्ता ने आदेश का विरोध किया. जिसे अपीलीय न्यायालय ने 05 अगस्त 2021 को खारिज कर दिया. याचिकाकर्ता ने दोनों आदेशों के खिलाफ राजस्थान उच्च न्यायालय में याचिका पेश कर दी. याचिकाकर्ता ने अपने अधिवक्ता के जरिए तर्क प्रस्तुत किया कि प्रतिवादी संख्या दो कैथरीन नीएड्डू की शिकायत घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 की धारा 12 के तहत निचली अदालत के समक्ष सुनवाई योग्य नहीं थी क्योंकि याचिकाकर्ता और प्रतिवादी संख्या दो दोनों ही भारतीय नागरिक नहीं है और अधिनियम 2005 के अधिकार क्षेत्र के लिए उत्तरदायी नहीं है.
वहीं प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य व सरकार की ओर से अधिवक्ता एस के भाटी ने तर्क पेश किए. जिसके बाद न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि विदेशी मूल की महिला घरेलू हिंसा की धारा 12 के तहत अपने आवेदन को बनाए रख सकती है क्योंकि ऐसी महिला अधिनियम की धारा-2ए के अनुसार पीड़ित व्यक्ति की परिभाषा के दायरे में आती है. याचिकाकर्ता की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया.