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जोधपुर: भूमि अधिग्रहण के 35 साल बाद रेलवे ने शुरू किया निर्माण कार्य, उच्च न्यायालय ने निर्माण पर लगाई अंतरिम रोक

जोधपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय न्यायाधीश संदीप मेहता की अदालत ने एक याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए रेलवे की ओर से किए जा रहे निर्माण पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता इंद्रजीत सिंह सेठी की ओर से अधिवक्ता संजीत पुरोहित ने याचिका पेश करते हुए पक्ष रखा है.

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Published : Nov 7, 2020, 7:22 PM IST

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मि अधिग्रहण के 35 साल बाद रेलवे ने शुरू किया निर्माण कार्य

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संदीप मेहता की अदालत ने एक याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए रेलवे की ओर से किए जा रहे निर्माण पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता इंद्रजीत सिंह सेठी की ओर से अधिवक्ता संजीत पुरोहित ने याचिका पेश करते हुए पक्ष रखा.

याचिका में बताया गया कि चित्तौडगढ़ में रेलवे की तरफ से कुछ खातेदारों की भूमि का अधिग्रहण करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था. जिसके बदले मुआवजा दिया गया लेकिन भूमि का उपयोग नहीं होने पर रेलवे ने बाद में एक सूचना द्वारा कहा कि जो भी खातेदार चाहे तो अधिग्रहण में प्राप्त मुआवजे को वापस जमा करवाकर भूमि वापस ले सकते हैं.

पढ़: उच्च शिक्षा सचिव, RPSC के सचिव, यूजीसी के सचिव और कमिश्नर कॉलेज शिक्षा को नोटिस जारी...

इसी बीच 1995 में उच्च न्यायालय की ओर से एक याचिका में निर्धारित किया गया कि रेलवे का नोटिफिकेशन वैधानिक नहीं था. ऐसे में सभी को जमीने वापस प्राप्त होनी थी लेकिन रेलवे ने हाल ही में 35 साल बाद सितंबर 2020 में उन जमीनों पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मेहता ने प्रारंभिक सुनवाई करते हुए रेलवे के अधिवक्ता कमल दवे के नाम नोटिस जारी किया. वहीं रेलवे की ओर से किए जा रहे निर्माण पर अंतरिम रोक लगा दी है.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संदीप मेहता की अदालत ने एक याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए रेलवे की ओर से किए जा रहे निर्माण पर रोक लगाते हुए नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. याचिकाकर्ता इंद्रजीत सिंह सेठी की ओर से अधिवक्ता संजीत पुरोहित ने याचिका पेश करते हुए पक्ष रखा.

याचिका में बताया गया कि चित्तौडगढ़ में रेलवे की तरफ से कुछ खातेदारों की भूमि का अधिग्रहण करने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था. जिसके बदले मुआवजा दिया गया लेकिन भूमि का उपयोग नहीं होने पर रेलवे ने बाद में एक सूचना द्वारा कहा कि जो भी खातेदार चाहे तो अधिग्रहण में प्राप्त मुआवजे को वापस जमा करवाकर भूमि वापस ले सकते हैं.

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इसी बीच 1995 में उच्च न्यायालय की ओर से एक याचिका में निर्धारित किया गया कि रेलवे का नोटिफिकेशन वैधानिक नहीं था. ऐसे में सभी को जमीने वापस प्राप्त होनी थी लेकिन रेलवे ने हाल ही में 35 साल बाद सितंबर 2020 में उन जमीनों पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश मेहता ने प्रारंभिक सुनवाई करते हुए रेलवे के अधिवक्ता कमल दवे के नाम नोटिस जारी किया. वहीं रेलवे की ओर से किए जा रहे निर्माण पर अंतरिम रोक लगा दी है.

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