जोधपुर. राफेल-सुखोई के डबल पावर से अब दुश्मन देश थर-थर कांप उठेंगे. दोनों की जोड़ी दुश्मन का मिनटों में सफाया करने की ताकत रखती है. राफेल खरीदने की बात शुरू हुई, तो उसी समय कहा जाने लगा था कि सुखोई के साथ अगर राफेल आ जाए तो भारतीय वायुसेना और मजबूत हो जाएगी. लेकिन, लंबे इंतजार के बाद गत वर्ष भारतीय वायुसेना के बेडे में राफेल शामिल हो गए. इसके बाद जो कहा जाता था, वह सही भी साबित हो रहा है. देखें ये खास रिपोर्ट...
राफेल उडाने वाले भारतीय पायलट और अधिकारी कहते हैं कि दोनों विमानों के आने से हम मजबूत हुए हैं. अब किसी भी परिस्थिति में कहीं पर भी नतीजे हमारे पक्ष में ले सकते हैं. रूस में निर्मित लडाकू जहाज सुखोई, जिसे सु-30 भी कहा जाता है. यह लडाकू जहाजों की चौथी पीढ़ी है. जबकि, राफेल 4.5 पीढ़ी का जहाज है. जिसे चीन के 5वीं पीढ़ी के जहाजों से भी उन्नत कहा जाता है.
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हम किसी से कम नहीं...
भारतीय वायुसेना में सुखोई को राफेल का साथ मिलने से कहा जाने लगा है कि कोरम पूरा हो गया है. यानी कि दोनों लड़ाकू विमानों के दम पर हम किसी से कम नहीं की स्थिति में है. सैन्य जानकारों का भी कहना है कि राफेल के आने से वायु शक्ति में इजाफा हुआ है. क्योंकि, चीन अपने जिस जे-20 को 5वीं पीढ़ी का जहाज कहता है, राफेल में उससे उन्नत तकनीकी का दावा किया जा रहा है.
पाकिस्तान खाली हाथ...
पाकिस्तान के पास अभी सुखोई व राफेल दोनों ही नहीं है. जोधपुर एयरबस पर चल रहे युद्धाभ्यास डेजर्ट नाईट 21 में दोनों देशों की सेनाओं ने इन दोनों लड़ाकू विमानों की तकनीकी दक्षता परखी है. सुखोई विमान भारतीय वायुसेना की बैक बोन है, जिसे अब अत्याधुनिक राफेल का साथ मिला है. वायुसेना के पायलट जो राफेल व सुखोई दोनों उडा चुके हैं, उनका कहना है कि दोनों का कोई मुकाबला नहीं है. जब दोनों साथ होते हैं, तो नतीजे हमेशा हमारे पक्ष में ही होंगे.
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अगले साल बढ़ेगी संख्या...
रूस ने सुखोई निर्माण 1990 में शुरू किया था. जबकि, राफेल को निर्माण फ्रांस में 1986 में शुरू हुआ. भारत की पहले निर्भरता रूस से ही थी, तो बड़ी संख्या में रूस से सुखोई खरीदे गए. वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 230 सुखोई लड़ाकू जहाज है. जबकि, राफेल अभी 8 है, जो अगले साल तक 36 होंगे. हालांकि, राफेल बनाने वाली ही दसाॅल्ट के निर्मित भारत में मिराज-2000 भी है. जिन्हें अब नई तकनीक के साथ अपडेट किया जा रहा है.