जोधपुर. कृष्णा अस्पताल में हुई मरीज की मौत (death case of Bhairon Singh Inda) के मामले का बुधवार को पटाक्षेप हो गया. मृतक भैरो सिंह इंदा के परिजनों से प्रशासन और लूणी विधायक महेंद्र सिंह विश्नोई की ओर से दिए गए आश्वासन के तहत मुआवजे के आठ लाख अस्सी हजार रुपए लाल कपड़े में बांध कर दे दिए गए, लेकिन यह राशि किसने दी, कहां से आई इसका खुलासा (Questions arising on cash compensation) नहीं हुआ है.
क्योंकि देर रात हुए समझौते के तहत प्रशासन ने मुआवजा देने का कहा था, अगर प्रशासन सरकारी मुआवजा देता है तो उसकी पत्रवाली चलती है और चेक से मुआवजा दिया जाता है. जबकि नकद राशि में मुआवजा पहली बार दिया गया है. वहीं अस्पताल संचालक ने अपनी तरफ से राशि देने से साफ इनकार कर दिया था. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिरकार आठ लाख रुपए किस की और से दिए गए. क्या लूणी विधायक महेंद्र सिंह विश्नोई ने यह राशि अरेंज की? क्योंकि मुआवाजा दिलाने का वादा उन्होंने ही रात को किया था.
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गौरतलब है कि भैरो सिंह का कृष्णा अस्पताल (death case of Bhairon Singh Inda) में उपचार हुआ था. उसे छह सितंबर को उसे अस्पताल से छुट्टी मिली थी. 11 सितंबर को स्वास्थ्य खराब होने पर वापस परिजन उसे अस्पताल ले आए तो रात में ही उनकी मृत्यु हो गई. इस पर परिजनों ने इलाज में लापरवाही का आरोप लगाने के साथ ही अस्पताल की ओर से चिरंजीवी योजना का लाभ नहीं देने की भी बात कही. यह भी मामला सामने आया कि जो उपचार दिया गया वह चिरंजीवी योजना में नहीं था. अस्पताल ने अपने विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की बात कही लेकिन परिजन मुआवजे की मांग पर अड़ गए.
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ओब्लाइज्ड हुआ है मुआवजा
पुलिस और प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि इस मामले में सरकारी सहायता 50 हजार से लाख रुपए तक होती है. मामला सरकार तक पहुंच गया तो नियमों की किताब भी खुली जिसमें ऐसे मामलों में बड़ी सहायता का प्रावधान नहीं था. इसके बाद सीएम के निर्देश पर लूणी विधायक प्रकरण को संभालने का जिम्मा दिया गया क्योंकि मृतक उनकी विधानसभा क्षेत्र का था. साथ ही कांग्रेस नेता हनुमान सिंह खांगटा को भी जिम्मेदारी दी गई. इससे प्रशासन पर से दबाव कुछ कम हुआ. कांग्रेस नेता हनुमान सिंह खांगटा ने बताया कि उन्हें और विधायक को मुआवजा देने का जिम्मा सीएम ने दिया था. बताया जा रहा है पूरा मुआवजा आब्लाइज हुआ है.
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रात को हुई वार्ता में भी स्थिति साफ नहीं की गई थी
रात को धरने बैठे राजपूत समाज के लोगों की कलेक्टर से उनके घर पर वार्ता हुई थी. जिसमें कहा गया था कि अस्पताल के विरुद्ध चिरंजीवी योजना के संचालन और अन्य अनियमितता की जांच होगी. बात मुआवजे की आई तो प्रशासन ने कहा कि वह भी मिल जायेगा. इस पर प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने पूछा कौन देगा? इसपर कलेक्टर हिमांशु गुप्ता कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सके. अलबत्ता लूणी विधायक महेंद्र सिंह विश्नोई और हनुमान सिंह खांगटा ने कहा कि मुआवजा मिल जायेगा इसका विश्वास रखें. इस पर फिर परिजनों ने कहा कि लिखित आश्वासन दें कि मुआवजा कौन देगा. इस पर विधायक ने कहा कि सुबह अंतिम संस्कार से पहले मुआवजा मिल जाएगा लेकिन कहां से मिलेगा यह उन्होंने नहीं बताया. हालांकि आश्वासन के बाद रात दो बजे धरना समाप्त हुआ था.
तीन दिन पहले विधायक ने अस्पताल से दिलाया था
शनिवार को श्रीराम अस्पताल में हुए विवाद के बाद ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने धरना दिया था. आरोप था कि अस्पताल ने चिरंजीवी योजना के तहत उपचार नहीं किया गया. मरीज से एक लाख रुपए लिए और छुट्टी के समय ढाई लाख और मांगे. विधायक ने पूरे प्रशासन पर सवाल उठाते हुए परिजनों को राशि वापस लौटाने की मांग रखी. इसे डॉक्टर्स के एसोसिएशन ने अपनी तरफ से देने की बात कही और राशि लौटाई थी लेकिन लूणी विधायक ने सब अरेंज कर मामला निपटाया.