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HC ने डेगाना पंचायत समिति के पूर्व विकास अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर लगाई रोक

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Published : Nov 11, 2020, 2:39 AM IST

राजस्थान उच्च न्यायालय ने डेगाना पंचायत समिति के पूर्व विकास अधिकारी के खिलाफ सभी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

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राजस्थान उच्च न्यायालय

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने डेगाना पंचायत समिति के पूर्व विकास अधिकारी के खिलाफ सभी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत में याचिकाकर्ता पंचायत समिति डेगाना के पूर्व विकास अधिकारी प्रहलाद राम डूडी की ओर से अधिवक्ता मनीष पटेल ने पक्ष रखा.

उच्च न्यायालय ने पूर्व विकास अधिकारी प्रहलाद राम डूडी के खिलाफ संभागीय आयुक्त, अजमेर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद नागौर की ओर से शुरू की गई समस्त कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष पटेल ने बताया कि संभागीय आयुक्त और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच शुरू करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता की नियुक्ति प्राधिकारी और अनुशासनात्मक प्राधिकरण राज्य सरकार है.

पढ़ें- कांग्रेस ने बोर्ड बना तो लिया है, लेकिन ज्यादा दिन चला नहीं पाएगी : कुसुम यादव

पूर्व में भी संभागीय आयुक्त ने विकास अधिकारी को APO किया था, वह राज्य सरकार ने निरस्त कर दिया था. यह कह कर कि संभागीय आयुक्त को यह अधिकार नहीं है, फिर भी संभागीय आयुक्त ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ मिल कर फिर से कार्रवाई शुरू की थी. अधिवक्ता पटेल ने राज्य के 24.07.2020 (अनुबंध 5) के आदेश पर अदालत का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि उत्तरदाताओं द्वारा शुरू की गई कार्रवाई सरकार के दृष्टिकोण के विपरीत है. इसलिए इस बात विचार की आवश्यकता है.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने डेगाना पंचायत समिति के पूर्व विकास अधिकारी के खिलाफ सभी प्रकार की अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत में याचिकाकर्ता पंचायत समिति डेगाना के पूर्व विकास अधिकारी प्रहलाद राम डूडी की ओर से अधिवक्ता मनीष पटेल ने पक्ष रखा.

उच्च न्यायालय ने पूर्व विकास अधिकारी प्रहलाद राम डूडी के खिलाफ संभागीय आयुक्त, अजमेर और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद नागौर की ओर से शुरू की गई समस्त कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश दिए. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष पटेल ने बताया कि संभागीय आयुक्त और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पास याचिकाकर्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच शुरू करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ता की नियुक्ति प्राधिकारी और अनुशासनात्मक प्राधिकरण राज्य सरकार है.

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पूर्व में भी संभागीय आयुक्त ने विकास अधिकारी को APO किया था, वह राज्य सरकार ने निरस्त कर दिया था. यह कह कर कि संभागीय आयुक्त को यह अधिकार नहीं है, फिर भी संभागीय आयुक्त ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी के साथ मिल कर फिर से कार्रवाई शुरू की थी. अधिवक्ता पटेल ने राज्य के 24.07.2020 (अनुबंध 5) के आदेश पर अदालत का ध्यान आकर्षित किया और कहा कि उत्तरदाताओं द्वारा शुरू की गई कार्रवाई सरकार के दृष्टिकोण के विपरीत है. इसलिए इस बात विचार की आवश्यकता है.

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