जोधपुर. कोरोना के दौर मैं डॉक्टरों के सामने सबसे बड़ी परेशानी है बिना लक्षण वाले मरीजो में भी कोरोना की पुष्टि होना. ऐसे मरीजो की संख्या लगातार बढ़ भी रही है. ऐसे में लक्षण के आधार पर कोरोनावायरस की पहचान करना परेशानी बन गया है. लेकिन जोधपुर आईआईटी ने इस परेशानी का हल निकालते हुए बताया है कि कोरोना के संक्रमित ऐसे रोगियों में स्वाद, गन्ध और सूंघने की क्षमता खत्म हो जाती है.
ऐसे में स्क्रीनिंग के दौरान लोगों की स्वाद, सूंघने और गन्ध की जांच कर के भी संदिग्ध रोगी चिन्हित कर कोरोना की चेन तोड़ने में मदद मिल सकती है. जोधपुर आईआईटी के प्रोफेसर सुरजीत घोष के अनुसार 9 अप्रेल तक जो देश और दुनिया मे कोरोना के मामले सामने आये थे उसमें बड़ी संख्या ऐसे रोगियों की थी जिनमे कोरोना के लक्षण नहीं थे. इसके आधार पर ही रिसर्च पेपर तैयार किया गया. प्रोफेसर घोष के मुताबिक अब तक यह धारणा रही है कि वायरस का असर फेफड़ों में ही होता है लेकिन कोरोनावायरस मस्तिष्क पर भी असर डालता है.
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इससे केंद्रीय तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित होता है. जिसके चलते स्वाद, सूंघने और गन्ध की क्षमता खत्म होती है. इस रिसर्च पेपर को अमेरिकन केमिकल सोसायटी ने अपने न्यूरोसाइंस जनरल में प्रकाशित किया है. भारत सरकार के साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग ने इस शोध पत्र को मान्यता दी है. इस शोध पत्र से प्राप्त जानकारी को देश में बनने वाले कोरोनावायरस के वैक्सीन के निर्माण में भी काम ली जाएगी. प्रो. घोष के अनुसार मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियां जैसे पार्किंसन के रोगियों और धूम्रपान करने वालों को भी सतर्क रहने की जरूरत है.