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बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाने पर हरकत में आई पुलिस, महिला को करवाया बंधक मुक्त

राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्यपीठ जोधपुर हाईकोर्ट में बुधवार को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने सुनवाई करते हुए बंदी बनाई गई पत्नी के वापस पति के पास लौटने के कारण याचिका को निष्प्रभावी मानते हुए निस्तारित करने का आदेश दिया है.

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बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाने पर हरकत में आई पुलिस
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Published : Aug 19, 2020, 10:18 PM IST

जोधपुर. पति द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने पर हरकत में आई. डेगाना थाना पुलिस ने पत्नी को बंधक मुक्त करवाते हुए रिपोर्ट पेश की है. डेगाना निवासी रनवीर पालिया की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट के वकील रजाक के हैदर और पंकज एस चौधरी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश कर बताया कि उसने अपनी प्रेमिका के साथ विवाह रचाने बाबत इकरारनामा किया है. इसमें दोनों ने अपनी मर्जी से पति-पत्नी के रूप में जीवन-जीने का वचन दिया है.

उन्होंने बताया कि पत्नी के परिवारजन इससे खुश नहीं हैं. इसलिए पीहर पक्ष द्वारा धमकी देकर उसको जबरन बंधक बना लिया गया है. बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश करने पर हरकत में आई डेगाना थाना पुलिस ने पत्नी को बंधक मुक्त करवाया. इस पर पत्नी ने याचिकाकर्ता के साथ ही जाने की इच्छा जताई.

यह भी पढ़ेंः पाक विस्थापितों को राशन कार्ड जारी नहीं करने पर HC ने सरकार से मांगा जवाब

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली ने डेगाना थाना पुलिस की ओर से प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस पर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश कुमारी प्रभा शर्मा ने तथ्यात्मक रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए बंदी बनाई गई पत्नी के वापस पति के पास लौटने के कारण याचिका को निष्प्रभावी मानते हुए निस्तारित करने का आदेश दिया है.

जोधपुर. पति द्वारा राजस्थान हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने पर हरकत में आई. डेगाना थाना पुलिस ने पत्नी को बंधक मुक्त करवाते हुए रिपोर्ट पेश की है. डेगाना निवासी रनवीर पालिया की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट के वकील रजाक के हैदर और पंकज एस चौधरी ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश कर बताया कि उसने अपनी प्रेमिका के साथ विवाह रचाने बाबत इकरारनामा किया है. इसमें दोनों ने अपनी मर्जी से पति-पत्नी के रूप में जीवन-जीने का वचन दिया है.

उन्होंने बताया कि पत्नी के परिवारजन इससे खुश नहीं हैं. इसलिए पीहर पक्ष द्वारा धमकी देकर उसको जबरन बंधक बना लिया गया है. बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पेश करने पर हरकत में आई डेगाना थाना पुलिस ने पत्नी को बंधक मुक्त करवाया. इस पर पत्नी ने याचिकाकर्ता के साथ ही जाने की इच्छा जताई.

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राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली ने डेगाना थाना पुलिस की ओर से प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस पर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता और न्यायाधीश कुमारी प्रभा शर्मा ने तथ्यात्मक रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए बंदी बनाई गई पत्नी के वापस पति के पास लौटने के कारण याचिका को निष्प्रभावी मानते हुए निस्तारित करने का आदेश दिया है.

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