जोधपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट के बीच दिखावे की दूरियां खत्म हुई है. लेकिन दोनों के बीच क्या चल रहा है इसका अंदाजा सभी को है. गत दिनों प्रदेश में हुए सबसे बड़े राजनीतिक घटनाक्रम के पटाक्षेप के बाद गुरुवार को सचिन पायलट एक बड़ा काफिला के साथ जोधपुर आए.
सचिन पायलट के पीछे सैकड़ों की संख्या में गाड़ियां चल रही थी और सभी जगह सचिन पायलट जिंदाबाद के नारे लग रहे थे. पायलट अजमेर से पाली होते हुए जोधपुर आए. पाली से जोधपुर के बीच में उनका कई जगह और स्वागत हुआ और उनके काफिले में लोग जुड़ते गए. जोधपुर शहर में भी समर्थकों ने उनका जगह-जगह स्वागत किया. लेकिन इस दौरान जोधपुर देहात और जोधपुर शहर कांग्रेस कार्यकारिणी का कोई भी पदाधिकारी पायलट के स्वागत में आगे नहीं आया.
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पायलट के साथ उनके समर्थक विधायक हेमाराम चौधरी, रामनिवास गवारिया, दीपेंद्र सिंह शेखावत, कांग्रेस के पूर्व प्रतिपक्ष नेता रामेश्वर डूडी और राजेंद्र चौधरी सहित कई अन्य समर्थक जोधपुर पहुंचे. पायलट ऐसे दिन जोधपुर आए हैं, जिसके ठीक एक दिन पहले ही गहलोत सरकार ने उनके खिलाफ एक बार फिर मोर्चा खोलते उनके पीआर मैनेजर के खिलाफ आईटी एक्ट में मामला दर्ज कर लिया है. साथ ही पायलट की गैरमौजूदगी में उनके घर में घुसकर उनसे पूछताछ भी की गई.
हालांकि, पायलट ने अभी तक इस पूरे मामले पर कहीं पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि उनकी चुप्पी ही एक बार फिर उनका बड़ा हथियार बनेगी. जोधपुर में जितने बड़े काफिले के साथ वह आए इससे उन्होंने बता दिया कि उनमें अभी भी दम है. पायलट के इतने बड़े काफिले के साथ जोधपुर पहुंचकर और जोधपुर से दिल्ली के लिए रवाना होना भी चर्चा का विषय बन गया है. ऐसे में माना जा रहा है कि पायलट शायद एक बार फिर आलाकमान या प्रदेश प्रभारी के सामने अपनी नाराजगी जताएंगे.