जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ के जस्टिस दिनेश मेहता की अदालत ने प्रजापति ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय संस्थान की ओर से अवतार सिंह की दायर याचिका को खारिज करते हुए अतिक्रमण मामले में राहत देने से इंकार कर (Rajasthan High Court on encroachment) दिया. उप वन संरक्षक वन्यजीव माउंट आबू सिरोही की ओर से वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 34 ए में प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए एक आदेश दिया था. जिसके अनुसार वन भूमि के आरक्षित वन खंड आबू नम्बर 1 के ग्राम आबू नम्बर 2 की वन भूमि पर अतिक्रमण कर बहुमंजिला भवन निर्माण करने, अवैध खनन कर चट्टटानों को तोड़कर गुफाएं बनाने सहित निर्माण कर वन्यजीवों के आश्रयस्थल को नुकसान पहुंचाया है.
वन विभाग ने याचिकाकर्ता को दोषी मानते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के निर्देश दिये थे. जिसके खिलाफ राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर मुख्यपीठ में दो अलग-अलग याचिकाएं पेश कर अंतरिम आदेश प्राप्त किया था. इसी बीच एक विविध आपराधिक याचिका ओर पेश कर दी. जिस पर लम्बी सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से दिग्विजय सिंह जसोल ने पक्ष रखते हुए बताया कि देश के संविधान के अनुच्छेद 226 को लागू करने वाली रिट याचिका नहीं हैं.
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इसके अलावा दो रिट याचिका पहले भी उसी आदेश जो कि 26 दिसम्बर, 2017 को उप वन संरक्षक ने जारी किया था, उसको चुनौती दी थी, लेकिन दोनों याचिकाएं अभी 8 अप्रैल, 2022 को ही वापस ली हैं. ऐसे में एक ही मामले में बार-बार याचिकाएं लगाना और उनको वापस लिया जाना साथ ही नोटिस को 226 के तहत चुनौती देना उचित नहीं है. अधिवक्ता जसोल ने कहा कि याचिकाकर्ता संस्थान की ओर से माउंट आबू क्षेत्र में बड़े भू भाग पर अतिक्रमण कर रखा है जो कि वन विभाग की भूमि है.
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 34 ए: 34 ए अतिक्रमण हटाने की शक्ति है जो कि किसी भी व्यक्ति को अभ्यारण्य से बेदखल करना या राष्ट्रीय उद्यान जो अनाधिकृत रूप से कब्जा करता है उसको हटाये जाने का अधिकार है. जबकि यह आदेश उस पक्ष को सुनने के बाद ही पारित किया गया है. ऐसे में याचिका पर विचार करना उचित नहीं है. हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद माना कि अनुच्छेद 226 के तहत यह याचिका पोषणीय नहीं है. साथ ही पूर्व में दिये गये अंतरिम आदेश को भी स्थगित करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है.
याचिका खारिज होने से लगा झटका: प्रजापति ब्रह्मकुमारी आश्रम की ओर से करीब चार पांच बीघा वन भूमि पर अतिक्रमण करते हुए वहां पर बहुमंजिला इमारतों के साथ गुफाओं का निर्माण किया गया है, जो अब हटाया जायेगा. क्योंकि हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद अब वन विभाग अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को अंजाम दे सकता है.