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न्यायिक अधिकारी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट के खिलाफ याचिका दायर, HC ने नोटिस जारी कर मांगा जवाब - notice

प्रार्थी की नियुक्ति राजस्थान न्यायिक सेवा में न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर दिनांक 8 फरवरी 1996 को हुई थी. उसके बाद प्रार्थी की पदोन्नती अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट और सिविल न्यायाधीश वरिष्ठ खंड के पद पर दिनांक 6 अगस्त 2002 को हुई.

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Published : Jul 17, 2021, 9:59 PM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय की वरिष्ठ न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने न्यायिक अधिकारी रतीश कुमार गर्ग की ओर से दायर याचिका पर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया है.

नोटिस जारी करते हुए 8 सितम्बर को जवाब-तलब किया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राकेश अरोड़ा ने तर्क दिया कि प्रार्थी की नियुक्ति राजस्थान न्यायिक सेवा में न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर दिनांक 8 फरवरी 1996 को हुई थी. इसके बाद प्रार्थी की पदोन्नती अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व सिविल न्यायाधीश वरिष्ठ खंड के पद पर दिनांक 6 अगस्त 2002 को हुई.

प्रार्थी की नियुक्ति अप्रैल 2014 में अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश के पद पर हुई थी. लेकिन जरिये पत्र दिनांक 10 दिसम्बर 2015 के प्रार्थी को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के पद से पुन:मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 4 जोधपुर पर नियुक्ति दे दी गई. प्रार्थी की तरफ से यह भी तर्क दिया गया कि प्रार्थी को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के पद से पुन:मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्ति देने का मुख्य कारण प्रार्थी की वर्ष 2014 की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट थी.

पढ़ें- हाईकोर्ट फैसला : HOD पद पर 3 साल के लिए नियुक्ति दे Rajasthan University...एकलपीठ का आदेश रद्द

जिसके प्रथम भाग में प्रार्थी को प्रतिकूल टिप्पणी दी गई थी. प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा कि वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट 2014 से व्यथित होकर प्रार्थी ने एक प्रतिवेदन रजिस्ट्रार जनरल को दिया था, लेकिन प्रार्थी का प्रतिवेदन मियाद के आधार पर खारिज कर दिया गया. प्रार्थी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणी जिन जिला एवं सेशन न्यायाधीश द्वारा की गयी उनके अधीनस्थ प्रार्थी ने केवल चार माह काम किया था तथा उन जिला एवं सेशन न्यायाधीश द्वारा कभी भी प्रार्थी के कार्य का निरीक्षण नहीं किया गया था.

प्रार्थी के विरूद्ध किसी भी प्रकार शिकायत नही थी. अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि जब वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट 2014 से व्यथित होकर दिये गये प्रतिवेदन को मियाद के आधार पर खारिज कर दिया गया तो प्रार्थी ने साल 2017 में उच्च न्यायालय जोधपुर मे रिट याचिका पेश की. जिसमे रजिस्ट्रार जनरल को यह निर्देश दिया गया कि प्रार्थी के प्रतिवेदन को पुन:गुवाणगुण पर कानूनी अनुसार निस्तारित किया जाए. लेकिन रजिस्ट्रार जनरल द्वारा पुन:प्रार्थी के प्रतिवेदन बिना गुणावगुण पर टिप्पणी किये खारिज कर दिया गया.

खंडपीठ ने अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के पश्चात रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी करते हुए 8 सितम्बर को जवाब-तलब किया है.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय की वरिष्ठ न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने न्यायिक अधिकारी रतीश कुमार गर्ग की ओर से दायर याचिका पर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया है.

नोटिस जारी करते हुए 8 सितम्बर को जवाब-तलब किया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राकेश अरोड़ा ने तर्क दिया कि प्रार्थी की नियुक्ति राजस्थान न्यायिक सेवा में न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर दिनांक 8 फरवरी 1996 को हुई थी. इसके बाद प्रार्थी की पदोन्नती अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट व सिविल न्यायाधीश वरिष्ठ खंड के पद पर दिनांक 6 अगस्त 2002 को हुई.

प्रार्थी की नियुक्ति अप्रैल 2014 में अतिरिक्त जिला एवं सेशन न्यायाधीश के पद पर हुई थी. लेकिन जरिये पत्र दिनांक 10 दिसम्बर 2015 के प्रार्थी को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के पद से पुन:मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या 4 जोधपुर पर नियुक्ति दे दी गई. प्रार्थी की तरफ से यह भी तर्क दिया गया कि प्रार्थी को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के पद से पुन:मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पद पर नियुक्ति देने का मुख्य कारण प्रार्थी की वर्ष 2014 की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट थी.

पढ़ें- हाईकोर्ट फैसला : HOD पद पर 3 साल के लिए नियुक्ति दे Rajasthan University...एकलपीठ का आदेश रद्द

जिसके प्रथम भाग में प्रार्थी को प्रतिकूल टिप्पणी दी गई थी. प्रार्थी के अधिवक्ता ने कहा कि वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट 2014 से व्यथित होकर प्रार्थी ने एक प्रतिवेदन रजिस्ट्रार जनरल को दिया था, लेकिन प्रार्थी का प्रतिवेदन मियाद के आधार पर खारिज कर दिया गया. प्रार्थी की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में प्रतिकूल टिप्पणी जिन जिला एवं सेशन न्यायाधीश द्वारा की गयी उनके अधीनस्थ प्रार्थी ने केवल चार माह काम किया था तथा उन जिला एवं सेशन न्यायाधीश द्वारा कभी भी प्रार्थी के कार्य का निरीक्षण नहीं किया गया था.

प्रार्थी के विरूद्ध किसी भी प्रकार शिकायत नही थी. अधिवक्ता ने यह भी तर्क दिया कि जब वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट 2014 से व्यथित होकर दिये गये प्रतिवेदन को मियाद के आधार पर खारिज कर दिया गया तो प्रार्थी ने साल 2017 में उच्च न्यायालय जोधपुर मे रिट याचिका पेश की. जिसमे रजिस्ट्रार जनरल को यह निर्देश दिया गया कि प्रार्थी के प्रतिवेदन को पुन:गुवाणगुण पर कानूनी अनुसार निस्तारित किया जाए. लेकिन रजिस्ट्रार जनरल द्वारा पुन:प्रार्थी के प्रतिवेदन बिना गुणावगुण पर टिप्पणी किये खारिज कर दिया गया.

खंडपीठ ने अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के पश्चात रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी करते हुए 8 सितम्बर को जवाब-तलब किया है.

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