जोधपुर. राजस्थान में आए सियासी तूफान ने सचिन पायलट की कुर्सी हिलाकर रख दी. बागी होने के चलते पायलट को सभी पदों से मुक्त कर दिया गया और सचिन पायलट की जगह तीन बार के विधायक और शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को प्रदेश कांग्रेस की कमान दे दी गई.
राज्य में चल रही राजनीतिक उठापटक अपने चरम पर है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने एक-दूसरे पर भड़ास भी निकाल ली, जिससे पायलट के वापस कांग्रेस में आने की संभावनाएं बहुत कम हो गई है. प्रदेश में उपजे ऐसे हालातों को लेकर जोधपुर के लोगों का कहना है कि इसकी पूरी जिम्मेदारी सचिन पायलट की है, क्योंकि अशोक गहलोत सरकार लगातार जनहित के कार्य कर रही है.
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लोगों का कहना है कि जिस तरह से कोरोना के काल में सरकार ने काम किया है, ऐसे में सरकार का चलना बहुत जरूरी है. उनका कहना है कि ऐसी स्थिति में अगर दोनों एक साथ होकर काम करेंगे तो प्रदेश का भला होगा. वहीं, युवा इस घटनाक्रम को लेकर पायलट और गहलोत दोनों को ही जिम्मेदार मानते हैं क्योंकि दोनों को मिलकर सरकार चलानी थी.
जोधपुर कांग्रेस सेवा दल के जिला अध्यक्ष हरेंद्र सिंह राठौड़ का कहना है कि सचिन पायलट संगठन के मुखिया थे तो उनकी बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि वह सरकार चलाने में सहयोग करें. वर्तमान हालात से ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में सुलह हो जाएगी.
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वहीं, राज्यसभा सांसद एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेंद्र गहलोत का कहना है कि दोनों नेताओं की अंतर कलह का नुकसान प्रदेश की जनता को उठाना पड़ रहा है. उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ दर्शक बनकर देख सकती है.