जोधपुर. भारत में रह रहे पाक विस्थापित हिंदुओं को नागरिकता के लिए पाकिस्तान को ही मोटी राशि चुकानी पड़ रही है. यही कारण है कि अब पाक विस्थापित हिंदू वापस पाकिस्तान का रूख करने लगे हैं. क्योंकि भारत सरकार के गृह मंत्रालय के नियमानुसार भारत की नागरिकता का आवेदन करने के लिए पाक विस्थापित का पासपोर्ट रिन्यू होना चाहिए. साथ ही पाक एंबेंसी से पासपोर्ट त्यागने का प्रमाण-पत्र होना भी जरूरी (Rules for getting Indian citizenship for Pakistani migrants) है. इस प्रक्रिया में विस्थापित हिंदुओं को प्रति नागरिक 10 से 12 हजार रुपए पाक दूतावास को शुल्क के रूप में देने पड़ते हैं. इस काम के लिए कई दिन दिल्ली में रहना पड़ता है, उसका खर्च उठाना पड़ता है. बरसों से यहां रहने के बाद भी लांग टर्म वीजा और नागरिकता आवेदन के लिए इतना खर्च करने से परेशान पाक विस्थापित हिंदू अब वापस जाने लगे हैं.
2021 में 800 से ज्यादा पाक विस्थापित वाघा के रास्ते वापस पाकिस्तान चले गए. जोधपुर में विस्थापितों की बस्ती से भी कई बसें भरकर लोग वाघा के रास्ते पाकिस्तान जा चुके हैं. पाक विस्थापितों के लिए काम करने वाले संगठन सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढा ने भारत सरकार से मांग की है कि गृह मंत्रालय के मार्फत एक नोटिफिकेशन जारी कर हिंदू विस्थापितों के नागरिकता आवेदन में नवीन पासपोर्ट व पासपोर्ट त्याग प्रमाण-पत्र की बाध्यता समाप्त करें. जिससे इनको नागरिकता मिल सके. इन नियमों और इन आने वाले मोटे खर्च के चलते भारत आने वाले पाक विस्थापितों को वापस पाकिस्तान जाने पर प्रताड़ना झेलनी पड़ रही है. साथ ही पाकिस्तान इनका उपयोग भारत के प्रति दुष्प्रचार में कर रहा है.
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एक लाख रुपए परिवार का खर्च: सोढा का कहना है कि पाकिस्तान से आने वाले इन परिवार में सदस्यों की संख्या 8 से 10 तक होती है. ऐसे में अगर एक परिवार को नागरिकता का आवेदन करना होता है, तो उसके लिए 1 लाख रुपए पाकिस्तानी दूतावास में जमा करवाने पड़ते हैं. जो हर किसी के लिए आसान नहीं है. इसके अलावा जो लोग 10 साल से अधिक समय से रहे हैं, उनके लिए यह बाध्यता नहीं होनी चाहिए. पूर्व में भारत सरकार ने 7 से 12 साल तक लगातार भारत में रह रहे ऐसे विस्थापितों को नागरिकता दी थी. उस व्यवस्था को वापस लागू करने की जरूरत है. जिसमें कलेक्टर नागरिकता दे सकते हैं. इसके अलावा नागरिकता के अभाव में एलटीवी लांग टर्म वीजा लेने के लिए भी पासपोर्ट रिन्यू के लिए पाक दूतावास को शुल्क चुकाना पड़ रहा है.
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हजारों की संख्या में नागरिकता लंबित: पूरे राजस्थान में करीब 25 हजार पाक विस्थापित बिना नागरिकता के रह रहे (Pak migrants in Rajasthan) हैं. इनमें 10 हजार तो 7 से 12 साल से रह रहे हैं, जो नागरिकता प्राप्त करने की अर्हता रखते हैं. अकेले जोधपुर में ही 18 हजार रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा तीन हजार से ज्यादा ऐसे लोग भी हैं जो कहीं पर रजिस्टर्ड नहीं हैं. अगर केंद्र सरकार पासपोर्ट नवीनीकरण व त्याग करने की बाध्यता हटा दे, तो सभी नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं. इसके अलावा केंद्र का नागरिकता संशोधन अधिनियम पूरी तरह से लागू होने से भी परेशानी बनी हुई है.
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थार एक्सप्रेस नहीं चलना भी परेशानी: सोढा बताते हैं कि थार एक्सप्रेस के बंद होने जाने से भी परेशानी बढी है. ये ट्रेन बंद होने से दोनों तरफ के परिवारों के लोग परेशान हैं. पूर्व में जो यहां आ चुके थे, उन्हें भरोसा था कि उनका बाकी परिवार भी थार एक्सप्रेस से आ जाएगा. लेकिन इसके बंद हो जाने से वे लोग वापस जाने लगे हैं. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान वापस जाने के बाद उन्हें पाकिस्तानी एजेंसियां भारत को बदनाम करने के काम में लेती हैं. यह कहने पर मजबूर किया जाता है कि भारत में अत्याचार से परेशान होकर वापस लौटे हैं.