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जोधपुर AIIMS में सर्जरी से अलग किए जुड़वा बच्चों में एक ने तोड़ा दम, दूसरा वेंटिलेटर पर - Jodhpur news

जोधपुर AIIMS में 26 जनवरी को 6 दिन के छाती और धड़ से जुड़े जिन 2 नवजात को अलग किया गया था, उनमें से एक ने सोमवार देर रात दम तोड़ दिया. जबकि दूसरा नवजात अभी वेंटिलेटर पर है.

जोधपुर AIIMS न्यूज, Jodhpur AIIMS News
सर्जरी से अलग किए जुड़वा में एक ने तोड़ा दम
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Published : Jan 28, 2020, 8:14 PM IST

जोधपुर. AIIMS में 26 जनवरी को 6 दिन के छाती और धड़ से जुड़े जिन 2 नवजात को अलग किया गया था, उनमें से एक ने सोमवार देर रात दम तोड़ दिया. जबकि दूसरा नवजात अभी वेंटिलेटर पर है. इसकी देखरेख डॉक्टरों की एक टीम कर रही है.

सर्जरी से अलग किए जुड़वा में एक ने तोड़ा दम

जिस नवजात की मौत हुई, उसको लेकर एम्स के डॉक्टर पहले ही इस बात का अंदेशा जता चुके थे कि एक बच्चे की स्थिति ज्यादा खराब थी. डॉक्टरों ने अंदेशा जताया था कि उसका दिल और गुर्दा खराब हो चुका थे और उसकी आंत में रक्तस्राव भी हो रहा था. इसके कारण ही दोनों को अलग करने का फैसला लिया गया था. अगर दोनों बच्चों को अलग नहीं करते तो दोनों की मृत्यु हो सकती थी.

पढ़ें- जोधपुर AIIMS में 4 घंटे तक चली सर्जरी, आपस में धड़ से जुड़े बच्चों को किया सफलतापूर्वक अलग

बता दें कि आमतौर पर ऐसे जुड़े हुए बच्चों को 3 से 6 महीने की उम्र के बाद अलग किया जाता है. लेकिन इस मामले में एक का जीवन बचाने के लिए जल्दी अलग करने का निर्णय लिया गया. गौरतलब है कि आपस में जुड़े दोनों बच्चों का वजन मात्र 1.5 किलो था. ऐसे में यह काम वैसे भी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन एम्स के डॉक्टरों ने अपनी पूरी ताकत से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और एक नवजात को सुरक्षित रख लिया.

जानकारी के अनुसार इससे पहले भी जोधपुर एम्स में साढ़े 4 साल पहले एक ऐसे ही मामले में 2 बच्चों को अलग-अलग किया था. जो अभी सामान्य रूप से अपना जीवन जी रहे हैं. लेकिन उनकी उम्र उस समय 6 महीने से अधिक थी.

जोधपुर. AIIMS में 26 जनवरी को 6 दिन के छाती और धड़ से जुड़े जिन 2 नवजात को अलग किया गया था, उनमें से एक ने सोमवार देर रात दम तोड़ दिया. जबकि दूसरा नवजात अभी वेंटिलेटर पर है. इसकी देखरेख डॉक्टरों की एक टीम कर रही है.

सर्जरी से अलग किए जुड़वा में एक ने तोड़ा दम

जिस नवजात की मौत हुई, उसको लेकर एम्स के डॉक्टर पहले ही इस बात का अंदेशा जता चुके थे कि एक बच्चे की स्थिति ज्यादा खराब थी. डॉक्टरों ने अंदेशा जताया था कि उसका दिल और गुर्दा खराब हो चुका थे और उसकी आंत में रक्तस्राव भी हो रहा था. इसके कारण ही दोनों को अलग करने का फैसला लिया गया था. अगर दोनों बच्चों को अलग नहीं करते तो दोनों की मृत्यु हो सकती थी.

पढ़ें- जोधपुर AIIMS में 4 घंटे तक चली सर्जरी, आपस में धड़ से जुड़े बच्चों को किया सफलतापूर्वक अलग

बता दें कि आमतौर पर ऐसे जुड़े हुए बच्चों को 3 से 6 महीने की उम्र के बाद अलग किया जाता है. लेकिन इस मामले में एक का जीवन बचाने के लिए जल्दी अलग करने का निर्णय लिया गया. गौरतलब है कि आपस में जुड़े दोनों बच्चों का वजन मात्र 1.5 किलो था. ऐसे में यह काम वैसे भी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन एम्स के डॉक्टरों ने अपनी पूरी ताकत से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और एक नवजात को सुरक्षित रख लिया.

जानकारी के अनुसार इससे पहले भी जोधपुर एम्स में साढ़े 4 साल पहले एक ऐसे ही मामले में 2 बच्चों को अलग-अलग किया था. जो अभी सामान्य रूप से अपना जीवन जी रहे हैं. लेकिन उनकी उम्र उस समय 6 महीने से अधिक थी.

Intro:Body:अलग किए गए एक नवजात की मौत दूसरा वेंटीलेटर पर

जोधपुर। गणतंत्र दिवस की शाम को जोधपुर एम्स में छह दिन के छाती और धड़ से जुड़े जिन दो नवजात को अलग अलग किया था उनमें से एक ने सोमवार देर रात दम तोड़ दिया है । जबकि दूसरा अभी वेंटिलेटर पर है। जिसकी देखरेख डॉक्टरों की एक टीम कर रही है। जिस नवजात की मौत हुई उसको लेकर एम्स के डॉक्टर पहले ही इस बात का अंदेशा जता चुके थे कि एक बच्चे की स्थिति ज्यादा खराब थी उसका दिल और गुर्दे खराब हो चुके थे उसकी आंत में रक्त स्त्राव भी हो रहा था इसके चलते ही दोनों को अलग करने का फैसला लिया गया था अगर अलग नहीं करते तो दोनों की मृत्यु हो सकती थी। आम तौर पर ऐसे जुड़े हुए बच्चों को 3 से 6 माह की उम्र के बाद अलग किया जाता है। लेकिन इस मामले में एक का जीवन बचाने के लिए जल्दी अलग करने का निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि आपस में जुड़े दोनों बच्चों का वजन मात्र डेढ़ डेढ़ किलो था ऐसे में यह काम वैसे भी चुनौतीपूर्ण था लेकिन एम्स के डॉक्टरों ने अपनी पूरी ताकत से इस ऑपरेशन को अंजाम दिया और एक नवजात को सुरक्षित रख लिया। इससे पहले भी जोधपुर एम्स में साढे 4 साल पहले एक ऐसे ही मामले में दो बच्चों को अलग अलग किया जो अभी सामान्य रूप से अपना जीवन जी रहे हैं लेकिन उनकी उम्र उस समय 6 माह से अधिक थी।
बाईट डॉ अरविंद सिन्हा, विभागाध्यक्ष शिशुरोग


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