जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गोचर भूमि पर खनन किए जाने पर चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद निस्तारित करते हुए निर्देश दिए हैं कि भविष्य में खनन पट्टे का ना तो नवीनीकरण किया जाएगा और ना ही गोचर भूमि पर खनन पट्टा जारी किया (Court on lease deed given on transit land) जाएगा. राजसमंद निवासी किशनसिंह व अन्य की ओर से ग्राम डूंगर जी का गुडा में खसरा संख्या 2, 35, 94, 122, 151 व 336 को चारागाह भूमि बताते हुए वहा चल रही खनन गतिविधियों को रोकने और विकल्प में ग्रामीणों को चारागाह के लिए वैकल्पिक अतिरिक्त भूमि आवंटन की जनहित याचिका पेश की.
मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल व न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ में याचिका पर विस्तृत सुनवाई हुई. सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एएजी संदीप शाह और वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिसोदिया ने पैरवी करते हुए बताया कि वहां पर अशोक जैन के नाम से 1985 में खनन का पट्टा जारी किया गया. जबकि उसका अगले 20 साल तक के लिए इसका नवीनीकरण भी किया गया. जबकि ग्रामीणों ने इतनी देरी से याचिका पेश की.
पढ़ें: Rajasthan High Court Order : गोचर भूमि को सेट अपार्ट करने पर रोक, सरकार को जवाब के लिए दिया अवसर...
वहीं चारागाह भूमि के लिए वैकल्पिक भूमि आवंटित करने का नियम 2017 के बाद से लागू है जबकि खनन पट्टा कई वर्षों पहले जारी हो चुका है. जबकि याचिका में पट्टाधारक को भी पक्षकार नहीं बनाया गया है. ऐसे में कोर्ट ने याचिका पर विस्तृत सुनवाई के बाद निर्देश दिए हैं कि अब भविष्य में चारागाह भूमि पर खनन पट्टे का नवीनीकरण नहीं किया जाएगा और ना ही चारागाह भूमि पर किसी को पट्टा जारी होगा. यदि इसके बावजूद सरकार ऐसा करती है तो कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी. पट्टाधारक पट्टे के बाहर के क्षेत्र पर खनन नहीं करे, यह भी सुनिश्चित किया जाए.