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मंडावा और खींवसर उप चुनाव : आज शाम से थम जाएगा प्रचार-प्रसार, मंडावा को बचाने में जुटी कांग्रेस

प्रदेश में मंडावा और खींवसर विधानसभा सीट के लिए होने वाले उप चुनाव के लिए प्रचार-प्रसार का दौर शनिवार शाम को थम जाएगा. दोनों क्षेत्रों में दोनों पार्टियों ने अपने-अपने प्रतिनिधियों पर दांव खेल दिया है. कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले मंडावा को पार्टी हर हाल में बचाना चाहेगी. बता दें कि मंडावा चुनावी सीट ने राजस्थान कांग्रेस को सरदार हरलाल सिंह, चौधरी रामनारायण और डॉ. चंद्रभान के रूप में तीन अध्यक्ष दिए हैं.

jaipur news, जयपुर न्यूज
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Published : Oct 19, 2019, 2:42 PM IST

जयपुर. आगामी 21 अक्टूबर को होने जा रहे खींवसर और मंडावा सीट पर उप चुनाव के लिए शनिवार शाम को प्रचार-प्रसार का शोर बंद हो जाएगा. उप चुनाव में किस के सिर जीत का सेहरा सजेगा, इसका फैसला 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित होने के बाद ही पता चल सकेगा.

उप चुनाव में गढ़ बचाने की कांग्रेस की कवायद

इस उप चुनाव को लेकर दोनों पार्टियां तैयार दिखाई दे रही हैं. जहां मंडावा सीट पर सत्ताधारी दल कांग्रेस अपने लिए जीत के आसार ज्यादा मानकर चल रही है. क्योंकि, मंडावा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है. मंडावा राजस्थान की वह एकमात्र सीट है, जिसने राजस्थान कांग्रेस को तीन अध्यक्ष दिए हैं.

पढ़ें: 'हाइब्रिड मेयर' चुनने को लेकर यूडीएच मंत्री ने दिया 'संभावनाओं' का तर्क, विपक्ष ने कहा - काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है

क्षेत्र से पहले अध्यक्ष मंडावा विधानसभा के हनुमानपुरा दुल्हनों का बास के रहने वाले सरदार हरलाल सिंह रहे. हालांकि, सरदार हरलाल सिंह ने मंडावा विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ा और वह झुंझुनू जिले की चिड़ावा और नवलगढ़ से विधायक रहे थे. इसके बाद दूसरे नंबर पर आता है चौधरी राम नारायण का नाम. जो मंडावा विधानसभा के हेतमसर गांव के रहने वाले थे. चौधरी रामनारायण ने मंडावा को ही अपनी कर्म स्थली बनाया और 7 बार इसी सीट से विधायक बने. शायद यही कारण है कि मंडावा को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है.

वहीं राम नारायण चौधरी ने अपनी राजनीतिक विरासत अपनी बेटी रीटा चौधरी को सौंपी और साल 2008 में उनकी बेटी रीटा चौधरी भी इस सीट से विधायक बनीं. हालांकि, साल 2013 और साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के हाथ से फिसल गई. अब आगामी उप चुनाव में कांग्रेस ने फिर से रीटा चौधरी पर अपना दांव खेला है.

पढे़ं- जयपुरः सामंत कमेटी की रिपोर्ट नहीं लागू करने पर प्रदेश के कर्मचारियों में भारी आक्रोश, कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

मंडावा से एक और बड़े नेता है डॉ. चंद्रभान. जिन्होंने क्षेत्र में कांग्रेस का आधार बनाया है. चंद्रभान मंडावा विधानसभा के जयसिंहपुरा के रहने वाले हैं, उन्होंने जनता दल में रहते हुए मंडावा सीट से चुनाव जीता था. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा लिया और कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हुए 2013 में मंडावा से टिकट मिला, जिसमें वे चुनाव हार गए थे.

इस तरह कहा जा सकता है कि आज तक हुए चुनावों में मंडावा सीट पर ज्यादातर समय कांग्रेस का कब्जा रहा है. वहीं मंडावा ने कांग्रेस को तीन प्रदेश अध्यक्ष भी दिए हैं. ऐसे में कांग्रेस अपने इन तीन दिग्गजों की साथ के नाम पर और अपने पुराने घर को वापस जीतने के लिए जोर-आजमाइश कर रही है. हालांकि, हार-जीत का फैसला 24 अक्टूबर को ही सामने आ पाएगा.

जयपुर. आगामी 21 अक्टूबर को होने जा रहे खींवसर और मंडावा सीट पर उप चुनाव के लिए शनिवार शाम को प्रचार-प्रसार का शोर बंद हो जाएगा. उप चुनाव में किस के सिर जीत का सेहरा सजेगा, इसका फैसला 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित होने के बाद ही पता चल सकेगा.

उप चुनाव में गढ़ बचाने की कांग्रेस की कवायद

इस उप चुनाव को लेकर दोनों पार्टियां तैयार दिखाई दे रही हैं. जहां मंडावा सीट पर सत्ताधारी दल कांग्रेस अपने लिए जीत के आसार ज्यादा मानकर चल रही है. क्योंकि, मंडावा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है. मंडावा राजस्थान की वह एकमात्र सीट है, जिसने राजस्थान कांग्रेस को तीन अध्यक्ष दिए हैं.

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क्षेत्र से पहले अध्यक्ष मंडावा विधानसभा के हनुमानपुरा दुल्हनों का बास के रहने वाले सरदार हरलाल सिंह रहे. हालांकि, सरदार हरलाल सिंह ने मंडावा विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ा और वह झुंझुनू जिले की चिड़ावा और नवलगढ़ से विधायक रहे थे. इसके बाद दूसरे नंबर पर आता है चौधरी राम नारायण का नाम. जो मंडावा विधानसभा के हेतमसर गांव के रहने वाले थे. चौधरी रामनारायण ने मंडावा को ही अपनी कर्म स्थली बनाया और 7 बार इसी सीट से विधायक बने. शायद यही कारण है कि मंडावा को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है.

वहीं राम नारायण चौधरी ने अपनी राजनीतिक विरासत अपनी बेटी रीटा चौधरी को सौंपी और साल 2008 में उनकी बेटी रीटा चौधरी भी इस सीट से विधायक बनीं. हालांकि, साल 2013 और साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के हाथ से फिसल गई. अब आगामी उप चुनाव में कांग्रेस ने फिर से रीटा चौधरी पर अपना दांव खेला है.

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मंडावा से एक और बड़े नेता है डॉ. चंद्रभान. जिन्होंने क्षेत्र में कांग्रेस का आधार बनाया है. चंद्रभान मंडावा विधानसभा के जयसिंहपुरा के रहने वाले हैं, उन्होंने जनता दल में रहते हुए मंडावा सीट से चुनाव जीता था. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा लिया और कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हुए 2013 में मंडावा से टिकट मिला, जिसमें वे चुनाव हार गए थे.

इस तरह कहा जा सकता है कि आज तक हुए चुनावों में मंडावा सीट पर ज्यादातर समय कांग्रेस का कब्जा रहा है. वहीं मंडावा ने कांग्रेस को तीन प्रदेश अध्यक्ष भी दिए हैं. ऐसे में कांग्रेस अपने इन तीन दिग्गजों की साथ के नाम पर और अपने पुराने घर को वापस जीतने के लिए जोर-आजमाइश कर रही है. हालांकि, हार-जीत का फैसला 24 अक्टूबर को ही सामने आ पाएगा.

Intro:मंडावर चुनाव की सीट जिसने दिए राजस्थान कांग्रेस को सरदार हरलाल सिंह चौधरी रामनारायण और डॉक्टर चंद्रभान के रूप में तीन अध्यक्ष कभी रही कांग्रेस का गढ़ तो अब उपचुनाव में गढ़ बचाने की कांग्रेस की कवायद


Body:राजस्थान में खींवसर और मंडावा सीट पर उपचुनाव 21 अक्टूबर को होने जा रहे हैं इस सीट पर प्रचार भी आज शाम को बंद हो जाएगा किसके खाते में हार आती है और किसके सर पर जीत का सेहरा बनता है यह 24 अक्टूबर को आने वाले नतीजों में सामने आएगा लेकिन इन दोनों सीटों में मंडावा सीट पर सत्ताधारी दल कांग्रेस अपने लिए जीत के आसार ज्यादा मानकर चल रही है क्योंकि मंडावा सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता रहा है और मंडावा को ऐसे ही कांग्रेस का गढ़ नहीं कहा जाता बल्कि इसके पीछे कारण भी है कि मंडावा राजस्थान की वह एकमात्र सीट है जिसने राजस्थान कांग्रेस को तीन अध्यक्ष दिए हैं सबसे पहले मंडावा विधानसभा के हनुमानपुरा दुल्हनों का बास के रहने वाले सरदार हरलाल सिंह रहे हालांकि सरदार हरलाल सिंह ने मंडावा विधानसभा से चुनाव नहीं लड़ा और वह झुंझुनू जिले की चिड़ावा और नवलगढ़ से विधायक रहे इसके बाद दूसरे नंबर पर आता है चौधरी राम नारायण का नाम जो मंडावा विधानसभा के हितम सर गांव के रहने वाले थे चौधरी राम नारायण ने मंडावा को ही अपनी कर्म स्थली बनाया और 7 बार वही सीट से विधायक बने चौधरी रामनारायण के कारण ही इस सीट को कॉन्ग्रेस का गढ़ भी माना जाता रहा है राम नारायण चौधरी ने अपनी विरासत अपनी बेटी रीटा चौधरी को सौंपी और साल 2008 में उनकी बेटी रीटा चौधरी भी इस सीट से विधायक बने हालांकि साल 2013 और साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के हाथ से फिसल गई लेकिन कांग्रेस के इसी देश की बेटी रीटा चौधरी पर एक बार फिर कांग्रेस ने दांव खेला है इसके बाद नंबर आता है डॉक्टर चंद्रभान का जो मंडावा विधानसभा के जयसिंह पुरा के रहने वाले हैं डॉक्टर चंद्रभान जनता दल में रहते हुए मंडावा सीट से चुनाव जीते इसके बाद डॉ चंद्रभान ने कांग्रेस का दामन थामा और कांग्रेस के अध्यक्ष रहते हुए डॉक्टर चंद्रभान को साल 2013 में मंडावा का फिर से टिकट मिला जिसमें वह चुनाव हार गए इस तरह कहा जा सकता है कि आज तक हुए चुनाव में मंडावा सीट पर ज्यादातर समय कांग्रेस का कब्जा रहा है और इस विधानसभा ने कांग्रेस को तीन प्रदेश अध्यक्ष भी दिए हैं ऐसे में अब कांग्रेस अपने इन तीन दिग्गजों की साथ के नाम पर और अपने पुराने घर को वापस जीतने के लिए प्रयास कर रही है हालांकि हार जीत का फैसला 24 अक्टूबर को होगा लेकिन यह तय है कि कांग्रेस के लिए मंडावा की नाक का सवाल बनी हुई है
पीटीसी अजीत


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