जोधपुर. राजस्थान के जोधपुर संभाग सहित प्रदेश में कई जगहों पर लंपी स्किन डिजीज से गायों की मौत लगातार हो रही है. खास तौर से पश्चिमी राजस्थान में (Lumpy Virus in Western Rajasthan) प्रकोप ज्यादा है. यहां 1900 से ज्यादा गायों की मौत हो चुकी है. यह क्रम अभी जारी है. इसको लेकर कई तरह की गाइडलाइन भी जारी हुई. भारत सरकार ने अब बकरियों के काम आने वाले एक टीके का उपयोग करने की भी सलाह दी है, लेकिन इसके बावजूद किसान व पशुपालक कई बातों का ध्यान रखकर अपने पशुओं को इस रोग से बचा सकते हैं.
जोधपुर के पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. अरविंद पंवार ने बताया कि यह संक्रामक रोग है. ऐसे में संक्रमित पशु को स्वस्थ पशुओं से अलग रखना बेहद जरूरी है. एक तरह से संक्रमित को क्वारंटाइन करने की जरूरत है. डॉ. पंवार के मुताबिक लंपी डिजीज के लक्षण में प्रमुख पशु को शुरुआत में बुखार आता है. इसके बाद शरीर पर फफोले होने शुरू होते हैं. इसके बाद सांस की तकलीफ होती है. इस दौरान अगर समय रहते इलाज मिल जाता है तो बचाया जा सकता है. लेकिन इसमें अगर कमजोर पशु है तो बचाना मुश्किल होता है. पशु चिकित्सकों का कहना है कि अभी कोई जूनोसिस का केस नहीं आया है, यानि कि पशु से इंसान में बीमारी का मामला रिपोर्ट नहीं हुआ है. दूध इन दिनों कच्चा नहीं पीएं, पूरी तरह से गर्म कर पीना चाहिए.
जोधपुर संभाग में बढ़ रहा प्रकोप : जोधपुर जिले में 31 जुलाई तक 600 गायों की मौत हुई है, जबकि संभाग में यह आंकड़ा 1911 तक (Lumpy Virus Effect in Jodhpur) पहुंच गया है. सर्वाधिक गायों की मौत बाड़मेर 662, जालौर में 428, जैसलमेर में 183, सिरोही में 19 व पाली जिले में 24 गायों की मौत हुई है. कुल 1916 गायों की मौत हो चुकी है, जबकि 33787 इस बीमारी की चपेट में आई थीं. इनमें 27219 को उपचार से जोड़ा गया. 14913 पूरी तरह से रिकवर हुए हैं. शेष को उपचार से जोड़ने व उपचार देने का काम चल रहा है. जोधपुर शहर के बाहरी इलाके मंडोर तक बीमारी की दस्तक हो चुकी है. जिले में 23 टीमें काम कर रही हैं. जिले के बाप, फलोदी, बापिणी जैसे इलाकों में ज्यादा मामले सामने आए हैं.
इस तरह से हो सकता है बचाव :
- लंपी के लक्षण नजर आने पर उस पशु को स्वस्थ्य पशु से अलग करना जरूरी है. क्योंकि संक्रमित पशु पर बैठने वाली मक्ख्यिां व अन्य कीड़े-मकोड़े ही दूसरे में यह रोग फैलाते हैं. अगर बाड़ा बड़ा है तो 200 फीट तक की दूरी रखें. 15 दिन उपचार से लंपी के लक्षण ठीक हो जाते हैं.
- पशु बाड़े में सूखे नीम के पत्ते जलाकर सुबह-शाम धुंआ करें, जिससे इंसेक्ट कंट्रोल होता है. इसके अलावा कीटनाशक का छिड़काव भी नियमित करने की जरूरत है. इसके अलावा बाड़े में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें.
- इन दिनों पशुओं को हरा चारा व पौष्टिक भोजन देने की आवश्यकता है. पशु दुधारू नहीं है तो भी उसे अच्छा बांटा देने की जरूरत है, जिससे प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे.
- लक्षण आधारित उपचार शुरू करवाएं. बुखार आते ही पशु के नाक से पानी बहने लगता है. ऐसे में नजदीक के पशु स्वास्थ्य केंद्र को सूचित कर उपचार शुरू करें. प्रारंभिक चरण में ही उपचार देने से लंपी से बचा जा सकता है.
- अगर किसी बाड़े में लंबी से किसी पशु की मौत हो जाती है, उसे जमीन में गाड़ें, खुला नहीं फेंकें. खुले में फेंकने से ज्यादा मौतें हो रही हैं. डॉक्टरों के अनुसार कम से कम डेढ़ मीटर यानि की पांच फीट का गड्ढा खोदकर मृत पशु को दफनाएं.
- बीमार पशु मालिक को लगातार पशु स्वास्थ्य केंद्र के संपर्क रहना चाहिए. हालात से अवगत करवाते रहें, साथ ही सर्वे में पूरी जानकारी दें.
- जब भी सरकार की ओर से टीके लगवाएं जाएं तो इसमें देरी नहीं करें, नजदीक के केंद्र से संपर्क कर पशु को टीका लगवाएं.