जोधपुर. प्रदेश के सीमावर्ती जिलों में गत 9 माहिनों से हो रहे टिड्डी दलों के हमलों से दो-दो हाथ कर रहे टिड्डी चेतावनी संगठन के तकनीकी कर्मचारियों पर खतरा मंडराने लगा है. इस कार्य के लिए काम मे लिए जा रहे पेस्टिसाइड्स के दुष्प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है.
दरअसल, जोधपुर स्थित टिड्डी चेतावनी संगठन (एलडब्ल्यूओ) के कई तकनीशियनों के शरीर में एसिटाइल कॉलिन एंजाइम बढ़ने गया है, जिससे मस्तिष्क विकार से संबंधित और आंखों में दिक्कत की शिकायतें मिल रही हैं. यह परेशानी मैलाथिन ऑर्गेनाफोस्फेट पेस्टीसाइड के उपयोग से हो रही है. जिसका सीधा असर मस्तिष्क क्रियाओं पर होता है.
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सैंपल भेजे जाएंगे ग्वालियर...
एसिटाइल कॉलिन एंजाइम की जांच जोधपुर में नहीं होती है. ऐसे में एलडब्ल्यूओ की ओर से केंद्र सरकार को इसकी सूचना देने पर ग्वालियर से रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों की टीम जोधपुर में इन कर्मचारियों के रक्त के सैंपल मथुरादास माथुर अस्पताल में ले रही है. टीम 2 से 3 दिनों में 60 से अधिक तकनीशियन के सैंपल लेकर ग्वालियार जाएगी.
टिड्डी चेतावनी संगठन के उपनिदेशक डॉ. के एल गुर्जर ने बताया कि जांच रिपोर्ट के बाद तकनीशियनों का इलाज किया जाएगा. संगठन के कर्मचारी ओमप्रकाश के मुताबिक आंखों की परेशानी के साथ-साथ स्किन पर प्रभाव पड़ रहा है. साथ ही कुछ लोगों की बॉडी लैंग्वेज बदल गई है. इससे पहले लगातर काम कर रहे एक कर्मचारी को हार्ट की परेशानी हुई, जबकि संगठन के कई ड्राइवर की तबियत बिगड़ने पर इलाज के लिए भेजा जाता रहा है.
आंखों पर पड़ रहा प्रभाव...
संगठन के अन्य कर्मचारी प्रमोद गौड़ बताते है कि आंखों की परेशानी ज्यादा है. इसके अलावा थकावट महसूस होने लगी है. गौड़ का कहना है कि, विपरीत हवा के दौरान आए टिड्डी दल को नियंत्रित करने के लिए जब पेस्टिसाइड्स का छिड़काव होता है, तो ज्यादा खतरनाक साबित होता है. एमडीएम अस्पताल के नेत्र रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद चौहान का कहना है कि, कर्मचारियों की शिकायत है कि उन्हें दिखना कम हो रहा है. हम इनकी जांच कर रहे हैं.
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हिटलर ने किया था प्रयोग...
मेथालिन ऑर्गेनाफोस्फेट पेस्टीसाइड का इतिहास बहुत बुरा है. दूसरे विश्व युद्ध में इसका प्रयोग हिटलर ने किया था. इसे नर्व एजेंट के नाम से भी जाना जाता है. जिसका सीधा असर मस्तिष्क पर होता है. इसके दुष्प्रभाव से आंख की पुतली छोटी हो जाती है. ऑर्गेनोफास्फेट के अत्यधिक उपयोग से लकवा, कोमा, स्मृति दोष, दृष्टिदोष हो सकता है.
26 साल बाद हुआ भारी उपयोग...
राजस्थान में करीब साल बाद टिड्डियों का इतना बड़ा हमला हुआ है. इससे निपटने के टिड्डी चेतावनी संगठन के 100 से भी ज्यादा तकनीशियन अब तक 3 लाख लीटर से अधिक मैलाथिन पेस्टीसाइड का उपयोग कर चुके हैं. यह हमला पिछले साल 21 मई को हुआ था, जो अभी तक जारी है