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कंपनी ने छोड़ा मजदूरों का साथ, खाली जेब ही घर जाने के लिए पचपदरा से पैदल निकले श्रमिक - Pachpadra to go home

जोधपुर के पचपदरा स्थित रिफाइनरी प्रोजेक्ट के मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है. गौरतलब है कि मजदूरों की जेब खाली हो चुकी है और कंपनी ने भी कोई सहायता नहीं दी. जिसके बाद मजदूर घर जाने की उम्मीद के साथ रिफाइनरी साइट से जोधपुर तक करीब सौ किमी का पैदल सफर कर चुके हैं.

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पचपदरा से पैदल निकले मजदूर
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Published : May 6, 2020, 5:48 PM IST

जोधपुर. पूरे देश में प्रवासी मजूदरों को उनके घर पहुंचाने के लिए कवायद चल रही है. इस बीच राजस्थान सरकार के सबसे बडे और महत्कांवाक्षी पचपदरा स्थित रिफाइनरी प्रोजेक्ट के मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है. ज्यादातर मजदूर बिहार के रहने वाले है. इनकी जेब खाली है, लेकिन घर जाने की पूरी उम्मीद के साथ रिफाइनरी साइट से जोधपुर तक करीब सौ किमी का पैदल सफर कर चुके हैं.

घर जाने के लिए पैदल निकले मजदूर

जोधपुर बस स्टेंड के पास स्थित पावटा सब्जी मंडी परिसर में ऐसे लोगों को सर्वसमाज द्वारा रोका गया है और भोजन की व्यवस्था की गई है. पचपदरा से ऐसे मजदूरों का पहला जत्था मंगलवार को जोधपुर पहुंच गया, इसमें 50 लोग हैं. मजदूरों ने बताया कि हमारे कई साथी अभी पैदल चल रहे हैं. हमें अपने गांव जाना है, लेकिन पैसे नहीं है. वहीं कंपनी ने कोई सहायता नहीं दी उल्टा जिम्मेदारी से हाथ खींच लिए.

पढ़ेंः राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने लिया ओलावृष्टि प्रभावित क्षेत्रों का जायजा, CM गहलोत से की ये मांग

मजदूरों का कहना है कि हमें कानपुर में काम देने की बात कह कर लाया गया था, लेकिन बाद में पचपदरा भेज दिया गया. 21 अप्रेल को काम शुरू हुआ लेकिन अगले दिन ही वापस बंद हो गया. कंपनी ने हिसाब किया लेकिन पैसे नहीं दिए और कह दिया कि अपनी रिस्क पर कहीं पर भी जा सकते हैं. अब आस एक ही है कि कैसे भी घर पहुंच जाए.

जोधपुर. पूरे देश में प्रवासी मजूदरों को उनके घर पहुंचाने के लिए कवायद चल रही है. इस बीच राजस्थान सरकार के सबसे बडे और महत्कांवाक्षी पचपदरा स्थित रिफाइनरी प्रोजेक्ट के मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है. ज्यादातर मजदूर बिहार के रहने वाले है. इनकी जेब खाली है, लेकिन घर जाने की पूरी उम्मीद के साथ रिफाइनरी साइट से जोधपुर तक करीब सौ किमी का पैदल सफर कर चुके हैं.

घर जाने के लिए पैदल निकले मजदूर

जोधपुर बस स्टेंड के पास स्थित पावटा सब्जी मंडी परिसर में ऐसे लोगों को सर्वसमाज द्वारा रोका गया है और भोजन की व्यवस्था की गई है. पचपदरा से ऐसे मजदूरों का पहला जत्था मंगलवार को जोधपुर पहुंच गया, इसमें 50 लोग हैं. मजदूरों ने बताया कि हमारे कई साथी अभी पैदल चल रहे हैं. हमें अपने गांव जाना है, लेकिन पैसे नहीं है. वहीं कंपनी ने कोई सहायता नहीं दी उल्टा जिम्मेदारी से हाथ खींच लिए.

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मजदूरों का कहना है कि हमें कानपुर में काम देने की बात कह कर लाया गया था, लेकिन बाद में पचपदरा भेज दिया गया. 21 अप्रेल को काम शुरू हुआ लेकिन अगले दिन ही वापस बंद हो गया. कंपनी ने हिसाब किया लेकिन पैसे नहीं दिए और कह दिया कि अपनी रिस्क पर कहीं पर भी जा सकते हैं. अब आस एक ही है कि कैसे भी घर पहुंच जाए.

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