जोधपुर. राजस्थान सरकार ने प्रदेश के पूर्णत: सरकारी, राजस्थान मेडिकल एजुकेशन सोसायटी, हेल्थ यूनिवर्सिटी के मेडिकल कॉलेज व झालावाड़ मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप की सीटें बढ़ा (Internship seats increased for MBBS students in Rajasthan) दी हैं. इसका सीधा फायदा विदेश से एमबीबीएस करने वालों को होगा. विदेश से एमबीबीएस करने के बाद भारत में नेशनल मेडिकल कमीशन की ओर से आयोजित होने वाली परीक्षा पास करने के बाद ऐसे अभ्यर्थियों को इंटर्नशिप करनी होती है. सीटें बढ़ने से ऐसे छात्रों को फायदा मिलेगा.
राजस्थान से बड़ी संख्या में छात्र विदेश से एमबीबीएस कर रहे हैं. उनके वापस यहां इंटर्नशिप करने के लिए सीटों की संख्या कम होने के चलते राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह निर्णय लिया है. इसके तहत नए सेशन से प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अब 1400 से ज्यादा इंटर्नशिप की सीटें कर दी गई हैं. इससे पहले मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीटों के 7.5 फीसदी अतिरिक्त सीटों पर बाहर के छात्रों को इंटर्नशिप की अनुमति थी. 16 फरवरी को ही विभाग के संयुक्त शासन सचिव इकबाल खान ने इसके आदेश जारी किए हैं.
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6 बड़ी कॉलेजों में बढ़ीं 900 सीटें: प्रदेश के जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, अजमेर व बीकानेर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जहां एमबीबीएस की 250 सीटें हैं. यहां नए सत्र से 400-400 छात्रों को इंटर्नशिप के लिए अनुमति दी गई है. इन छह कॉलेज में ही 900 इंटर्नशिप की सीटें बढाई गई हैं. इनके अलावा राजस्थान मेडिकल एजूकेशन सोसायटी के मार्फत चलने वाली बाड़मेर, चूरू, भरतपुर, डूंगरपुर, पाली, भीलवाड़ा, सीकर, झालावाड़ व आरयूएचस मेडिकल कॉलेज में 200-200 छात्रों को इंटर्नशिप की अनुमति दी गई है. इन कॉलेजों में कुल 520 सीटें बढ़ेंगी.
एफएमजीई पास करने वालों की संख्या बढ़ी: विदेश से एमबीबीएस करने के बाद फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एग्जाम का आयोजन भारत में (Foreign Medical Graduates Examination in India) होता है. एक दो साल से इस एग्जाम को पास करने वाले छात्रों की संख्या बढ़ी है. जिसके चलते इंटर्नशिप की सीटों की मांग भी बढ़ी है. दिसंबर में हुई इस परीक्षा में बड़ी संख्या में छात्रों ने भारत में इंटर्नशिप करने की अर्हता हासिल की है, जिसके चलते प्रदेश सरकार ने यह निर्णय लिया है.
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एक साल की फीस दो लाख रुपए: विदेश से एमबीबीएस करने वालों को सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक साल की इंटर्नशिप के लिए दो लाख रुपए की फीस देनी होगी. इसके अलावा प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेज से छात्र को सरकारी मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप के लिए 75 हजार रुपए फीस देनी होगी. इन्हें किसी तरह का मानदेय नहीं मिलेगा. जबकि सरकारी मेडिकल कॉलेज के छात्र को इंटर्नशिप की अवधि में 17 हजार रुपए मासिक स्टाइपेंड मिलता है.