जयपुर : राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने बॉलीवुड की मशहूर फिल्म शोले के अंदाज में नकलचियों को चेताया है. उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शोले फिल्म के वीरू के अंदाज में कहा कि नकल करने की सोच रहे हैं तो याद रखना, पकड़े गए तो हवालात की सैर और चक्की पीसिंग एंड पीसिंग एंड पीसिंग हो जाएगा और वो भी कम से कम 10 साल के लिए.
भर्ती परीक्षाओं को पारदर्शी बनाने और डमी कैंडिडेट को रोकने के उद्देश्य से राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड नए-नए पहल कर रहा है. कभी एग्जाम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, कभी बायोमेट्रिक अटेंडेंस, कभी सीसीटीवी कवरेज तो कभी हैंडराइटिंग के नमूने लेने जैसे कई प्रयोग करते हुए परीक्षाओं में अनियमितता रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं.
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बोर्ड के ऑफिसर ने आज मुझे बोला साब ये क्या कर दिया अब तो लड़के नाड़े में कारतूस छुपा कर लाएंगे। सच्ची? मुझे नहीं लगता कि लोग ऐसा करेंगे? मगर जो करने की सोच रहे हों याद रखना, पकड़े गए तो हवालात की सैर एंड चक्की पीसिंग एंड पीसिंग एंड पीसिंग हो जायेगा और वोभी कम से कम 10 साल के लिए। https://t.co/M1HSbzFlWy
— Alok Raj (@alokrajRSSB) January 20, 2025
इसी क्रम में हाल ही में कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से मुख्य द्वार पर ही डीटेल्ड फ्रिस्किंग भी शुरू की गई है, जिसके तहत मेटल डिटेक्टर से अभ्यर्थियों की जांच की गई. इसमें पाया गया कि मेटल जिप वाली पैंट, जींस और जैकेट की वजह से मेटल डिटेक्टर में बीप की आवाज आई और अभ्यर्थियों की गहनता से चेकिंग करनी पड़ी. ऐसे में कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष मेजर जनरल आलोक राज ने ड्रेस कोड में ही बदलाव करने का एलान कर दिया और मेटल जिप वाले पैंट, जींस और जैकेट की बजाय पजामा कुर्ता पहनने की हिदायत दी. इसपर विवाद शुरू हुआ. बड़ी संख्या में अभ्यार्थियों और छात्र संगठनों ने इस फैसले को वापस लेने की मांग की.
शोले के अंदाज में चेतावनी : वहीं, ड्रेस कोड में किए गए बदलाव को लेकर कर्मचारी चयन बोर्ड कार्यालय पर मंथन भी हुआ, जिसके बारे में बोर्ड अध्यक्ष आलोक राज ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा कि 'बोर्ड के ऑफिसर ने आज मुझे बोला साब ये क्या कर दिया अब तो लड़के नाड़े में कारतूस छुपा कर लाएंगे. सच्ची? मुझे नहीं लगता कि लोग ऐसा करेंगे. मगर जो करने की सोच रहे हों याद रखना, पकड़े गए तो हवालात की सैर एंड चक्की पीसिंग एंड पीसिंग एंड पीसिंग हो जायेगा और वो भी कम से कम 10 साल के लिए.' इस बयान पर कुछ अभ्यर्थियों ने उन्हें सोशल मीडिया पर शब्दों की गरिमा का ध्यान रखने की नसीहत दी. वहीं, कुछ अभ्यर्थियों ने पत्तों से बने कपड़ों की फोटो शेयर कर ड्रेस कोड में बदलाव करने की मांग रखी.