जोधपुर. प्रदेश के दूसरे बडे़ शहर जोधपुर में खाद्य पदार्थों में मिलावट का स्तर लगातार बढ़ रहा है. खास तौर से स्वाद बढ़ाने वाले मसाले और घी में सर्वाधिक मिलावट के मामले सामने आ रहे हैं. साल 2020 मेंं अब तक लिए गए 144 नमूनों में से 33 नमूने जांच में मिलावटी पाए गए हैं. इनमें भी 17 को पूरी तरह से खाने के लिए आयोग्य यानी अनसेफ घोषित किया गया है. इनमें सर्वाधिक मसाले के नमूने हैं. इसके अलावा मिसब्रांड और आमनक की भी बड़ी संख्या है. वहीं, बीते 3 साल में कुल 180 नमूने जांच में फेल हो गए हैं. कुल मिलाकर 3 साल मेंं लिए गए नमूनों में करीब 27 फीसदी जांच में खरे नहीं उतरे हैं. यानी की एक चौथाई सामान मिलावटी या सब स्टैंडर्ड का बिक रहा है.
पढ़ें: SPECIAL : महामारी के दौर में शुरू हुई online क्लास, किताबें बेचने और छापने वालों पर छाया संकट
जोधपुर के सीएमएचओ डॉ. बलंवत मंडा का कहना है कि निरोगी राजस्थान अभियान के तहत लगातार नमूने लेने का काम चल रहा है. जल्द ही एक चल प्रयोगशाला भी जोधपुर में लांच की जाएगी, जिससे मिलावट का संदेह होने पर नमूनों की जांच और बढ़ेगी. डॉ. बलंवत मंडा के अनुसार खाद्य सामग्री के नमूने लेने में जोधपुर पूरे प्रदेश में अग्रणी है. ये क्रम चलता रहा है. वहीं, जोधपुर के खाद्य सुरक्षा अधिकारी रजनीश शर्मा का कहना है कि हाल ही में लिए गए नमूनों में काला नमक तक जांच में खरा नहीं उतरा है. इसके अलावा घी और मसाले भी मिलावटी सामने आए हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई का प्रोसेस शुरू हो चुका है.
वर्ष कुल सैंपल अमानक मिसब्रांड खाने में अयोग्य
2018 259 33 15 25
2019 282 35 18 21
2020 144 09 07 17
बता दें कि वर्तमान में मिलावट के मामलों पर फूड एंड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई होती है, जिसमें ज्यादातर मामलों में जुर्मााने का ही प्रावधान किया गया है. ऐसे मिस ब्रांड और सब स्टैंडर्ड के मामलों में मिलावट करने वाले जुर्माना देकर छूट जाते हैं. ऐसे मामलों के जानकार और पूर्व खाद्य सुरक्षा अधिकारी रहे मूलचंद व्यास का कहना है कि फूड एंड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के प्रावधानों में ऐसे मिलावट, जो हानिकारिक नहीं हैं, उसमें 5 हजार से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना तय किया गया है. अगर घी में खाद्य तेल मिला हुआ पाया जाता है तो उसे हानिकारक नहीं मानकर जुर्माना भरवाया जाता है, जबकि 1954 के पुराने एक्ट में इस तरह के मामलों को भी मिलावट की श्रेणी में मानकर कार्रवाई होती थी. यही कारण है कि जानबूझ कर सबस्टैंडर्ड खाद्य सामग्री बनाकर बाजार में उतारी जाती है. इससे मिलावट करने वालों के हौसले बुलंद हैं.
पूर्व खाद्य सुरक्षा अधिकारी के मुताबिक मिलावट करने वाले जब तक पकड़ में आते हैं, तब तक बड़ा मुनाफा कमा चुके होते हैं. इसके बाद वो जुर्माना भरते हैं तो भी वो इतना नहीं होता है, जिससे उनको नुकसान हो. यही कारण है कि जोधपुर में खाद्य विभाग बीते कुछ समय में 3 लाख रुपये का ही जुर्माना वसूल सका है, जबकि इसके उलट मिलावटी सामन बेचने वाले लोगों को कई रोग दे चुके हैं.
सिर्फ अनसेफ में होती है कानूनी कार्रवाई
नए एक्ट के मुताबिक जांच में जो नमूने अनसेफ यानी खाने योग्य नहीं माना जाते हैं, न्यायालय में उन्हीं को लेकर कार्रवाई होती है. इसके तहत 2018 में 25, 2019 में 18 और 2020 में 2 मामलों में न्यायालय में मुकदमे दर्ज किए गए हैं. 2018 और 2019 में 3-3 लाख रुपये का जुर्माना वसूला गया है.