जोधपुर. कोरोना संक्रमण का असर कम होने के साथ ही अब ब्लैक फंगस के मामलों में वृद्धि होने लगी है. यही कारण है कि मथुरादास माथुर अस्पताल में इसके लिए अलग से वार्ड बनाया गया है. वर्तमान में इस वार्ड में 21 मरीज भर्ती हैं, जिनमें 15 के ऑपरेशन हो चुके हैं. वहीं, कोरोना से संक्रमित मरीजों में ब्लैक फंगस होना जहां सामान्य है, लेकिन यहां ऐसे मरीज भी आ रहे हैं जिन्हें कोरोना नहीं हुआ था. इसके अलावा ऐसे मरीज भी ब्लैक फंगस के शिकार हो रहे हैं जिन्हें ऑक्सीजन थेरेपी भी नहीं दी गई.
फिलहाल, राहत की बात यह है कि अस्पताल में ब्लैक फंगस के उपचार में काम आने वाले सभी तरह के इंजेक्शन उपलब्ध हैं और मरीजों को मुहैया करवाए जा रहे हैं. अस्पताल प्रबंधन ने ईएनटी डिपार्टमेंट के डॉक्टरों को शामिल कर एक डेडिकेट वार्ड बनाया है और ये टीम ही इन मरीजों का उपचार कर रही है.
ब्लैक फंगस के 80 फीसदी मरीज पोस्ट कोविड मरीज
इस टीम में शामिल ईएनटी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर महिंद्रा श्री का कहना है कि अभी जो मरीज ब्लैक फंगस के आ रहे हैं, उनमें से 70 से 80 फीसदी पोस्ट कोविड मरीज हैं. लेकिन, बाकी मरीज ऐसे हैं जिन्हें कोरोना नहीं हुआ है. महिंद्रा श्री का कहना है कि जिन मरीजों के ऑपरेशन करने पड़ रहे हैं वे काफी देरी से यहां पहुंच रहे हैं, जिनके चलते उनके चेहरे के कई हिस्सों को डॉक्टरों को निकालना पड़ रहा है.
नेत्र रोग विभाग के डॉक्टर अरविंद चौहान का कहना है कि अब ब्लैक फंगस को लेकर थोड़ी जागरूकता हुई है. ऐसे में मरीज समय पर आ रहे हैं, जिनके ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी. हमने यहां 40 बेड का इंतजाम इन मरीजों के लिए कर रखा है. अस्पताल के अधीक्षक डॉ. एमके आसेरी का कहना है कि फिलहाल जितने भी मरीज आ रहे हैं, उनके लिए ब्लैक फंगस में काम आने वाले सभी इंजेक्शन हमें उपलब्ध हो रहे हैं और हम मरीजों को लगातार दे रहे हैं.
एम्स में दवाइयों का टोटा
जोधपुर एम्स में 50 से ज्यादा ब्लैक फंगस के मरीज अब तक सामने आ चुके हैं, जिनमें कई अभी भर्ती भी हैं. लेकिन, यहां दवाइयों की कमी के कारण लोगों को काफी परेशान हो रही है. यही कारण है कि यहां भर्ती एक मरीज के लिए सोनू सूद ने मुंबई से एम्फोटेरिसिन बी 10 इंजेक्शन उपलब्ध करवाए हैं.