जोधपुर. प्रदेश में इस साल कांग्रेस के राजनीतिक दृष्टि से जुड़ा बड़ा घटनाक्रम रहा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत का लोकसभा चुनाव हारना रहा. यह चुनाव अगर केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत हार जाते तो शायद इतनी चर्चा नहीं होती, जितनी चर्चा वैभव गहलोत के चुनाव हारने से हुई.
वैभव के चुनाव के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूरा जोर लगा दिया. गहलोत कई दिनों तक जोधपुर में टिके रहे पूरे परिवार ने शहर की गलियों में रोड शो किए. लेकिन वैभव को सफलता नहीं दिला पाए. वैभव के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अलावा जहां सचिन पायलट ने भी सभाएं की.
वहीं, गजेंद्र सिंह शेखावत के समर्थन में प्रधानमंत्री मोदी ने सभा की. इस सभा से ही अशोक गहलोत और नरेंद्र मोदी के बीच बयानबाजी का दौर शुरू हुआ जो अभी तक जारी है. इस चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की साख दांव पर लगी थी. गहलोत ने अपनी सरकार के काम के नाम पर वोट मांगे थे.
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लेकिन मोदी लहर में वे अपने बेटे को हार से नहीं बचा पाए. हालात ऐसे बन गए कि सरदारपुरा विधानसभा क्षेत्र से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनाव जीते और यह उनका गढ़ माना जाता है. लेकिन वहां भी वैभव गहलोत बढ़त नहीं बना पाए. लेकिन शेखावत की 2014 की करीब पांच लाख मतों की जीत का अंतर कम कर दिया. इस चुनाव में गजेंद्र सिंह शेखावत को 7 लाख 88 हजार 888 मत प्राप्त हुए.
उन्होंने वैभव गहलोत को 2 लाख 74 हजार 440 मतों से हराया. खास बात यह रही कि मई में जहां लोकसभा चुनाव हुए थे. उससे करीब 6 माह पहले ही विधानसभा चुनावों में जोधपुर संसदीय क्षेत्र की 8 में से 6 सीटें कांग्रेस ने जीती थी. लेकिन एक भी कांग्रेसी विधायक वैभव गहलोत को अपने क्षेत्र में बढ़त नहीं दिला सका.