जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने जेल में आने वाले बंदियों से जाति आधारित करवाए जा रहे कार्यों को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को आवश्यक निर्देशों के साथ जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं. उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता व न्यायाधीश देवेन्द्र कच्छवाहा की खंडपीठ में मनोज यादव व अन्य की याचिका पर सुनवाई हुई.
न्यायालय के समक्ष आई एक रिपोर्ट के अनुसार जेलों में जाति आधारित काम के अस्तित्व के बारे में एक वेबसाइट पर प्रकाशित राजस्थान की जेलों में असाइनमेंट सिस्टम है. रिपोर्ट राष्ट्रमंडल मानवाधिकार के शोध पत्र पर आधारित (CHRI) सीएचआरआई के शोधकर्ता ने विभिन्न राजस्थान की जेलों के कैदियों के साक्षात्कार लिए. जिसमें ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि अब तक जेल मैनुअल, जो ब्रिटिश राज का एक उपहार था, जो जेल में प्रचलित है.
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रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति, जो राज्य की जेल में प्रवेश करता है, उसकी जाति के बारे में पूछा जाता है और एक बार उसकी पहचान कर ली जाती है. मैनुअल जॉब जैसे कि शौचालय की सफाई, जेलों की सफाई आदि अपराध की प्रकृति की परवाह किए बिना समाज में सबसे कम पारिस्थितिकी वाले व्यक्तियों को सौंपा गया. अतिरिक्त महाधिवक्ता फरजंद अली ने कहा कि राजस्थानो की जेलों में किसी को मजबूर नहीं किया जाता है. इसके अलावा न्यायालय के निर्देशों की पालना की जाएगी. न्यायालय ने कहा कि जेलों में सफाई के लिए स्वचालित सिस्टम लागू किया जाए. 4 फरवरी 2021 को अगली सुनवाई होगी.