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सरकार पेश करे स्टेटस रिपोर्ट नहीं तो मुख्य सचिव खुद पेश हो : हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य केंद्रों को पीपीपी मोड पर निजी संस्थानों को देने वाली योजना पर स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं करने नाराजगी जताई है. सरकार ने स्टेटस रिपोर्ट के लिए और समय देने की मांग की. इस पर कोर्ट ने गुरुवार तक रिपोर्ट पेश करने और रिपोर्ट पेश नहीं होने पर मुख्य सचिव को पेश होने के आदेश दिए हैं.

स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं होने पर HC ने जताई नाराजगी
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Published : Jul 1, 2019, 11:31 PM IST

जोधपुर. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को पीपीपी मोड पर निजी संस्थानों को सुपुर्द करने वाली योजना पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश रविंद्र भट्ट एवं न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए सरकार द्वारा और समय मांगे जाने पर सख्त रवैया अपनाते हुए गुरुवार तक किसी भी हालत में रिपोर्ट पेश करने के कड़े निर्देश दिए. साथ ही कहा कि अगर रिपोर्ट पेश नहीं की जाती है तो मुख्य सचिव खुद पेश हो.

स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं होने पर HC ने जताई नाराजगी

कुल 9 में से 7 जनहित याचिकाओं में वकील ऋतुराज सिंह एवं महिपाल सिंह ने पैरवी करते हुए कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं के गांव में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं सामुदिक स्वास्थ्य केन्द्रों को पीपीपी मोड पर निजी संस्थानों को सुपुर्द करने वाली योजना पर पहले ही हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा रखी है. यह भी बताया कि इस योजना से स्वास्थ्य सेवाओं का बाजारीकरण हो जाएगा. क्योंकि कई निजी अस्पताल समूहों को भी सरकारी अस्पताल चलाने का ठेका दिया गया है. कर्नाटक सरकार द्वारा इसी प्रकार की आरोग्य बंधू योजना बंद कर दी गई है. कई स्थानों पर निजी संस्थानों ने खुद अस्पताल का ठेका छोड़ दिया है.

सुनवाई में सरकार को एक रिपोर्ट द्वारा कोर्ट को अवगत कराना था कि किन-किन जगहों पर निजी संस्थानों के टेंडर वापस ले लिए गए हैं. और जहां संस्थानें अस्पताल चला रही है वहां पर स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति है. इस संबंध में सरकार द्वारा बार बार रिपोर्ट पेश करने में देरी के चलते हाईकोर्ट ने आखिरी चेतावनी देते हुए निर्देश दिए कि यदि इस बार रिपोर्ट पेश नहीं की गई तो मुख्य सचिव खुद पेश हो.

जोधपुर. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों को पीपीपी मोड पर निजी संस्थानों को सुपुर्द करने वाली योजना पर सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश रविंद्र भट्ट एवं न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी की खंडपीठ ने स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए सरकार द्वारा और समय मांगे जाने पर सख्त रवैया अपनाते हुए गुरुवार तक किसी भी हालत में रिपोर्ट पेश करने के कड़े निर्देश दिए. साथ ही कहा कि अगर रिपोर्ट पेश नहीं की जाती है तो मुख्य सचिव खुद पेश हो.

स्टेटस रिपोर्ट पेश नहीं होने पर HC ने जताई नाराजगी

कुल 9 में से 7 जनहित याचिकाओं में वकील ऋतुराज सिंह एवं महिपाल सिंह ने पैरवी करते हुए कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ताओं के गांव में स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों एवं सामुदिक स्वास्थ्य केन्द्रों को पीपीपी मोड पर निजी संस्थानों को सुपुर्द करने वाली योजना पर पहले ही हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा रखी है. यह भी बताया कि इस योजना से स्वास्थ्य सेवाओं का बाजारीकरण हो जाएगा. क्योंकि कई निजी अस्पताल समूहों को भी सरकारी अस्पताल चलाने का ठेका दिया गया है. कर्नाटक सरकार द्वारा इसी प्रकार की आरोग्य बंधू योजना बंद कर दी गई है. कई स्थानों पर निजी संस्थानों ने खुद अस्पताल का ठेका छोड़ दिया है.

सुनवाई में सरकार को एक रिपोर्ट द्वारा कोर्ट को अवगत कराना था कि किन-किन जगहों पर निजी संस्थानों के टेंडर वापस ले लिए गए हैं. और जहां संस्थानें अस्पताल चला रही है वहां पर स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति है. इस संबंध में सरकार द्वारा बार बार रिपोर्ट पेश करने में देरी के चलते हाईकोर्ट ने आखिरी चेतावनी देते हुए निर्देश दिए कि यदि इस बार रिपोर्ट पेश नहीं की गई तो मुख्य सचिव खुद पेश हो.

Intro:बार-बार कहने के बावजूद सरकार द्वारा स्टेटस रिपोर्ट नहीं पेश करने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी गुरुवार तक का दिया समय


Body:जोधपुर। सरकारी प्राथमिक स्वस्थ्य केन्द्रो एवं सामुदिक स्वास्थ्य केन्द्रो को पिपिपि मोड पर निजी संस्थानों को सुपुर्द करने वाली योजना पर की सुनवाई करते हुवे माननीय मुख्य न्यायधीश एवं न्यायधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी की खंड पीठ ने सरकार द्वारा स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के लिए और समय मांगे जाने पर सख्त रवैया अपनाते हुवे गुरुवार तक किसी भी हालत में रिपोर्ट पेश करने के कड़े निर्देश दिए है| साथ ही यह भी आदेशित किया की अगर रिपोर्ट पेश नहीं की जाती है तो मुख्य सचिव खुद गुरुवार को पेश हो| कुल 9 में से 7 जन हित याचिकाओं मे अधिवक्ता ऋतुराज सिंह एवं महिपाल सिंह द्वारा पैरवी करते हुवे कोर्ट को बताया गया याचिकाकर्ताओं के गांव में स्थित सरकारी प्राथमिक स्वस्थ्य केन्द्रो एवं सामुदिक स्वास्थ्य केन्द्रो को पिपिपि मोड पर निजी संस्थानों को सुपुर्द करने वाली योजना पर पहले ही उच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक लगा रखी है| यह भी बताया गया की इस योजना से स्वास्थ्य सेवाओं को बाजारीकरण हो जायेगा क्यूंकि कई निजी अस्पताल समूहों को भी सरकारी अस्पताल चलाने का ठेका दिया गया है| कर्नाटक सरकार द्वारा इसी प्रकार की योजना जिसका नाम आरोग्य बंधू था बंद कर दी गई| कई स्थानों पर निजी संस्थान जिन्हे अस्पताल का ठेका दिया गया था खुद छोड़ चुकी है एवं आम जनता द्वारा कई बार निजी संसथान के डॉक्टर उपलब्ध नहीं होने की वजह एवं स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलने से समय समय पर विरोध प्रदर्शन किया जाता रहा है| सरकार को एक रिपोर्ट द्वारा कोर्ट को अवगत करना था की किन किन जगह निजी संस्थानों के टेंडर वापिस ले लिए गए है एवं जहा संस्थाने अस्पताल चला रही है वहा स्वास्थ्य सेवाओं की क्या स्थिति है| इस सम्बन्ध मे सरकार द्वारा बार बार रिपोर्ट पेश करने में देरी के चलते उच्च न्यायालय ने आखिरी चेतावनी देते हुवे निर्देश दिए की यदि इस बार रिपोर्ट पेश नहीं की गई तो मुख्य सचिव खुद पेश हो|





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