जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने चुनाव के दौरान धार्मिक स्थलों में बैठक करना, चुनाव में जाति विशेष का उपयोग करना और वोटर लिस्ट में जातिय सरनेम के आधार पर तैयार करने पर दायर याचिका में केन्द्र निर्वाचन आयोग और राज्य निर्वाचन आयोग सहित राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांती और न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने संत वैदेही बलभ देव आचार्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर नोटिस जारी करते हुए दो अगस्त को जवाब तलब किया है.
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अधिवक्ता मोतीसिंह राजपुरोहित के जरिए पेश याचिका में बताया गया कि जाति और धर्म के आधार पर चुनाव में कैम्पिंग की जाती है जिसमें विशेषकर उम्मीदवार वोटर को आकर्षित करने के लिए मंदिर, मठ, आश्रम, मजिस्द और चर्च में जाते हैं. उनका उदेश्य वहा पर जनता को एकत्र कर जाति और धर्म के नाम पर वोट हासिल करना. चुनाव में जाति का उपयोग करना प्रतिबंधित होने के बावजूद उम्मीदवार जाति का उपयोग वोट हासिल करने के लिए करते है उसे रोका जाए. निर्वाचन आयोग की ओर से तैयार की जाने वाले वोटर लिस्ट में भी जाति सरनेम लगाये जा रहे हैं जिनको रोका जाए.
देश और प्रदेश में जाति धर्म के आधार पर होने वाले चुनाव पर प्रतिबंध के लिए आवश्यक हैं कि चुनाव में राजनैतिक पार्टियों और उम्मीदवारों की ओर से धार्मिक स्थलों, जाति और धर्म का उपयोग किया जाता है उस पर प्रतिबंध लगाया जाए तो लोकतंत्र में स्वस्थ और निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न हो सकेंगे और सही मायने में लोकतांत्रिक पद्वति से चुनाव हो इसके लिए याचिका में उठाए गए मुद्दे पर न्यायालय की ओर से निर्देश जारी किये जाये. उच्च न्यायालय ने प्रारम्भिक सुनवाई करते हुए केन्द्र और राज्य चुनाव आयोग और मुख्य सचिव राजस्थान सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.