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कटारिया और तिवाड़ी ने नकारा पॉलिटिक्स में पूनिया का एज फॉर्मूला, कही ये बड़ी बात

पॉलिटिक्स में रिटायरमेंट को लेकर सतीश पूनिया का एज फॉर्मूला फिर विवादों में घिर गया है. राजस्थान भाजपा के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी राजनीति में रिटायरमेंट पर पूनिया के एज फॉर्मूले को नकार दिया है.

Kataria and tiwadi denied poonia age formula
Kataria and tiwadi denied poonia age formula
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Published : Aug 19, 2022, 4:07 PM IST

जयपुर. राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के पिछले दिनों आए बयान पर नया विवाद छिड़ गया है. पूनिया पॉलिटिक्स में रिटायरमेंट (retirement in politics) की उम्र 70 साल किए जाने के पक्ष में है लेकिन भाजपा के दिग्गज राजनेता गुलाबचंद कटारिया और सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने इस एज फार्मूले (Kataria and tiwadi denied poonia age formula) को सिरे से नकार दिया है.

ये दोनों ही राजनेता 70 की उम्र पार कर चुके हैं लेकिन प्रदेश की राजनीति में इनकी सक्रियता किसी भी युवा नेता से कम नहीं है. यही कारण है कि गुलाबचंद कटारिया आज प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के पद पर काबिज हैं तो वहीं घनश्याम तिवाड़ी हाल ही में भाजपा से राज्यसभा सांसद के पद पर निर्वाचित हुए हैं. ऐसे में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पॉलिटिक्स में दिए गए इस एज फार्मूले (Satish Poonia age formula) पर ईटीवी भारत ने इन दोनों ही दिग्गज राजनेताओं से बात कर जानना चाहा कि आखिर राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र या मापदंड क्या होना चाहिए.

कटारिया और तिवाड़ी ने नकारा पूनिया का एज फॉर्मूला

पढ़ें. पूनिया के एज फार्मूले से अनुभवी नेता नहीं रखते इत्तेफाक, बोले- यह उनके व्यक्तिगत रुचि का बयान

कटारिया ने दिया भैरोंसिंह, अटल और देसाई का उदहारण
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (BJP leader Gulabchand kataria0 से जब पॉलिटिक्स में रिटायरमेंट को लेकर सतीश पूनिया के एज फार्मूले को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने पूनिया उसे सिरे से नकार दिया. कटारिया ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी यदि कोई निर्णय लेती है तो वह सामूहिक ले और जो नीति बनाए वह एक-साथ पूरे देश में पार्टी के सभी लोगों पर लागू हो लेकिन कोई अपनी तरफ से राय न दे कि पॉलिटिक्स में रिटायरमेंट की उम्र 70 हो, 75 हो या 80 साल हो. कटारिया ने कहा कि मैंने अपनी इतने साल की राजनीति में जो अनुभव किया है उसमें ऐसे कई लोग थे जो इस उम्र के बाद भी बेहतर तरीके से राजनीति में सक्रिय रहे. उन्होंने पूर्व सीएम और उप राष्ट्रपति रहे भैरों सिंह शेखावत का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि अधिक उम्र में भी भैरों सिंह शेखावत ने उपराष्ट्रपति होते हुए सदन को परफेक्टली चलाया.

पढ़ें. राजनीति में रिटायरमेंट फार्मूला: देश में पूनिया फार्मूला लागू हो तो पीएम मोदी, वसुंधरा समेत राजस्थान के ये 17 नेता होंगे राजनीति से आउट

मोरारजी देसाई और अटल बिहारी वाजपेयी ने बढ़ती उम्र में भी एक अच्छे प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं. कटारिया ने कहा कि रिटायरमेंट में केवल उम्र ही नहीं बल्कि व्यक्ति के काम करने की सक्रियता और स्वास्थ्य को भी मापदंड बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से सोचते हैं कि 60 साल की उम्र तो हम जैसों की लड़ते-मिलते ही निकल जाती है और उसके बाद हम जनता के बीच प्रतिष्ठित पद और उस स्थिति में आ पाते हैं कि उनकी उम्मीदों पर खरा उतर सकें.

तिवाड़ी बोले- राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र तय करने के पक्ष में नहीं
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी (Rajya sabha MP Ghanshyam tiwadi) ने कहा कि वह राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र तय करने के पक्ष में नहीं हैं. तिवाड़ी के अनुसार यदि ऐसा होता है तो भाजपा ने हाल ही में येदुरप्पा को संसदीय बोर्ड बड़ी में जिम्मेदारी दी है जबकि उनकी उम्र करीब 78 वर्ष है. मतलब उम्र का राजनीति से कोई संबंध नहीं होता बल्कि संबंधित कार्यकर्ता या नेता का प्रभाव, सक्रियता और स्वास्थ्य देखा जाता है. हालांकि तिवारी ने यह भी कहा कि कुछ स्थानों पर नए लोगों को भी अवसर देने का प्रयत्न करना चाहिए ताकि राजनीति में प्रवाह बना रहे.

पढ़ें. खाचरियावास का पूनिया को जवाब...राजनीति में उम्र की बात करने वाले होते हैं कमजोर

पिछले दिनों जयपुर में हुए टॉक जर्नलिज्म के कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि उनकी राय में राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र 70 वर्ष होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा था कि वह तो 70 साल की उम्र के बाद सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट ले लेंगे. हालांकि पूनिया ने इसे अपनी व्यक्तिगत राय बताई थी लेकिन उनके इस बयान के बाद प्रदेश में राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र को लेकर एक नया विवाद छिड़ा हुआ है.

जयपुर. राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के पिछले दिनों आए बयान पर नया विवाद छिड़ गया है. पूनिया पॉलिटिक्स में रिटायरमेंट (retirement in politics) की उम्र 70 साल किए जाने के पक्ष में है लेकिन भाजपा के दिग्गज राजनेता गुलाबचंद कटारिया और सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने इस एज फार्मूले (Kataria and tiwadi denied poonia age formula) को सिरे से नकार दिया है.

ये दोनों ही राजनेता 70 की उम्र पार कर चुके हैं लेकिन प्रदेश की राजनीति में इनकी सक्रियता किसी भी युवा नेता से कम नहीं है. यही कारण है कि गुलाबचंद कटारिया आज प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष के पद पर काबिज हैं तो वहीं घनश्याम तिवाड़ी हाल ही में भाजपा से राज्यसभा सांसद के पद पर निर्वाचित हुए हैं. ऐसे में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के पॉलिटिक्स में दिए गए इस एज फार्मूले (Satish Poonia age formula) पर ईटीवी भारत ने इन दोनों ही दिग्गज राजनेताओं से बात कर जानना चाहा कि आखिर राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र या मापदंड क्या होना चाहिए.

कटारिया और तिवाड़ी ने नकारा पूनिया का एज फॉर्मूला

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कटारिया ने दिया भैरोंसिंह, अटल और देसाई का उदहारण
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (BJP leader Gulabchand kataria0 से जब पॉलिटिक्स में रिटायरमेंट को लेकर सतीश पूनिया के एज फार्मूले को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने पूनिया उसे सिरे से नकार दिया. कटारिया ने साफ तौर पर कहा कि पार्टी यदि कोई निर्णय लेती है तो वह सामूहिक ले और जो नीति बनाए वह एक-साथ पूरे देश में पार्टी के सभी लोगों पर लागू हो लेकिन कोई अपनी तरफ से राय न दे कि पॉलिटिक्स में रिटायरमेंट की उम्र 70 हो, 75 हो या 80 साल हो. कटारिया ने कहा कि मैंने अपनी इतने साल की राजनीति में जो अनुभव किया है उसमें ऐसे कई लोग थे जो इस उम्र के बाद भी बेहतर तरीके से राजनीति में सक्रिय रहे. उन्होंने पूर्व सीएम और उप राष्ट्रपति रहे भैरों सिंह शेखावत का भी उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि अधिक उम्र में भी भैरों सिंह शेखावत ने उपराष्ट्रपति होते हुए सदन को परफेक्टली चलाया.

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मोरारजी देसाई और अटल बिहारी वाजपेयी ने बढ़ती उम्र में भी एक अच्छे प्रधानमंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं. कटारिया ने कहा कि रिटायरमेंट में केवल उम्र ही नहीं बल्कि व्यक्ति के काम करने की सक्रियता और स्वास्थ्य को भी मापदंड बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से सोचते हैं कि 60 साल की उम्र तो हम जैसों की लड़ते-मिलते ही निकल जाती है और उसके बाद हम जनता के बीच प्रतिष्ठित पद और उस स्थिति में आ पाते हैं कि उनकी उम्मीदों पर खरा उतर सकें.

तिवाड़ी बोले- राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र तय करने के पक्ष में नहीं
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी (Rajya sabha MP Ghanshyam tiwadi) ने कहा कि वह राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र तय करने के पक्ष में नहीं हैं. तिवाड़ी के अनुसार यदि ऐसा होता है तो भाजपा ने हाल ही में येदुरप्पा को संसदीय बोर्ड बड़ी में जिम्मेदारी दी है जबकि उनकी उम्र करीब 78 वर्ष है. मतलब उम्र का राजनीति से कोई संबंध नहीं होता बल्कि संबंधित कार्यकर्ता या नेता का प्रभाव, सक्रियता और स्वास्थ्य देखा जाता है. हालांकि तिवारी ने यह भी कहा कि कुछ स्थानों पर नए लोगों को भी अवसर देने का प्रयत्न करना चाहिए ताकि राजनीति में प्रवाह बना रहे.

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पिछले दिनों जयपुर में हुए टॉक जर्नलिज्म के कार्यक्रम में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि उनकी राय में राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र 70 वर्ष होनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा था कि वह तो 70 साल की उम्र के बाद सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट ले लेंगे. हालांकि पूनिया ने इसे अपनी व्यक्तिगत राय बताई थी लेकिन उनके इस बयान के बाद प्रदेश में राजनीति में रिटायरमेंट की उम्र को लेकर एक नया विवाद छिड़ा हुआ है.

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