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प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार शॉर्ट टर्म और लांग टर्म योजना तैयार करे: हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने जस्टिस संगीत लोढा और रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने प्रवासी राजस्थानी याचिकाकर्ता की ओर से दायर जनहित याचिका का मंगलवार को निस्तारण किया. साथ ही राज्य सरकार के नाम महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं. वहीं गौ-शालाओं को अनुदान बाबत याचिकाकर्ता अखिल भारतीय संत समाज की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.

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सरकार शॉर्ट टर्म और लांग टर्म योजना तैयार करे
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Published : Jun 9, 2020, 9:50 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस संगीत लोढा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने प्रवासी राजस्थानी याचिकाकर्ता हरि सिंह राजपुरोहित की ओर से दायर जनहित याचिका का मंगलवार को निस्तारण करते हुए राज्य सरकार के नाम महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं. ऐसे में प्रवासी राजस्थानी मजदूरों के लिए जो लॉकडाउन समाप्ति के बाद वापस अपने कार्यस्थली को जाने के इच्छुक नहीं हैं, उनके जीवन यापन, खानपान और अन्य सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए राज्य सरकार को शॉर्ट टर्म और लांग टर्म योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए हैं.

सरकार शॉर्ट टर्म और लांग टर्म योजना तैयार करे

साथ ही कोर्ट ने यह विश्वास भी व्यक्त किया है कि राजस्थान की लोक कल्याणकारी सरकार इन सभी माइग्रेंट वर्कर्स जो अपनी आजीविका खत्म होने पर अपने पैतृक घरों में आ चुके हैं को भूखा नहीं सोने देगी. किसी भी तरह की मूलभूत आवश्यकताओं में कमी नहीं आने देगी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित के माध्यम से मई माह में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें प्रवासी राजस्थानियों का उनके कार्यस्थल से राजस्थान तक रेल, बस आदि से परिवहन करने, उनको मार्ग में राज्यों की बॉर्डर पर नहीं रोकने, रास्ते में भोजन पानी और चिकित्सकीय व्यवस्था कराने को लेकर सरकार को निर्देश जारी करने की गुहार लगाई थी. लेकिन अब याचिका के निस्तारण के समय इन सभी विषयों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर दायर पीआईएल के तहत 28 मई 2020 को जारी आदेश में केन्द्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान HC ने दिए नर्स भर्ती में एक पद रिक्त रखने के आदेश...

इसलिए हाईकोर्ट की ओर से उक्त विषयों में किसी तरह के अलग से निर्देश जारी करने की बजाय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालन करने सहित विशेष रूप से प्रवासी वर्कर्स की आजीविका और उनको मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने बाबत निर्देश जारी करने के साथ याचिका का निस्तारण कर दिया गया. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा याचिका का विरोध किया गया.

याचिका पर हुई सुनवाई...

राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने गौ-शालाओं को अनुदान बाबत याचिकाकर्ता अखिल भारतीय संत समाज की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल गौड़ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता की ओर से पेश किए गए अतिरिक्त शपथ पत्र का जवाब देने के लिए समय चाहा. इस पर कोर्ट ने सुनवाई को स्थगित करते हुए बुधवार को मामले की सुनवाई के निर्देश दिए.

यह भी पढ़ेंः जयपुर: कोरोना पॉजिटिव महिला होम क्वॉरेंटाइन तोड़कर पहुंची कोलकाता

मामले की पूर्व सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने वीसी पर बताया कि 27 मई 2020 को कोर्ट द्वारा जारी निर्देशानुसार उन्होंने अतिरिक्त शपथ पत्र कार्यालय में पेश कर दिया है, जिसे रिकार्ड पर ले लिया गया. अधिवक्ता ने बाद में बताया कि कोर्ट के निर्देश के अनुसार उन्होंने पिछली सुनवाई के दौरान जिन बिंदुओं पर अपनी दलीलें पेश की थी. उन पर कोर्ट ने अगली सुनवाई में शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए थे. पिछली सुनवाई पर सरकार की ओर से समय चाहा गया था, जिस पर कोर्ट ने तीन दिन का समय दिया था. लेकिन मंगलवार को भी जवाब पेश नहीं किया गया. इस पर कोर्ट ने कल सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में जस्टिस संगीत लोढा और जस्टिस रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने प्रवासी राजस्थानी याचिकाकर्ता हरि सिंह राजपुरोहित की ओर से दायर जनहित याचिका का मंगलवार को निस्तारण करते हुए राज्य सरकार के नाम महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं. ऐसे में प्रवासी राजस्थानी मजदूरों के लिए जो लॉकडाउन समाप्ति के बाद वापस अपने कार्यस्थली को जाने के इच्छुक नहीं हैं, उनके जीवन यापन, खानपान और अन्य सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए राज्य सरकार को शॉर्ट टर्म और लांग टर्म योजनाएं तैयार करने के निर्देश दिए हैं.

सरकार शॉर्ट टर्म और लांग टर्म योजना तैयार करे

साथ ही कोर्ट ने यह विश्वास भी व्यक्त किया है कि राजस्थान की लोक कल्याणकारी सरकार इन सभी माइग्रेंट वर्कर्स जो अपनी आजीविका खत्म होने पर अपने पैतृक घरों में आ चुके हैं को भूखा नहीं सोने देगी. किसी भी तरह की मूलभूत आवश्यकताओं में कमी नहीं आने देगी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित के माध्यम से मई माह में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें प्रवासी राजस्थानियों का उनके कार्यस्थल से राजस्थान तक रेल, बस आदि से परिवहन करने, उनको मार्ग में राज्यों की बॉर्डर पर नहीं रोकने, रास्ते में भोजन पानी और चिकित्सकीय व्यवस्था कराने को लेकर सरकार को निर्देश जारी करने की गुहार लगाई थी. लेकिन अब याचिका के निस्तारण के समय इन सभी विषयों में सुप्रीम कोर्ट की ओर से एक स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर दायर पीआईएल के तहत 28 मई 2020 को जारी आदेश में केन्द्र और राज्य सरकारों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं.

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इसलिए हाईकोर्ट की ओर से उक्त विषयों में किसी तरह के अलग से निर्देश जारी करने की बजाय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालन करने सहित विशेष रूप से प्रवासी वर्कर्स की आजीविका और उनको मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने बाबत निर्देश जारी करने के साथ याचिका का निस्तारण कर दिया गया. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पंकज शर्मा याचिका का विरोध किया गया.

याचिका पर हुई सुनवाई...

राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश संगीत लोढा और न्यायाधीश रामेश्वर व्यास की खंडपीठ ने गौ-शालाओं को अनुदान बाबत याचिकाकर्ता अखिल भारतीय संत समाज की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल गौड़ ने याचिकाकर्ता अधिवक्ता की ओर से पेश किए गए अतिरिक्त शपथ पत्र का जवाब देने के लिए समय चाहा. इस पर कोर्ट ने सुनवाई को स्थगित करते हुए बुधवार को मामले की सुनवाई के निर्देश दिए.

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मामले की पूर्व सुनवाई के दौरान अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने वीसी पर बताया कि 27 मई 2020 को कोर्ट द्वारा जारी निर्देशानुसार उन्होंने अतिरिक्त शपथ पत्र कार्यालय में पेश कर दिया है, जिसे रिकार्ड पर ले लिया गया. अधिवक्ता ने बाद में बताया कि कोर्ट के निर्देश के अनुसार उन्होंने पिछली सुनवाई के दौरान जिन बिंदुओं पर अपनी दलीलें पेश की थी. उन पर कोर्ट ने अगली सुनवाई में शपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए थे. पिछली सुनवाई पर सरकार की ओर से समय चाहा गया था, जिस पर कोर्ट ने तीन दिन का समय दिया था. लेकिन मंगलवार को भी जवाब पेश नहीं किया गया. इस पर कोर्ट ने कल सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.

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