जोधपुर. देश-दुनिया में कोरोना महामारी लोगों के परेशानी का सबब बनी हुई है. लेकिन भारत में इस बीमारी के नाम पर भी लोग ठगी करने से बाज नहीं आ रहे हैं. ऐसे ठग हमेशा नए-नए तरीके ढूंढते है. अब इन ठगों ने जनप्रतिनिधियों को ही ठगने की कवायद शुरू कर दी है.
जोधपुर नगर निगम के निर्वतमान पार्षदों के पास ऐसे फोन आए, जिसमें कहा गया कि कलेक्टर कार्यालय से प्रत्येक पार्षद को वार्ड में मॉस्क और सैनिटाइजर बंटवाने के लिए 49,700 रुपये दिए जा रहे है. इसके लिए एटीएम कार्ड नंबर और एकाउंट नंबर मांगे जा रहे है. 6 से अधिक ऐसे लोगों को फोन कर उनसे एकाउंट नंबर मांगे गए. एक पार्षद के पति ने एकाउंटर नंबर दे दिया, लेकिन तुरंत भनक लगते ही बैंक जाकर राशि विड्रॉ कर ली. जबकि बाकी अन्य अपनी सजगता से बच गए.
65 में से अब तक 18 पार्षदों काे इस तरह के फाेन आ चुके हैं. जिनमें भीखाराम, किशोर सिंह टाक, मंजू कंडारा, बालीराम बोराणा और उनके पुत्र मनोहर लाल बोराणा, वंदना राठौड़, रामस्वरूप प्रजापत शामिल हैं. पूर्व पार्षद उमेश पलिया ने ठग से लंबी बात कर उसके इरादे जाने और बाद में सभी को सर्तक रहने के लिए फोन भी किया.
जबकि रामस्वरूप अपनी जागरूकता के चलते ठगी से बच गए. क्योंकि जिला प्रशासन और सरकार ने पहले ही यह नीति तय कर रखी है कि प्रत्येक सामग्री की खरीद फरोख्त जिला स्तर पर होगी. किसी भी एजेंसी को भुगतान नहीं होगा. खास बात यह भी है कि जोधपुर कलेक्ट्रेट में कैशियर का पद भी नहीं है.
Trueucaller पर SDM का नाम
जिस नंबर से फोन आया है. Trueucaller में उसके आगे एसडीएम लिखा हुआ आ रहा है. जिससे लोगों को यह लगे कि यह सरकारी कार्यालय से कॉल की गई है. लेकिन इसके नीचे उत्तर प्रदेश भी लिखा हुआ आ रहा था.
पार्षद के पति बाल-बाल बचे
अपने आप को कलेक्ट्रेट का कैशियर बताने वाले व्यक्ति के क्रेडिट, डेबिट या एटीएम कार्ड के नंबर पूछते ही ज्यादातर सतर्क हो गए. लेकिन भाजपा की एक महिला पार्षद विमला सांखला के पति कैलाश सांखला झांसे में आ गए. उन्होंने खाता नंबर और मोबाइल पर आया ओटीपी भी ठग काे बता दिया. इस दौरान ही उनके पास भाजपा के ही पार्षद मंजू कंडारा के पति ने फाेन कर उन्हें आगाह कर दिया. जिसके बाद वे तुरंत एटीएम पहुंचे और खाते से 25 हजार रुपये निकाल लिए.
ठग और निवर्तमान पार्षद उमेश पलिया के बीच की बातचीत का अंश
ठग : हैलो...
पार्षद: हां, जी..
ठग: आप पार्षद बोल रहे हैं?
पार्षद: हां...जी...बोल रहा हूं...आप कौन?
ठग: मैं कलेक्टर ऑफिस से बात कर रहा हूं. आपको कोरोना के दौरान आपके वार्ड में लोगों को सैनिटाइजर और मॉस्क वितरित करने के लिए राशि मिल गई क्या? जिससे 25-26 जून तक वार्ड के हर घर में सैनिटाइजर और दो-दो मास्क वितरित करने हैं.
पार्षद: किसकी तरफ से?
ठग: निगम या प्रशासन की तरफ से, कहीं से भी मिला क्या?
पार्षद: हमें तो कुछ नहीं मिला...निगम ने खाने के पैकेट भी पार्षदों की बजाय दूसरे माध्यम से बांटे. हमसे सीएम ने भी सुझाव मांगे थे.
ठग: आपके कहने का मतलब है, आपको महामारी में कोई फंड नहीं मिला. आपके क्षेत्र में कितने वोटर हैं.
पार्षद: पुराने वार्ड के हिसाब से या नए से.
ठग: वह वोटर जिनको आप देखते हैं.
पार्षद: साढे़ सात हजार.
ठग: ओके...पार्षदों से यह जानकारी ले रहे हैं कि भुगतान नहीं हुआ है, कलेक्टर ऑफिस से बजट पारित हुआ है, इसका पेमेंट तुरंत भेज रहा हूं.
पार्षद: ठीक है सर...
ठग: निगम का अकाउंट तो ब्लॉक किया हुआ है, उसमें ट्रांसफर नहीं हो सकता पैसा. अपना पर्सनल एकाउंट या कार्ड हो तो नंबर बताओ.
पार्षद: निगम वाला अकाउंट नंबर है, आप ले लीजिए ना?
ठग: वो एकाउंट तो बंद है, 32 लाख रुपये का पेमेंट अटका हुआ है आप अपना कोई कार्ड निकालो और नंबर बताओ. तुरंत ऑनलाइन पेमेंट हो जाएगा.
पार्षद: कार्ड नंबर लेकर फिर तो आप हमसे ओटीपी नंबर भी पूछेंगे?
ठग: तभी तो ऑनलाइन पेमेंट हो पाएगा. आप यह सोच रहे होंगे कि कोई फ्रॉड हो रहा है तो मेरे बारे में पता कर लीजिए.
पार्षद: आप बोल कौन रहे हैं, पहले बताइये?
ठग: मैंने बोला ना...कलेक्टर कार्यालय से कैशियर दीपक कुमार शर्मा बोल रहा हूं, आप बैंक का खाता नंबर देंगे तभी तो आपको पेमेंट कर पाऊंगा.
पार्षद: आपको बता दूं पार्षद को कभी सीधे भुगतान नहीं होता है. निगम में राशि आती है और बाद में टेंडरिंग होती है.