जयपुर. लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार का गम कहें या कुछ और चुनाव परिणाम को बीते 2 महीने हो चुके हैं. लेकिन, कांग्रेस नेता इस हार के गम से बाहर आने को तैयार नहीं है. नगर निकाय के चुनाव सिर पर हैं ऐसे में नेताओं की उदासीनता को लेकर कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में खूब चर्चाएं हैं. 2 महीने में प्रदेश में निकाय चुनाव का बिगुल बज जाएगा. लेकिन, निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस के संगठनात्मक गतिविधियों और कामकाज शुरू ही नहीं हो सके हैं.
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जबकि भाजपा ने निकाय चुनाव की तैयारियां शुरू करने के साथ ही संगठन को चुस्त दुरुस्त करने के लिए बड़े स्तर पर सदस्यता अभियान भी शुरू कर दिया है. वहीं कांग्रेस नेता लोकसभा चुनाव में हार के बाद से ही हाथ पर हाथ धरकर बैठे हैं. निकाय चुनाव की तैयारियों को लेकर कोई रोड मेप नहीं बनाया जा रहा है. संगठनात्मक ढांचे में तब्दीली की जा रही है.
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पार्टी के भीतर अब सवाल खड़े हो गए हैं कि आधी अधूरी तैयारियों के साथ निकाय चुनाव में कैसे कांग्रेस भाजपा का मुकाबला कर पाएगी. वहीं संगठनात्मक गतिविधियां नहीं होने और नेताओं की उदासीनता के चलते पार्टी का कार्यकर्ता भी हताश नजर आ रहा है. लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में भी सन्नाटा पसरा रहता है. नेताओं के नाम पर चार से पांच पदाधिकारी ईपीसीसी में नजर आते हैं. हालांकि, दिवंगत नेता की जयंती या पुण्यतिथि पर जरूर कुछ एक पदाधिकारी नजर आ जाते हैं.