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दिवाली विशेष: जोधपुर में अनोखी परंपरा, धनतेरस पर मिट्टी के रूप में धन घर ले जाते हैं लोग

जोधपुर में धन की पूजा की जाती है. मतलब धनतेरस पर मिट्टी के रूप में धन घर ले जाते हैं और फिर सभी परिवार के सदस्यों के साथ पूजा की जाती है. दिवाली स्पेशल पर देखिए जोधपुर से स्पेशल रिपोर्ट

धन की पूजा, जोधपुर में धन की पूजा, dhan ki pooja jodhpur
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Published : Oct 25, 2019, 2:58 PM IST

जोधपुर. दिवाली भारतीय परंपरा का सबसे पुराना त्योहार है. इससे कई परंपराएं भी जुड़ी हुई है. दिवाली पर हर क्षेत्र की अपनी-अपनी परंपराएं होती है. जोधपुर में भी दीपोत्सव को लेकर एक अलग तरह की पंरपरा है. जिसका नाम है धन की पूजा.

खास बात यह है कि यह धन कोई सोना, चांदी, हीरे जवाहरात या नगदी के रूप में नहीं बल्कि मिट्टी के रूप में है. धन तेरस पर जहां लोग बाजार में बड़ी खरीद करते हैं वहीं उससे पहले जोधपुर में सुबह इस मिट्टी रूपी धन को घर ले जाते हैं और उसके बाद धनतेरस की खरीदारी करते हैं. जोधपुर के भीतरी शहर परकोटा के निवासी गोर्वधन तालाब की जमीन खोद कर मिट्टी निकालते हैं और उसे अपने घर लेकर जाते हैं.

जोधपुर में अनोखी परंपरा, धनतेरस पर मिट्टी के रूप में धन घर ले जाते हैं लोग

पढ़ें- इस दिवाली नहीं रहेगी गरीबों की झोली खाली, क्योंकि टीम निवाला लाया है 'हैप्पी किट'

बरसों पहले तक इस मिट्टी रूप धन को घर ले जाने के साथ खेजड़ी वृक्ष की हरी डाली रखी जाती थी. लेकिन अब खेजड़ी लुप्त हो रही है तो प्रतिक के रूप में कंडील की पत्तियां रखी जाती है. धन लेने का सिलसिला धनतेरस के दिन अलसुबह शुरू हो जाता है. ज्यादातर पति पत्नी जोड़े से ही लेने आते हैं. इसके बाद वे घर पर पहुंचने भी सभी सदस्य इसकी पूजा करते हैं. दिवाली तक तीन दिन तक पूजा की जाती है. फिर इसे तुलसी के गमले में रखा जाता है. इसके अलावा इस मिट्टी से कुछ लड्डू बना जाते हैं. जिने पूरे साल सुरक्षित रखा जाता है और अगली धनतेरस से ठीक पहले पानी में विर्सजित कर दिया जाता है.

पढ़ें- इस बार धनतेरस पर शुभ संयोग, सवार्थसिद्धि योग इसे बना रहा और भी खास, जानें शुभ मुहूर्त

इस बार दो दिन तक चलेगा सिलसिला
इस बार धनतेरस शुक्रवार से शुरू होकर शनिवार दोपहर तक रहेगी. ऐसे में दो दिन तक धन ले जाने का सिलसिला चलेगा. दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन में इसे रखा जाता है. शुक्रवार को शहर के चांदपोल क्षेत्र के गोर्वधन तालाब और बगीची में अलसुबह से महिलाओं के सज-धज कर आने का क्रम शुरू हो गया.

जोधपुर. दिवाली भारतीय परंपरा का सबसे पुराना त्योहार है. इससे कई परंपराएं भी जुड़ी हुई है. दिवाली पर हर क्षेत्र की अपनी-अपनी परंपराएं होती है. जोधपुर में भी दीपोत्सव को लेकर एक अलग तरह की पंरपरा है. जिसका नाम है धन की पूजा.

खास बात यह है कि यह धन कोई सोना, चांदी, हीरे जवाहरात या नगदी के रूप में नहीं बल्कि मिट्टी के रूप में है. धन तेरस पर जहां लोग बाजार में बड़ी खरीद करते हैं वहीं उससे पहले जोधपुर में सुबह इस मिट्टी रूपी धन को घर ले जाते हैं और उसके बाद धनतेरस की खरीदारी करते हैं. जोधपुर के भीतरी शहर परकोटा के निवासी गोर्वधन तालाब की जमीन खोद कर मिट्टी निकालते हैं और उसे अपने घर लेकर जाते हैं.

जोधपुर में अनोखी परंपरा, धनतेरस पर मिट्टी के रूप में धन घर ले जाते हैं लोग

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बरसों पहले तक इस मिट्टी रूप धन को घर ले जाने के साथ खेजड़ी वृक्ष की हरी डाली रखी जाती थी. लेकिन अब खेजड़ी लुप्त हो रही है तो प्रतिक के रूप में कंडील की पत्तियां रखी जाती है. धन लेने का सिलसिला धनतेरस के दिन अलसुबह शुरू हो जाता है. ज्यादातर पति पत्नी जोड़े से ही लेने आते हैं. इसके बाद वे घर पर पहुंचने भी सभी सदस्य इसकी पूजा करते हैं. दिवाली तक तीन दिन तक पूजा की जाती है. फिर इसे तुलसी के गमले में रखा जाता है. इसके अलावा इस मिट्टी से कुछ लड्डू बना जाते हैं. जिने पूरे साल सुरक्षित रखा जाता है और अगली धनतेरस से ठीक पहले पानी में विर्सजित कर दिया जाता है.

पढ़ें- इस बार धनतेरस पर शुभ संयोग, सवार्थसिद्धि योग इसे बना रहा और भी खास, जानें शुभ मुहूर्त

इस बार दो दिन तक चलेगा सिलसिला
इस बार धनतेरस शुक्रवार से शुरू होकर शनिवार दोपहर तक रहेगी. ऐसे में दो दिन तक धन ले जाने का सिलसिला चलेगा. दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन में इसे रखा जाता है. शुक्रवार को शहर के चांदपोल क्षेत्र के गोर्वधन तालाब और बगीची में अलसुबह से महिलाओं के सज-धज कर आने का क्रम शुरू हो गया.

Intro:नॉट vo नही किया है डेस्क पर करवा लें।


वीओ 1: दिवाली पर क्षेत्र की अपनी अपनी परंपराएं है ऐसी एक परंपरा जोधपुर की है जहां धान के रूप में पवित्र मिट्टी की पूजा की जाती है जोधपुर के भीतरी शहर के लोग धनतेरस के दिन किसी तरह की खरीद से पहले गोर्वधन तालाब से लेकर घर जाते हैं ज्यादातर पति पत्नी के जोडे ही मिट्टी लेने आते हैं लेकिन समय के साथ परिवार के अन्य सदस्य भी इस मिट्टी रूपी धन को घर लेकर जाते हैं जिसकी तीन दिन तक पूजा होती है
बाईट पति पत्नी
वीओ 2 शहर के चांदपोल के गोर्वधन तालाब की यह भूमि पवित्र मानी जाती है जिसे श्रीमाली ब्राहृमण पूजते हैं समय के साथ साथ समाज के सभी वर्ग भी इस परंपरा का पालन कर रहे हैं। लक्ष्मी पूजन में इसकी पूजा की जाती है साथ ही जो महिला इसे लेकर जाती है उसे भी पूजनीय मानते हैं पूर्व में पति अपनी पत्नी को लक्ष्मी स्वरूप मानकर चरण स्पर्श भी किया करते थे।
बाईट 
वीओ 3 धन रूपी इस मिट्टी को पूरे साला सहजने के लिए तीन लड्ड बनाए जाते हैं जो लक्ष्मी, गणेश व सरस्वती के रूप् में होते हैं। यह मिट्टी लेने से पहले भी पूरे विधान से पूजा की जाती है दिपक भी लगाया जाता है इसके बाद घर पर इसे स्थापित किया जाता है;
बाईट पति पत्नी
साइन आफ : किसी जमाने में इस धन के साथ खेजडी की हरी डाली भी लेकर जाते थे जो संपन्नता का प्रतीक होती है, लेकिन राजस्थान का राज्य वृक्ष अब सिर्फ खेतों में ही मिलता है शहरी क्षेत्र से लुप्त हो गया ऐसे में अब कंडील व अन्य पेड की पतियों को प्रतीक के रूप में साथ ले जाया जाता है
पीटीसी, मनोज वर्मा



Body:दिवाली स्पेशल: धन तेरस पर मिट्टी के रूप में धन घर ले जाते हैं जोधपुर में
जोधपुर। दिवाली भारतीय परंपरा का सबसे पुराना त्यौंहार है इससे कई परंपराएं भी जुडी हुई है। जोधपुर में भी दिपोत्सव को लेकर एक अलग तरह की पंरपरा है जिसका नाम है धन की पूजा। खास बात यह है कि यह धन कोई सोना, चांदी, हीरे जवाहरत या नगदी के रूप् में नहीं बल्कि मिट्टी के रूप् में है। धन तेरस पर जहां लोग बाजार में बडी खरीद करते हैं लेकिन जोधपुर में लोग पहले सुबह इस मिटटी रूपी धन को घर ले जाते हैं और उसके बाद धनतेरस की खरीद करते हैं। जोधपुर  के भीतरी शहर परकोटा के निवासी गोर्वधन तालाब की जमीन खोद कर मिट्टी निकालते हैं और उसे अपने घर लेकर जाते हैं। बरसों पहले तक इस मिट्टी रूप धन को घर ले जाने के साथ खेजडी वृक्ष की हरी डाली रखी जाती थी लेकिन अब खेजडी लुप्त हो रही है तो प्रतिक के रूप में कंडील की पत्तियां रखी जाती है। धन लेने का सिलसिला धनतेरस के दिन अलसुबह शुरू हो जाता है। ज्यादातर पति पत्नी जोडे से ही लेने आते हैं इसके बाद वे घर पर पहुंचने भी सभी सदस्य इसकी पूजा करते हैं। दिवाली तक तीन दिन तक पूजा की जाती है इसके बाद इसे तुलसी के गमले में रखा जाता है। इसके अलावा इस मिट्टी से कुछ लड्डू बना जाते हैं जिने पूरे साल सुरक्षित रखा जाता है और अगली धनतेरस से ठीक पहले पानी में विर्सजित कर दिया जाता है। 
इस बार दो दिन तक चलेगा सिलसिला
इस बार धनतेरस शुक्रवार से शुरू होकर शनिवार दोपहर तक रहेगी ऐसे में दो दिन तक धन ले जाने का सिलसिला चलेगा। दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन में इसे रखा जाता है। शुक्रवार को शहर के चांदपोल क्षेत्र के गोर्वधन तालाब व बगेची में अलसुबह से महिलाओं के सज-धज कर आने का क्रम शुरू हो गया।


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