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जोधपुरः कोर्ट ने पाली बाल कल्याण समिति का रिकॉर्ड सीज करने के दिए आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता की अदालत ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान बाल कल्याण समिति पाली के रिकॉर्ड सीज करने के आदेश पाली कलेक्टर को दिए हैं. वहीं, कोर्ट ने रिकॉर्ड की जांच के बाद निरुद्ध अवधि का मुआवजा देने के भी निर्देश दिए हैं.

पाली बाल कल्याण समिति न्यूज , Pali Child Welfare Committee News
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Published : Oct 16, 2019, 3:24 AM IST

Updated : Oct 16, 2019, 3:43 AM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता की अदालत ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान बाल कल्याण समिति, पाली के रिकॉर्ड सीज करने के आदेश पाली कलेक्टर को दिए हैं. कलेक्टर को कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के तहत कुछ बिंदुओं पर रिकॉर्ड की जांच कर कोर्ट के समक्ष पेश करनी है. इससे पहले न्यायालय गत सुनवाई में समिति के चेयरमैन के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे चुका है.

कोर्ट ने पाली बाल कल्याण समिति का रिकॉर्ड सीज करने के दिए आदेश

दरअसल, पाली बाल कल्याण समिति के चेयरमैन दुर्गाराम आर्य ने युवती को नाबालिग बताते हुए उसे जोधपुर के बाल सुधार गृह में रखने के आदेश दिए. जबकि युवती बालिग थी उसके दस्तावेज मिलने के बाद भी उसे फिर भी बाल सुधार गृह से रिहा करने के लिए दुर्गाराम आर्य ने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की. इस पर युवती ने अपने परिजनों के माध्यम से राजस्थान हाईकोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. इसके बाद नोटिस जारी होने पर युवती को छोड़ने को कार्यवाही शुरू की.

पढ़ें- शरीफ खान के परिजनों ने शव लेने से किया इंकार, तिलकपुर गांव में रोकी एंबुलेंस

बता दें कि याचिका की गत सुनवाई में हाईकोर्ट ने दुर्गाराम आर्य के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए और मंगलवार को हुई सुनवाई में न्यायालय ने प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर पाली बाल कल्याण समिति के रिकॉर्ड सीज करने के आदेश दिए हैं. युवती के अधिवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि पाली बाल कल्याण समिति के चेयरमैन ने जानबूझकर उसे नाबालिग से बालिग होने के बावजूद भी रोका गया जो उसके अधिकार से उसे वंचित करता है. कोर्ट ने रिकॉर्ड की जांच के बाद निरुद्ध अवधि का मुआवजा देने के भी निर्देश दिए.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता की अदालत ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान बाल कल्याण समिति, पाली के रिकॉर्ड सीज करने के आदेश पाली कलेक्टर को दिए हैं. कलेक्टर को कोर्ट की ओर से दिए गए आदेश के तहत कुछ बिंदुओं पर रिकॉर्ड की जांच कर कोर्ट के समक्ष पेश करनी है. इससे पहले न्यायालय गत सुनवाई में समिति के चेयरमैन के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे चुका है.

कोर्ट ने पाली बाल कल्याण समिति का रिकॉर्ड सीज करने के दिए आदेश

दरअसल, पाली बाल कल्याण समिति के चेयरमैन दुर्गाराम आर्य ने युवती को नाबालिग बताते हुए उसे जोधपुर के बाल सुधार गृह में रखने के आदेश दिए. जबकि युवती बालिग थी उसके दस्तावेज मिलने के बाद भी उसे फिर भी बाल सुधार गृह से रिहा करने के लिए दुर्गाराम आर्य ने किसी तरह की कार्रवाई नहीं की. इस पर युवती ने अपने परिजनों के माध्यम से राजस्थान हाईकोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की. इसके बाद नोटिस जारी होने पर युवती को छोड़ने को कार्यवाही शुरू की.

पढ़ें- शरीफ खान के परिजनों ने शव लेने से किया इंकार, तिलकपुर गांव में रोकी एंबुलेंस

बता दें कि याचिका की गत सुनवाई में हाईकोर्ट ने दुर्गाराम आर्य के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए और मंगलवार को हुई सुनवाई में न्यायालय ने प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर पाली बाल कल्याण समिति के रिकॉर्ड सीज करने के आदेश दिए हैं. युवती के अधिवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि पाली बाल कल्याण समिति के चेयरमैन ने जानबूझकर उसे नाबालिग से बालिग होने के बावजूद भी रोका गया जो उसके अधिकार से उसे वंचित करता है. कोर्ट ने रिकॉर्ड की जांच के बाद निरुद्ध अवधि का मुआवजा देने के भी निर्देश दिए.

Intro:Body:बालिग होने के बावजूद युवती सुधार गृह में रोका, पाली बाल कल्याण समिति का रिकॉर्ड सीज करने के आदेश


जोधपुर। राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संदीप मेहता की अदालत ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई के दौरान बाल कल्याण समिति पाली के रिकॉर्ड सीज करने के आदेश पाली कलेक्टर को दिए हैं कलेक्टर को कोर्ट द्वारा दिये गए आदेश के तहत कुछ बिंदुओं पर रिकॉर्ड की जांच कर कोर्ट के समक्ष पेश करनी है। इससे पहले न्यायालय गत सुनवाई में समिति के चेयरमैन के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दे चुका है । दरअसल पाली बाल कल्याण समिति के चेयरमैन दुर्गाराम आर्य ने युवती को नाबालिग बताते हुए उसे जोधपुर के बाल सुधार गृह में रखने के आदेश दिए। जबकि युवती बालिग थी उसके दस्तावेज मिलने के बाद भी उसे फिर भी बाल सुधार गृह से रिहा करने के लिए दुर्गाराम आर्य ने किसी तरह की कार्यवाही नहीं की । इस पर युवती ने अपने परिजनों के माध्यम से राजस्थान हाईकोर्ट में एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की । इसके बाद नोटिस जारी होने पर युवती को छोड़ने को कार्यवाही शुरू की। याचिका की गत सुनवाई में हाईकोर्ट ने दुर्गाराम आगे के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए और मंगलवार को हुई सुनवाई में न्यायालय ने प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर पाली बाल कल्याण समिति के रिकॉर्ड सीज करने के आदेश दिए हैं । युवती के अधिवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि पाली बाल कल्याण समिति के चेयरमैन द्वारा जानबूझकर उसे नाबालिग से बालिक होने के बावजूद भी रोका गया जो उसके अधिकार से उसे वंचित करता है । कोर्ट ने रेकॉर्ड की जांच के बाद निरुद्ध अवधि का मुआवजा देने के भी निर्देश दिए।
बाईट : राजेन्द्र चौधरी, अधिवक्ता याचिकाकर्ता
Conclusion:
Last Updated : Oct 16, 2019, 3:43 AM IST
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