ETV Bharat / city

SPECIAL: कोरोना काल में आयुर्वेद उत्पादों की बढ़ी मांग, जानें क्या है इसके पीछे का कारण...

कोरोना वायरस लाख कोशिशों के बावजूद काबू में नहीं आ रहा है. हेल्थ एक्सपर्ट् का दावा है कि यह जानलेवा वायरस उन लोगों को चपेट में जल्दी लेता है, जिनका इम्यून सिस्टम मजबूत नहीं है. यदि आपका इम्यून सिस्टम स्ट्रॉन्ग हो तो यह रोग आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा. भारत में कई ऐसी औषधियां हैं, जो इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में काम करती हैं. यही वजह है कि कोरोना काल में जहां एक ओर सभी काम-धंधे ठप हो चुके हैं, तो वहीं आयुर्वेद के उत्पादों की बिक्री में काफी बढ़ोतरी हो रही है.

author img

By

Published : Sep 16, 2020, 6:31 PM IST

Corona period,  जोधपुर की खबर,  राजस्थान हिंदी न्यूज,  rajasthan hindi news
कोरोना काल में आयुर्वेद उत्पादों की बढ़ी मांग

जोधपुर. देश में कोरोना के चलते जीडीपी को भारी आघात पहुंचा हुआ है. कई काम-धंधे रसातल में पहुंच गए हैं. उद्यमियों के पास काम है तो मजदूर नहीं है और जहां मजदूर हैं, वहां काम ही नहीं है, और जहां सब कुछ है तो बाजार में डिमांड नहीं है. लेकिन इस कोरोना काल में आयुर्वेद उत्पाद निर्माताओं की अच्छी बिक्री हो रही है. हालात ऐसे हैं कि मांग के अनुरूप आपूर्ति करने के लिए एक पारी की जगह दो पारी में काम हो रहा है. जिससे रोजगार के साथ-साथ आर्थिक मजबूती भी मिल रही है. अब चीनी वायरस पर भारतीय उपचार पद्धति कारगर साबित हो रही है. तकनीक के अलावा, आयुर्वेद भी अब कोरोना के खिलाफ एक बेहतर हथियार के रूप में उभर कर आया है.

कोरोना काल में आयुर्वेद उत्पादों की बढ़ी मांग

गुणवत्ता का रखा जा रहा खास ख्याल

जोधपुर में आयुर्वेद उत्पाद के सबसे बड़े उद्यमी श्रवण डागा का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग की वजह से ही आज आयुर्वेद उत्पादों के उत्पादन और खपत में बढ़ोतरी हुई है. डागा का कहना है कि कोरोना काल में आयुष मंत्रालय की पहल पर आयुर्वेद की ओर लोगों का रूझान बढ़ा है. जिसने बाजार में बड़ी मांग खड़ी कर दी है. भारतीय बाजार के साथ-साथ विदेशों में मांग होने से बड़ी कंपनियों के ऑर्डर भी मिलने लगे हैं. डागा ने बताया कि राज्य सरकार की पहल पर सब्सिडी मिली, तो सवा करोड़ की मशीन खरीद कर उत्पादन में बढ़ोतरी की गई है. उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहे इसके लिए हर स्तर पर लैब टेस्टिंग भी की जाती है.

वहीं आयुर्वेद विभाग के पूर्व विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि आयुर्वेदिक औषधि और उत्पाद दोनों ही कोरोना काल में लोगों के लिए फायदेमंद है. गिलोय हाइड्रोक्लोरोक्वीन की तरह काम करता है, यह साबित भी हो चुका है. ऐसे में बाजार में इसकी मांग बनी हुई है.

दुगने रोजगार का सृजन, टर्न ओवर बढ़ा

डागा के अनुसार कोरोना से पहले जहां प्लांट में 70 लोग काम करते थे. 1 जून को अनलॉक शुरू होने के बाद आयुर्वेद उत्पाद की डिमांड बढ़ी, तो डबल शिफ्ट में काम शुरू किया गया. इसके लिए 70 लोगों को नौकरी दी गई. कोरोना से पहले प्रति माह 80 से 90 लाख रुपए का टर्न ओवर था, जो अब तीन करोड़ तक पहुंच गया है. आलम यह है कि मांग के अनुरूप आपूर्ति करना भी दुभर हो गया है.

पढ़ें: पितृ पक्ष 2020: पुष्कर में पितरों का श्राद्ध करने नहीं पहुंच रहे 'यजमान'...2500 पुरोहितों की आय पर असर

स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक

जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की डॉ. एकता का कहना है कि हमने आयुर्वेद औषधि के प्रयोग पर रिसर्च की है. जिसके परिणाम प्रभावी रहे हैं. गिलोय घनवटी से कम लक्षण वाले मरीज जल्दी नेगेटिव हुए हैं. इसके अलावा आयुर्वेद के उत्पाद इम्युनिटी बूस्टर के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं. इनके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं, इसलिए लोग आसनी से उपयोग भी करने लगे हैं.

किसानों को भी हुआ फायदा

आयुर्वेद उत्पाद के लिए आवश्यक सामग्री सीधे खेतों से आ रही है. गिलोय के साथ-साथ एलोवेरा का प्रयोग बढ़ गया है. जोधपुर के ओसियां क्षेत्र में कई किसानों ने एलोविरा के फार्म हाउस लगा रखे हैं. यहीं पर प्रोसेसिंग यूनिट भी है. सीधे एलोविरा की जेल भरकर फैक्ट्री तक पहुंचा रहे हैं. किसान राजेंद्र कुमार का कहना है कि पहले जहां हर माह 20 टन आपूर्ति होती थी, अब यह 60 टन तक पहुंच चुकी है.

जोधपुर. देश में कोरोना के चलते जीडीपी को भारी आघात पहुंचा हुआ है. कई काम-धंधे रसातल में पहुंच गए हैं. उद्यमियों के पास काम है तो मजदूर नहीं है और जहां मजदूर हैं, वहां काम ही नहीं है, और जहां सब कुछ है तो बाजार में डिमांड नहीं है. लेकिन इस कोरोना काल में आयुर्वेद उत्पाद निर्माताओं की अच्छी बिक्री हो रही है. हालात ऐसे हैं कि मांग के अनुरूप आपूर्ति करने के लिए एक पारी की जगह दो पारी में काम हो रहा है. जिससे रोजगार के साथ-साथ आर्थिक मजबूती भी मिल रही है. अब चीनी वायरस पर भारतीय उपचार पद्धति कारगर साबित हो रही है. तकनीक के अलावा, आयुर्वेद भी अब कोरोना के खिलाफ एक बेहतर हथियार के रूप में उभर कर आया है.

कोरोना काल में आयुर्वेद उत्पादों की बढ़ी मांग

गुणवत्ता का रखा जा रहा खास ख्याल

जोधपुर में आयुर्वेद उत्पाद के सबसे बड़े उद्यमी श्रवण डागा का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग की वजह से ही आज आयुर्वेद उत्पादों के उत्पादन और खपत में बढ़ोतरी हुई है. डागा का कहना है कि कोरोना काल में आयुष मंत्रालय की पहल पर आयुर्वेद की ओर लोगों का रूझान बढ़ा है. जिसने बाजार में बड़ी मांग खड़ी कर दी है. भारतीय बाजार के साथ-साथ विदेशों में मांग होने से बड़ी कंपनियों के ऑर्डर भी मिलने लगे हैं. डागा ने बताया कि राज्य सरकार की पहल पर सब्सिडी मिली, तो सवा करोड़ की मशीन खरीद कर उत्पादन में बढ़ोतरी की गई है. उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहे इसके लिए हर स्तर पर लैब टेस्टिंग भी की जाती है.

वहीं आयुर्वेद विभाग के पूर्व विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव बताते हैं कि आयुर्वेदिक औषधि और उत्पाद दोनों ही कोरोना काल में लोगों के लिए फायदेमंद है. गिलोय हाइड्रोक्लोरोक्वीन की तरह काम करता है, यह साबित भी हो चुका है. ऐसे में बाजार में इसकी मांग बनी हुई है.

दुगने रोजगार का सृजन, टर्न ओवर बढ़ा

डागा के अनुसार कोरोना से पहले जहां प्लांट में 70 लोग काम करते थे. 1 जून को अनलॉक शुरू होने के बाद आयुर्वेद उत्पाद की डिमांड बढ़ी, तो डबल शिफ्ट में काम शुरू किया गया. इसके लिए 70 लोगों को नौकरी दी गई. कोरोना से पहले प्रति माह 80 से 90 लाख रुपए का टर्न ओवर था, जो अब तीन करोड़ तक पहुंच गया है. आलम यह है कि मांग के अनुरूप आपूर्ति करना भी दुभर हो गया है.

पढ़ें: पितृ पक्ष 2020: पुष्कर में पितरों का श्राद्ध करने नहीं पहुंच रहे 'यजमान'...2500 पुरोहितों की आय पर असर

स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक

जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की डॉ. एकता का कहना है कि हमने आयुर्वेद औषधि के प्रयोग पर रिसर्च की है. जिसके परिणाम प्रभावी रहे हैं. गिलोय घनवटी से कम लक्षण वाले मरीज जल्दी नेगेटिव हुए हैं. इसके अलावा आयुर्वेद के उत्पाद इम्युनिटी बूस्टर के रूप में लोकप्रिय हो रहे हैं. इनके कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं, इसलिए लोग आसनी से उपयोग भी करने लगे हैं.

किसानों को भी हुआ फायदा

आयुर्वेद उत्पाद के लिए आवश्यक सामग्री सीधे खेतों से आ रही है. गिलोय के साथ-साथ एलोवेरा का प्रयोग बढ़ गया है. जोधपुर के ओसियां क्षेत्र में कई किसानों ने एलोविरा के फार्म हाउस लगा रखे हैं. यहीं पर प्रोसेसिंग यूनिट भी है. सीधे एलोविरा की जेल भरकर फैक्ट्री तक पहुंचा रहे हैं. किसान राजेंद्र कुमार का कहना है कि पहले जहां हर माह 20 टन आपूर्ति होती थी, अब यह 60 टन तक पहुंच चुकी है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.