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SPECIAL : पिता की मौत के बाद अवसाद का शिकार हुई बेटी...परिवार ने बेड़ियों में बांधा - Daughter in depression due to father's death

कोरोना के दौर में मोहनलाल बीमार पड़े और उनकी मौत हो गई. जांच नहीं हुई थी लिहाजा तय नहीं कि मौत कोरोना से हुई. मोहनलाल 5 लड़कियों के पिता और घर में एक मात्र कमाने वाले सदस्य थे. मोहनलाल का पूरा परिवार अवसाद में है. एक बच्ची की मानसिक स्थिति तो इतनी खराब हो चुकी है कि उसे जंजीर से बांधकर रखना पड़ रहा है.

Daughter in depression due to father's death
पिता की मौत के बाद बेड़ियों में बेटी
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Published : Jun 7, 2021, 3:49 PM IST

Updated : Jun 7, 2021, 5:47 PM IST

जोधपुर. जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर लूणी विधानसभा क्षेत्र का ग्राम है सरेचा. इस गांव के रहने वाले मोहन लाल की करीब 2 माह पहले मृत्यु हो गई थी. ग्रामीणों का कहना है कि वे बीमार थे. उन्हें कोरोना हुआ या नहीं यह किसी को पता नहीं. लेकिन पांच बेटियों, एक बेटे, बूढ़ी मां और मानसिक तौर पर बीमार पत्नी का इकलौता सहारा मोहनलाल ही थे.

बड़ा परिवार, मुखिया की मौत के बाद हालात बदतर...

मोहनलाल की मौत हुई तो पूरा परिवार ही जैसे मानसिक रूप से टूट गया. दो बेटियां अपने ससुराल हैं. लेकिन 80 साल की की मां और मानसिक रूप से विक्षिप्त पत्नी और तीन बेटियां और बेटा अब भगवान भरोसे रह गए हैं.

एक बिटिया ने खोया संतुलन, जंजीर से बंधी

घर की चारदीवारी में घुट-घुट कर परिवार की एक बेटी निरमा मानसिक रूप से अवसाद में चली गई है. हालात ऐसे हो गए कि बीते 7-8 दिनों से उसे जंजीरों से बांधकर रखना पड़ रहा है. निरमा का मानसिक अवसाद चारदीवारी से बाहर आया तो गांव वालों को पता चला कि परिवार की हालत कितनी विकट है. खाने-पीने के सामान का संकट हो गया था. क्योंकि परिवार के किस सदस्य ने बाहर जाकर नहीं बताया कि हम किस स्थिति में हैं. जिसके बाद ग्रामीणों ने भोजन पानी का सामान उपलब्ध करवाया.

Daughter in depression due to father's death
पिता की मौत के बाद बेड़ियों में बेटी

पढ़ें- कोरोना अपडेट : 24 घंटे में 1.06 लाख नए मामले, 2,427 मौतें

लूणी उपखंड अधिकारी कार्यालय को भी सूचित किया कि एक बालिका मानसिक रूप से विक्षिप्त है. उसका उपचार करवाना है. फिलहाल अभी तक प्रशासन ने परिवार की सुध नहीं ली है. ग्रामीणों का कहना है कि हम चाहते हैं कि इस बालिका का उपचार सरकारी खर्च से हो जाए. क्योंकि इस परिवार के पास न तो बीपीएल कार्ड है और न ही किसी योजना में लाभान्वित होने साक्ष्य. यही कारण है ग्रामीण अपने इलाके में इन लोगों के लिए मदद की गुहार करने के वीडियो भेज रहे हैं. लेकिन अभी तक इनकी आवाज जिले के प्रशासन तक नहीं पहुंची है. जबकि स्थानीय पंचायत की ओर से सूचना भी दे दी गई है.

Daughter in depression due to father's death
परिवार का एक ही सराहा था मोहनलाल

मां होते हुए भी अनाथ सी स्थिति

राजस्थान सरकार की पालनहार योजना के तहत अनाथ बच्चों को सरकार सहायता देती है. लेकिन मोहनलाल का मामला कुछ अलग है. मोहनलाल का देहांत हो गया लेकिन उसकी पत्नी जिंदा है. लेकिन वह जिंदा होते हुए भी अपने बच्चों का पालन नहीं कर सकती. क्योंकि वह खुद मानसिक रूप से बीमार है. ऐसी स्थिति में यह बच्चे मां होते हुए भी अनाथ हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या सरकार इन्हें पालनहार जैसी योजना का लाभ देगी.

जोधपुर. जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर लूणी विधानसभा क्षेत्र का ग्राम है सरेचा. इस गांव के रहने वाले मोहन लाल की करीब 2 माह पहले मृत्यु हो गई थी. ग्रामीणों का कहना है कि वे बीमार थे. उन्हें कोरोना हुआ या नहीं यह किसी को पता नहीं. लेकिन पांच बेटियों, एक बेटे, बूढ़ी मां और मानसिक तौर पर बीमार पत्नी का इकलौता सहारा मोहनलाल ही थे.

बड़ा परिवार, मुखिया की मौत के बाद हालात बदतर...

मोहनलाल की मौत हुई तो पूरा परिवार ही जैसे मानसिक रूप से टूट गया. दो बेटियां अपने ससुराल हैं. लेकिन 80 साल की की मां और मानसिक रूप से विक्षिप्त पत्नी और तीन बेटियां और बेटा अब भगवान भरोसे रह गए हैं.

एक बिटिया ने खोया संतुलन, जंजीर से बंधी

घर की चारदीवारी में घुट-घुट कर परिवार की एक बेटी निरमा मानसिक रूप से अवसाद में चली गई है. हालात ऐसे हो गए कि बीते 7-8 दिनों से उसे जंजीरों से बांधकर रखना पड़ रहा है. निरमा का मानसिक अवसाद चारदीवारी से बाहर आया तो गांव वालों को पता चला कि परिवार की हालत कितनी विकट है. खाने-पीने के सामान का संकट हो गया था. क्योंकि परिवार के किस सदस्य ने बाहर जाकर नहीं बताया कि हम किस स्थिति में हैं. जिसके बाद ग्रामीणों ने भोजन पानी का सामान उपलब्ध करवाया.

Daughter in depression due to father's death
पिता की मौत के बाद बेड़ियों में बेटी

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लूणी उपखंड अधिकारी कार्यालय को भी सूचित किया कि एक बालिका मानसिक रूप से विक्षिप्त है. उसका उपचार करवाना है. फिलहाल अभी तक प्रशासन ने परिवार की सुध नहीं ली है. ग्रामीणों का कहना है कि हम चाहते हैं कि इस बालिका का उपचार सरकारी खर्च से हो जाए. क्योंकि इस परिवार के पास न तो बीपीएल कार्ड है और न ही किसी योजना में लाभान्वित होने साक्ष्य. यही कारण है ग्रामीण अपने इलाके में इन लोगों के लिए मदद की गुहार करने के वीडियो भेज रहे हैं. लेकिन अभी तक इनकी आवाज जिले के प्रशासन तक नहीं पहुंची है. जबकि स्थानीय पंचायत की ओर से सूचना भी दे दी गई है.

Daughter in depression due to father's death
परिवार का एक ही सराहा था मोहनलाल

मां होते हुए भी अनाथ सी स्थिति

राजस्थान सरकार की पालनहार योजना के तहत अनाथ बच्चों को सरकार सहायता देती है. लेकिन मोहनलाल का मामला कुछ अलग है. मोहनलाल का देहांत हो गया लेकिन उसकी पत्नी जिंदा है. लेकिन वह जिंदा होते हुए भी अपने बच्चों का पालन नहीं कर सकती. क्योंकि वह खुद मानसिक रूप से बीमार है. ऐसी स्थिति में यह बच्चे मां होते हुए भी अनाथ हैं. ऐसे में बड़ा सवाल है कि क्या सरकार इन्हें पालनहार जैसी योजना का लाभ देगी.

Last Updated : Jun 7, 2021, 5:47 PM IST
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