जोधपुर. साइबर ठगों ने एक व्यापारी को निशाना बनाते हुए उसके खाते से 5.55 लाख रुपए पार कर लिए. ठगी की जानकारी होने पर व्यापारी ने इसकी सूचना पुलिस को दी. जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए खाते को फ्रीज करवाया गया. इसके बाद ठगी गई रकम (Cyber fraud payment revert in jodhpur) वापस खाते में जमा हो गई.
पुलिस के मुताबिक जोधपुर शहर में तिब्बती बाजार लगाने के लिए उत्तराखंड से आए व्यापारी टेसरिंग थाईचिन ने जोधपुर आईसीआईसीआई बैंक में खाता खुलवाया. खाता खुलने के कुछ दिनों बाद एक व्यक्ति ने कस्टमर केयर के नाम पर फोन करके KYC अपडेट करने की बात कही. उसने एक लिंक व्हाट्सएप पर भेजा. उस लिंक को खोलने के बाद उसमें पूछी गई जानकरी भरते ही अलग अलग ट्रांजेक्शन से 5 लाख 55 हजार रुपए निकल गए.
तीन दिसंबर को हुई इस घटना की जानकरी तुरन्त टेसरिंग ने सरदारपुरा थाना को दी, जिस पर थानाधिकारी दिनेश लखावत ने कार्रवाई करते हुए ऑनलाइन ट्रांजेक्शन प्लेटफॉर्म (यूपीआई) के एक्सपर्ट व बैंक से संपर्क स्थापित किया. साथ ही टेसरिंग के खाते से हुए ट्रांजैक्शन ट्रेस आउट कर संबंधित खाते को फ्रीज करवाया. ट्रांजेक्शन रिवर्ट करने का प्रोसेस शुरू करवाया. थानाधिकारी लखावत ने बताया कि अब पूरी राशि वापस टेसरिंग के खाते में वापस जमा हो गई है.
बुधवार को भी पुलिस ने एक व्यापारी के खाते में पैसे रिवर्ट करवाए थे
बुधवार को भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था जहां केवाईसी अपडेट करवाने के नाम पर लाखों की ठगी की गई. मामले में पीड़ित ने बताया था कि उसे एक व्यक्ति ने फोन कर बताया कि आपके एसबीआई खाते की केवाईसी अपडेट नहीं है. अगर जल्द अपडेट नहीं करवाई तो ट्रांजेक्शन नहीं होगा. ठग के जाल में फंसे व्यापारी हेमंत ने केवाईसी अपडेट के बारे में जानकारी मांगी.
इस पर ठग ने हेमंत के फोन पर एक लिंक भेजा. साथ ही कहा कि इसे एक्टिव करने के दौरान मांगी गई जानकारी भरने पर केवाईसी अपडेट हो जाएगी. हेमंत ने जब लिंक पर क्लिक किया तो उसके तुरंत बाद उसे 3 मैसेज मिले. जिनमें उसके खाते से 96,820 रुपए, 2,54,997 व 96,820 रुपए विड्रा होने की जानकारी मिली. इस पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए व्यापारी के खाते में पैसे वापस रिवर्ट करवा दिए.
साइबर फ्रॉड होने पर यहां दें सूचना
राजस्थान पुलिस ने साइबर ठगी पर रोक लगाने के लिए विशेष नंबर 155260 जारी किया है. पुलिस ने कहा कि साइबर ठगी होने पर मामले की सूचना इस नंबर पर दे सकते हैं. सूचना मिलने के साथ ही पुलिस एक्टिव होती है. पुलिस ने कहा कि बैंक फ्रॉड के मामले में जितनी जल्दी सूचना पुलिस को दी जाती है, उतना जल्दी ही ट्रांजेक्शन रोकने में सफलता मिलती है.