जोधपुर. डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर सरकारी अस्पताल में कम बैठते हैं. उनके द्वारा निजी अस्पताल चलाए जा रहे हैं, जहां उपचार और ऑपरेशन के किए जाते हैं. यह खुलासा संभागीय आयुक्त द्वारा गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में किया गया है.
जानकारी के अनुसार कॉलेज प्रबंधन द्वारा सभी 11 डॉक्टरों को दिए गए नोटिस का जवाब कॉलेज प्रबंधन को मिल गया है. कॉलेज प्रबंधन इन सभी जवाबों का संकलन कर एक रिपोर्ट बनाकर जयपुर भेजेगा, जहां नियुक्ति अधिकारी इस मामले में सक्षम कार्रवाई करेंगे.मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसएस राठौड़ ने बताया कि यह कार्रवाई जयपुर के स्तर पर होगी, ऐसे में सभी जवाबों को संकलित कर जयपुर भिजवाया जाएगा.
डॉक्टरों ने किया आरोपों से इंकार
इधर सूत्रों का कहना है कि डॉक्टरों ने अपने जवाब में उन पर लगाए गए निजी चिकित्सालय चलाने एवं प्रैक्टिस करने के आरोपों से इनकार कर दिया है. जबकि, संभागीय आयुक्त की जांच रिपोर्ट में प्रत्येक डॉक्टर के खिलाफ लगाए गए आरोपों के तथ्यात्मक सबूत भी दिए गए थे.
संभागीय आयुक्त की जांच रिपोर्ट में सरकारी डॉक्टर चला रहे निजी अस्पताल
बता दें कि इस मामले में कुछ दिन पहले एक जांच कमेटी चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के निर्देश पर संभागीय आयुक्त ने बनाई थी. कमेटी की जांच रिपोर्ट में यह पाया गयै थै कि शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ अनुराग सिंह कुड़ी, इसी विभाग के डॉ प्रमोद शर्मा, डॉ जेपी सोनी भी अपना अस्पताल चला रहे हैं वह निजी अस्पताल में जाकर भी मरीज देख रहे हैं.
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यूरोलॉजिस्ट डॉ प्रदीप शर्मा, यूरोलॉजिस्ट डॉ आर के सारण भी निजी अस्पताल चला रहे हैं. रेडियोथैरेपी विभाग के डॉ प्रदीप गौड़, जो खुद प्रोफेसर भी हैं वह अपनी पत्नी के क्लीनिक में अपने मरीज देख रहे हैं और उनका उपचार करते हैं.
वहीं गायनी विभाग की किरण मिर्धा और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर सुनील दाधीच अपना खुद का निजी अस्पताल चला रहे हैं. सरकारी खर्च पर डीएम की डिग्री हासिल करने वाले हेमेटोलाजी विभाग के डॉ गोविंद पटेल ने निजी अस्पताल खोल रखा है. ऑर्थोपेडिक डॉक्टर एस पी राठौड़ पावटा और मेडिसिन विभाग के अनुबंध पर कार्यरत डॉ विनीत तिवारी अस्पताल समय में अपने घर पर प्रक्टिस करते पाए गए हैं.
बहरहाल डॉक्टरों के जवाबों की संकलित रिपोर्ट जयपुर भेजी गई है. ऐसे में अब देखना यह है कि सरकार डॉक्टरों के खिलाफ क्या कार्रवाई करती है.