ETV Bharat / city

Black Fungus : मरीज की मेडिकल हिस्ट्री देखकर ही किया जाए कोरोना का इलाज...वरना मंडरा सकता है ब्लैक फंगस का खतरा

राजस्थान में ब्लैक फंगस के मामले सामने आने लगे हैं. जोधपुर में तो चिकित्सकों को एक महिला मरीज की आंख निकालनी पड़ी. यह महिला पोस्ट कोविड मरीज थी. चिकित्सकों का कहना है कि मरीजों के इलाज में सावधानी बरतनी होगी.

patient's medical history Black fungus
जोधपुर में ब्लैक फंगस के मामले
author img

By

Published : May 18, 2021, 5:22 PM IST

जोधपुर. कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस यानी म्यूकॉरमाइकोसिस (mucormycosis) का खतरा मंडरा रहा है. जोधपुर में भी इसके मरीज मिले हैं. गत दिनों एक पोस्ट कोविड मरीज में ब्लैक फंगस इंफेक्शन पाया गया था. जिसके चलते उसकी आंखों में परेशानी हुई. एक आंख निकाल कर उसकी दूसरी आख की रोशनी बचाई गई.

ब्लैक फंगस पर चिकित्सकों की राय

डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अरविंद चौहान के मुताबिक एक मरीज में अत्याधिक संक्रमण पाया गया था. उसमें इस फंगस का असर नाक से होते हुए आंख तक पहुंच गया था. अब वह पूरी तरह से ठीक है. इसके अलावा भी कई मरीजो में शुरुआती दौर में ही जांच में फंगस की मौजूदगी सामने आने से उपचार देकर ठीक किया गया है. डॉ चौहान के मुताबिक जिन मरीजों को डायबिटीज होती है और कोरोना के दौरान उन्हें लगातार ऑक्सीजन पर रखने और स्टोराइट दिया जाता है उनमें ब्लैक फंगस होने की ज्यादा आशंका रहती है.

इसके अलावा जो मरीज ठीक हो जाते हैं उन्हें भी स्टोराइट डॉक्टर की बताई गई मात्रा के अनुसार ही लेना चाहिए. अन्यथा परेशानी हो सकती है. ऑपरेशन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसएस राठौर ने बताया कि ब्लैक फंगस को लेकर हमारे डॉक्टर पूरी तरह से सजग हैं. अभी बहुत कम संख्या में ऐसे मरीज सामने आए हैं. क्योंकि हमारे डॉक्टर कोरोना मरीजों का उपचार सजगता से कर रहे हैं. ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों के लिए दवाइयों की उपलब्धता के सवाल पर डॉ राठौड़ ने कहा कि दवाइयां उपलब्ध है लेकिन सीमित मात्रा में हैं जिन्हें आवश्यकता होती है उन्हें दी जा रही है.

पढ़ें- SPECIAL : स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल लोगों की ले रहा है जान, कोरोना के बाद ब्लैक फंगस ने किया परेशान

यूं बचा जा सकता है (Protection from black fungus)

जिन मरीजों को ऑक्सीजन दी जाती है उनके ऑक्सीजन सिलेंडर या लाइन पर एक बोटल (Humidifier) लगी होती है जिसमें पानी भरा जाता है. उसे प्रतिदिन साफ किया जाए और उसे विसंक्रमित करने से फंगस के खतरे से बचा जा सकता है. जहां तक सम्भव जो इसमें समान्य पानी की जगह डिस्टिल वाटर या saline भरें.

patient's medical history Black fungus
जोधपुर में ब्लैक फंगस के मामले

कोरोना मरीज के अस्पताल में भर्ती होने के दौरान भी उनकी मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर ही उन्हें स्टोराइट दिया जाए. यह क्रम मरीज को को कोविड से ठीक होने के बाद डॉक्टर के निर्देश पर दोहराना चाहिए.

कोरोना काल में डायबिटीज के मरीजों को अत्यधिक सतर्कता जरूरी है. वह अपना उपचार तय समय पर लें और डॉक्टर के संपर्क में रहें. भले ही उन्हें कोरोना पॉजिटिव हुआ हो या नहीं.

ये हैं लक्षण (Symptoms of black fungus)

कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में दोबारा बुखार आना. नाक और आंख के बीच में दर्द होना. आंखों की पलकें झपकने में परेशानी होना. दोनों गालों पर दर्द महसूस होना. अगर यह लक्षण प्रतीत होते हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में पोस्ट कोविड ओपीडी भी चल रही है. जिसमें कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों को प्रत्येक 7 दिन बाद बुलाया जाता है.

जोधपुर. कोरोना से ठीक हुए मरीजों में ब्लैक फंगस यानी म्यूकॉरमाइकोसिस (mucormycosis) का खतरा मंडरा रहा है. जोधपुर में भी इसके मरीज मिले हैं. गत दिनों एक पोस्ट कोविड मरीज में ब्लैक फंगस इंफेक्शन पाया गया था. जिसके चलते उसकी आंखों में परेशानी हुई. एक आंख निकाल कर उसकी दूसरी आख की रोशनी बचाई गई.

ब्लैक फंगस पर चिकित्सकों की राय

डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अरविंद चौहान के मुताबिक एक मरीज में अत्याधिक संक्रमण पाया गया था. उसमें इस फंगस का असर नाक से होते हुए आंख तक पहुंच गया था. अब वह पूरी तरह से ठीक है. इसके अलावा भी कई मरीजो में शुरुआती दौर में ही जांच में फंगस की मौजूदगी सामने आने से उपचार देकर ठीक किया गया है. डॉ चौहान के मुताबिक जिन मरीजों को डायबिटीज होती है और कोरोना के दौरान उन्हें लगातार ऑक्सीजन पर रखने और स्टोराइट दिया जाता है उनमें ब्लैक फंगस होने की ज्यादा आशंका रहती है.

इसके अलावा जो मरीज ठीक हो जाते हैं उन्हें भी स्टोराइट डॉक्टर की बताई गई मात्रा के अनुसार ही लेना चाहिए. अन्यथा परेशानी हो सकती है. ऑपरेशन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसएस राठौर ने बताया कि ब्लैक फंगस को लेकर हमारे डॉक्टर पूरी तरह से सजग हैं. अभी बहुत कम संख्या में ऐसे मरीज सामने आए हैं. क्योंकि हमारे डॉक्टर कोरोना मरीजों का उपचार सजगता से कर रहे हैं. ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों के लिए दवाइयों की उपलब्धता के सवाल पर डॉ राठौड़ ने कहा कि दवाइयां उपलब्ध है लेकिन सीमित मात्रा में हैं जिन्हें आवश्यकता होती है उन्हें दी जा रही है.

पढ़ें- SPECIAL : स्टेरॉयड का ज्यादा इस्तेमाल लोगों की ले रहा है जान, कोरोना के बाद ब्लैक फंगस ने किया परेशान

यूं बचा जा सकता है (Protection from black fungus)

जिन मरीजों को ऑक्सीजन दी जाती है उनके ऑक्सीजन सिलेंडर या लाइन पर एक बोटल (Humidifier) लगी होती है जिसमें पानी भरा जाता है. उसे प्रतिदिन साफ किया जाए और उसे विसंक्रमित करने से फंगस के खतरे से बचा जा सकता है. जहां तक सम्भव जो इसमें समान्य पानी की जगह डिस्टिल वाटर या saline भरें.

patient's medical history Black fungus
जोधपुर में ब्लैक फंगस के मामले

कोरोना मरीज के अस्पताल में भर्ती होने के दौरान भी उनकी मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर ही उन्हें स्टोराइट दिया जाए. यह क्रम मरीज को को कोविड से ठीक होने के बाद डॉक्टर के निर्देश पर दोहराना चाहिए.

कोरोना काल में डायबिटीज के मरीजों को अत्यधिक सतर्कता जरूरी है. वह अपना उपचार तय समय पर लें और डॉक्टर के संपर्क में रहें. भले ही उन्हें कोरोना पॉजिटिव हुआ हो या नहीं.

ये हैं लक्षण (Symptoms of black fungus)

कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों में दोबारा बुखार आना. नाक और आंख के बीच में दर्द होना. आंखों की पलकें झपकने में परेशानी होना. दोनों गालों पर दर्द महसूस होना. अगर यह लक्षण प्रतीत होते हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. जोधपुर के एमडीएम अस्पताल में पोस्ट कोविड ओपीडी भी चल रही है. जिसमें कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों को प्रत्येक 7 दिन बाद बुलाया जाता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.