जोधपुर. राष्ट्रीय स्वयं संघ के अनुषांगिक संगठन भारतीय किसान संघ ने केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन की घोषणा की है. किसानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलने के अलावा फसल की लागत आधारित लाभकारी मूल्य देने एवं कृषि आदानों में समय-समय पर हुई बढ़ोतरी व महंगाई का समायोजन कर उस मूल्य का भुगतान करने की मांग को लेकर केंद्र सरकार को भेजे गए ज्ञापन की मियाद खत्म होने पर भी कोई फैसला नहीं लिए जाने के विरोध में आंदोलन करने का फैसला किया है.
भारतीय किसान संघ के जोधपुर प्रांत के अध्यक्ष माणकलाल परिहार ने बताया कि किसान अपनी फसल चाहे मंडी में बेचे, मंडी के बाहर बेचे या फसल की सरकारी खरीद हो, सभी जगह लाभकारी मूल्य मिलना सुनिश्चित करना आवश्यक है. किसानों को उनकी उपज का मूल्य नहीं मिलने के कारण गरीब किसान और गरीब एवं कर्जदार होता जा रहा है.
इसको लेकर संघ दिल्ली में आयोजित अखिल भारतीय प्रबंध समिति की बैठक में संगठन की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्यों, देश के 36 प्रांतों के अध्यक्ष, महामंत्री, संगठन मंत्री एवं कोषाध्यक्षों की उपस्थिति में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि किसानों को लागत आधारित लाभकारी मूल्य की गारंटी मिले. प्रस्ताव लागू करने के लिए 31 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया गया था, लेकिन इस दरमियान सरकार की ओर से कोई भी सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई.
इसके चलते संगठन ने 8 सितंबर को देश के सभी जिला मुख्यालयों पर एक दिवशीय धरना-प्रदर्शन कर जिला कलेक्टरों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेज कर आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया गया. प्रेस वार्ता में संभाग अध्यक्ष नरेश व्यास ने बताया कि संभाग के जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर, सिरोही, पाली जिलों में भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में किसान धरना-प्रदर्शन कर लागत आधारित लाभकारी मूल्य की गारंटी की मांग पर प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षक करेंगे.
यह हैं प्रमुख मांगें...
- किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं, लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य देना होगा.
- एक बार घोषित मूल्य के बाद उसके आदानों में होने वाली महंगाई का भुगतान के समय समायोजन कर, महंगाई के अनुपात में वास्तविक मूल्य चुकाना होगा.
- घोषित मूल्य पर किसान की उपज का बेचान भी हो, फिर चाहे मंडी में, चाहे बाहर और चाहे सरकार खरीदे, लेकिन घोषित मूल्य से कम पर विक्रय को अपराध मानना होगा.