जोधपुर. डूंगरपुर में हुए उपद्रव के मामले में सोमवार को जस्टिस विनीत माथुर की अदालत के समक्ष भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) की ओर से पेश याचिका पर सुनवाई हुई. पार्टी के अधिकृत सुरेश रोहत की ओर से अधिवक्ता मोती सिंह राजपुरोहित ने कोर्ट के समक्ष पक्ष रखते हुए बताया कि राजनैतिक, सामाजिक और राजकीय कर्मचारियों के विरुद्ध सरकार झूठे मुकदमें दर्जकर गिरफ्तारियां करने की कार्रवाई कर रही है.
बीटीपी की तरफ से याचिका में कहा गया कि सरकार और पुलिस ने झूठे तौर पर पार्टी के राज्य स्तर से लगाकर वार्ड स्तर तक के कार्यकर्ताओं को आरोपी बना लिया गया. जबकि पार्टी और उसके कार्यकर्ताओं का उपद्रव से कोई सरोकार नहीं है. जो उपद्रव हुआ, उस आंदोलन को पार्टी ने प्रायोजित नहीं किया था और न ही राजनीतिक आंदोलन था.
यह भी पढ़ें: विधायक गुंजल की पत्नी के लिए मास्टर प्लान कुर्बान, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
बीटीपी की बढ़ती लोकप्रियता और वंचितों के मद्देनजर नए राजनीतिक विचार के भाव को रोकने के लिए सरकार राजनीतिक विचारधारा का दमन करने पर उतारू है. साथ ही राजनीतिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर जेल में डाल रही है. पार्टी के करीब 1 हजार रजिस्टर्ड पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं पर 37 मुकदमें दर्ज किए गए और निर्दोष लोगों को जेल भेजा जा रहा है.
हाईकोर्ट जस्टिस माथुर ने प्रारम्भिक सुनवाई के बाद राज्य सरकार, महानिरीक्षक पुलिस उदयपुर, डूंगरपुर और उदयपुर पुलिस अधीक्षक, बिच्चीवाडा, डोवडा और खेरवाडा थानाधिकारी को नोटिस जारी कर निर्दोष गिरफ्तारी के विरुद्ध जवाब व शपथ पत्र पेश करने का आदेश दिया है. मामले मे राजकीय अधिवक्ता फरजंद अली को 16 अक्टूबर से पहले जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं.