जोधपुर. करीब 12 दिन पहले जोधपुर में मॉडल सुसाइड कोशिश मामले को लेकर (Jodhpur Model Case) सुर्खियों में आए आरोपियों की जमानत भी चर्चा में बनी हुई है. अब जमानत का आदेश भी सुर्खियां बटोर रहा है.
जमानत के बाद जहां गुरुवार को डीसीपी ने जमानत को लेकर हुई चूक को लेकर जांच (Big Disclosure in Jodhpur Model Case) करवाने की बात कही, वहीं यह बताने का प्रयास किया मामला कितना गंभीर है. जबकि जांच करवाने के निर्देश तो खुद न्यायालय ने ही उसी जमानत के आदेश में दिए थे.
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आदेश के अंतिम पैरा में न्यायाधीश अहसान अहमद ने लिखा कि इस मामले में अनुसंधान अधिकारी दिलीप खदाव द्वारा बरती गई लापरवाही के लिए पुलिस कमिश्नर एक माह में सक्षम अधिकारी द्वारा प्राथमिक जांच करवाए. न्यायालय को जांच के परिणामों से अवगत करवाएं. अगर जांच में दोषी पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई करवाए. यानी कि न्यायालय को लग रहा है कि लापरवाही हुई है, साथ ही यह भी लिखा गया है कि चैक लिस्ट नहीं बनाई गई.
तो अब पुलिस मानेगी लापरवाही ?
इस पूरे मामले के सामने आने के बाद डीसीपी भुवन भूषण यादव ने एसीपी मंडोर को जांच करने के आदेश दिए. तीन दिन में रिपोर्ट मांगी है. यह बात भी सामने आ रही है कि चैक लिस्ट बनाने के लिए अधिकारियों ने निर्देश दिए थे. 41ए का नोटिस भी आरोपियों से साइन हुआ है.
ऐसे में सवाल उठता है कि इतना हाई प्रोफाइल मामला जिसमें एक प्रदेश सरकार का कैबिनेट मंत्री टारेगट था, उस मामले की केस डायरी में यह दस्तावेज क्यों नहीं लगे ? जमानत के आदेश यह स्पष्ट है कि केस डायरी में दस्तावेजों की कमी थी. तो क्या पुलिस अधिकारी अपनी जांच में इसे लापरवाही मानेंगे या नहीं ?