जोधपुर. चेक अनादरण के दो अलग-अलग मामलों में विशिष्ट महानगर मजिस्ट्रेट (एनआई एक्ट प्रकरण) संख्या-4 जोधपुर महानगर छवि सिंघल ने आरोपी को एक वर्ष और 6 महीने की सजा सुनाई है. मदेरणा कॉलोनी निवासी परिवादिया किस्मत बानो पत्नी मुस्तकीम की ओर से अधिवक्ता साजिद खान ने परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 की धारा 138 के तहत दो अलग-अलग परिवाद पेश कर बताया कि आरोपी हरीश चांवरिया ने जान-पहचान होने के आधार पर परिवादी से 3 लाख रुपए की राशि उधार ली थी.
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उधार राशि की अदायगी पेटे आरोपी ने परिवादी को कुल चार चेक दिए जो बैंक ने अनादरित होने पर लौटा दिए गए. विधिक नोटिस प्राप्त होने के बावजूद आरोपी ने परिवादी को चेकों में वर्णित राशि का भुगतान नहीं किया. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद न्यायालय ने कहा कि धारा 138 के समस्त आवश्यक तथ्य हस्तगत प्रकरण में सिद्ध होते हैं.
मौखिक और प्रलेखीय साक्ष्य सामग्री से यह तथ्य संदेह से परे प्रमाणित होता है कि आरोपी हरीश चांवरिया ने परिवादिया से उधार ली गई राशि की अदायगी पेटे चेक अनादरित होकर लौटे हैं और आरोपी धारा 139 के तहत की गई उपधारणा का समुचित रूप से खण्डन नहीं कर पाया है. इसलिए आरोपी पर दोष सिद्ध घोषित किया जाता है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान में चेक अनादरण के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे हैं, इसी स्थिति को देखते हुए परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 पारित किया गया है. इस कानून का उद्देश्य देश में बढ़ते हुए व्यापार ट्रेड कॉमर्स और औद्योगिक गतिविधियों का विनियमित करने, वित्तीय मामले में सतर्कता सुनिश्चित करने और क्रेडिटर का चेक जारी करने वाले के प्रति विश्वास सुनिश्चित करना है जो कि दैनिक आर्थिक जीवन की प्रगति के लिए आवश्यक है.
ऐसे में आरोपी को परिवीक्षा का लाभ दिया जाना भी न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है. इसलिए आरोपी को दोनों अलग-अलग मामलों में एक वर्ष और 6 महीने के साधारण कारावास और 2.50 और 1.50 लाख रुपए के जुर्माने से दण्डित करने का आदेश दिया गया.