जोधपुर. यूक्रेन के युद्धग्रस्त क्षेत्र से भारतीयों को लाने के चलाए जा रहे ऑपरेशन गंगा चलाया जा रहा है. इसके तहत रोमानिया और पोलैंड के रास्ते भारत लाए गए छात्रों में से 8 छात्र शुक्रवार को जोधपुर पहुंचे. इनमें ज्यादातर यूक्रेन की राजधानी कीव, खारकीव से आए हैं, जहां रूस ने सर्वाधिक कहर बरपाया है.
जोधपुर एयरपोर्ट पर छात्रों को लेने जिला प्रशासन के अधिकारी भी पहुंचे. अपने बच्चों को देखते ही परिजनो ने उन्हें गले से लगा लिया. छात्रों ने बताया कि बमबारी शुरू होने के बाद ही पता चला की हालत अब यहां रुकने जैसे नहीं है. शहर छोड़ने के लिए भी बहुत जद्दो जहद करनी पड़ी. ट्रेनों में इतनी भीड़ थी की कई घंटे इंतजार करना पड़ा. इसके बाद बसों के रास्ते बॉर्डर के पास पहुंचे. जहां 15 से 20 किलोमीटर सभी को पैदल चलना पड़ा.
बॉर्डर पार करने के लिए इंडियन एंबेंसी ने बहुत हेल्प की लेकिन वहां हर देशों के बच्चे थे. इसलिए टाइम ज्यादा लगा. बॉर्डर पार करने के बाद एंबेसी ने होटल में रुकवाया. खाना दिया उसके बाद वायुसेना के प्लेन से रवाना किया. कुछ प्राइवेट फ्लाइट्स भी सरकार ने लगाई.
भारत के झंडे का मान : छात्रों ने बताया कि ट्रेन के बाद बसों से जब बॉर्डर की और रवाना हुए तो बहुत जायदा चेक पॉइंट थे. लेकिन तिरंगा देख कहीं पर भी हमे अनावश्यक नहीं रोका गया. 'इंडिया स्टूडेंट बस' बोलकर हमें आगे भेजते रहे, इसके लिए एंबेसी ने भी बहुत एफर्ट किए थे. हमारे साथ-साथ पाकिस्तान और तुर्की के छात्र भी तिरंगा लेकर निकले.
धौलपुर का हर्ष लौटा घर, परिजनों में खुशी : यूक्रेन में रहकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहा धौलपुर का छात्र हर्ष चौधरी शुक्रवार दोपहर 12 बजे धौलपुर पहुंच गया. 2 दिन तक यूक्रेन-रोमानिया बॉर्डर पर खड़े रहने के बाद रोमानिया पहुंचते ही भारत सरकार की मदद से गुरुवार को छात्र हर्षित चौधरी दिल्ली भेजा गया और फिर वहां से जोधपुर रवाना किया गया. छात्र के घर पहुंचते ही परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गई.
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यूक्रेन में फंसा पंकज लौटा सिरोही : आबूरोड निवासी पंकज जांगिड़ भी युक्रेन की राजधानी कीव में फंस गए थे, जो शुक्रवार को सकुशल घर पहुंचे. पंकज के घर पहुंचने पर परिजनों ने माला पहनाकर उसके स्वागत किया. आबूरोड के आकराभट्टा निवासी निवासी पंकज जांगिड़ कीव में कीव यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस की तृतीय वर्ष की पढ़ाई कर रहे थे. रूस और युक्रेन के बीच जल रही जंग में वह भी फंस गए थे.