जोधपुर. 12 मई यानी आज के दिन जोधपुर का 563वां स्थापना दिवस है. हालांकि जोधपुर सहित पूरे राजस्थान में कोरोना महामारी काफी तेजी से फैली हुई है. जिस वजह से कोई बड़ा आयोजन या समारोह आयोजित नहीं हो रहा है. वहीं, महामारी की गंभीरता देखते हुए पूर्व नरेश गजसिंह ने भी लोगों से घरों में ही रहने की अपील की है.
12 मई 1459 को हुई थी स्थापना
राजस्थान के दूसरे सबसे बड़ा शहर जोधपुर की स्थापना राव जोधा ने 12 मई, 1459 में की थी. ऐतिहासिक काल में जोधपुर मारवाड़ की राजधानी भी हुआ करता था. सूर्य की तेज और सीधी किरणें इसकी धरती पर पड़ती हैं. इसलिए इसे सूर्य नगरी के नाम से भी जाना जाता है.
जानकारी के अनुसार वो खुद भी एक साल में सिर्फ स्वास्थ्य जांच और टिकाकरण के लिए ही बाहर निकले है, क्योंकि उन्हें पता है कि महामारी बहुत घातक होती है और अगर इसमें लापरवाही बरती गई तो खुद के साथ-साथ दूसरों की भी जान को खतरे में डाल सकते हैं. जोधपुर का राज परिवार ऐसी ही एक महामारी का शिकार हो चुका है.
दरअसल 1917 से 1920 के दौरान जब स्पेनिश फ्लू आया था तब तत्कालीन महाराजा और वर्तमान पूर्व नरेश गजसिंह के दादा महाराजा सुमेर सिंह ने अपनी जनता को इस फ्लू से बचाने के लिए प्रयास किए थे, लेकिन इस दौरान वह खुद संक्रमित हो गए और उनकी मृत्यु हो गई.
यही कारण है खुद गजसिंह जो हमेशा लोगों के बीच रहने के आदि है, 1 साल से उमेद भवन से किसी सार्वजनिक कार्यक्रम के लिए बाहर नहीं निकले. एक साल में वे 2 बार गोयल अस्पताल गए, इसमे भी एक बार सपत्नी वैक्सीन लगवाने. पूर्व नरेश गजसिंह ने जोधपुर स्थापना दिवस पर लोगों से अपील की है सभी लोग अपने घरों में ही रहे.
टीकाकरण को दें प्राथमिकताः
1882 में हैजा फैला था जिस वजह से कई लोग काल कलवित हुए थे. इसके बाद एलोपैथी दवाओं का चलन बढ़ा. हैजा का टीका आया. तत्कालीन महाराज जसवंतसिंह ने टिकाकरण पर ध्यान दिया. जिसके बाद स्थितियां नियंत्रित हुई. पूर्व नरेश ने गज सिंह भी कोरोना का टीका लगवा चुके हैं. उनका मानना है कि सभी को टीका लगवाना चाहिए. साथ ही दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करना चाहिए.
सब कुछ सूना-सूना
लगातार दूसरा मौका है जब जोधपुर का मेहरानगढ़ जोधपुर स्थापना दिवस पर बन्द है. 1974 में मेहरानगढ़ आम जनता के लिए खोला गया था. इन 46 सालों पहली बार पिछले साल 18 मार्च को बन्द किया गया था. इसके बाद कोरोना के मामले कम हुए तो वापस खोला गया, लेकिन अब दूसरी लहर के चलते फिर बन्द है.
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दो सालों से नवरात्र के दौरान भी मेहरानगढ़ स्थित मां चामुंडा के दर्शन श्रद्धालुओं को नहीं हुए और स्थापना दिवस भी पर भी मेहरानगढ़ बन्द रहा. खास बात यह है कि 2008 में मां चामुंडा के मंदिर में भगदड़ के चलते 216 लोगों की मौत हुई थी. उसके बाद भी मेहरानगढ़ अगले दिन भी बंद नहीं रहा, लेकिन कोरोना के संक्रमण से लोगों को बचाने के लिए सरकार की पहल पर जोधपुर राजपरिवार ने यह निर्णय लिया है.