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जोधपुर AIIMS का नया कीर्तिमान : 4 साल में की 500 रोबोटिक सर्जरी, मरीजों को मिल रही राहत

चिकित्सकीय सेवाओं के मामले में जोधपुर एम्स का नाम अग्रणी है. खासतौर से रोबोटिक सर्जरी के मामले में यहां के चिकित्सकों ने बेहतर कार्य किया है. जोधपुर एम्स ने 4 साल में 500 रोबोटिक सर्जरी (Jodhpur AIIMS Completed 500 Robotic System Operations) पूरी कर ली है.

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Published : Jan 29, 2022, 5:48 PM IST

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जोधपुर AIIMS का नया कीर्तिमान.

जोधपुर. देश के नए एम्स में जोधपुर की पहचान अलग ही है. जोधपुर एम्स चिकित्सकीय सेवाओं में अपने प्रयोगों के लिए हमेशा आगे रहा है. नए एम्स में सबसे पहले रोबोटिक सर्जरी करने वाले जोधपुर एम्स ने चार सालों में 500 सर्जरी (Jodhpur AIIMS Completed 500 Robotic System Operations) पूरी कर ली है.

एम्स में रोबोटिक सर्जरी की शुरूआत अप्रेल 2018 में हुई थी. जिसके बाद से यह क्रम लगातार जारी है. इस अवधि में कोविड के चलते एक साल तक काम नही हुआ था. अब रोबोटिक सर्जरी के मामले में जोधपुर हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रहा है. अत्याधुनिक दा विंची रोबोटिक तकनीक से हो रही सर्जरी से मरीजों को खासी राहत मिली है. खासकर प्रोस्टेट कैंसर में होने वाली जटिल सर्जरी रो​बोटिक पद्धति से करने में यहां के डॉक्टरों ने महारात हासिल की है. अब तक करीब 30 सर्जरी ऐसी हो चुकी है.

यह भी पढ़ें - जोधपुर एम्स में पहली बार रोबोटिक विधि से हुआ बड़ी आंत का ऑपरेशन

कई जटिल सर्जरी भी हो रही हैः जोधपुर एम्स में कई चुनौतिपूर्ण सर्जरी भी हो रही है. इस तकनीक से किडनी कैंसर के उपचार में से ट्यूमर को हटा दिया जाता है, बाकी किडनी को बरकरार रखी जाती है जो नियमित काम करती रहती है. इसके मरीज पड़ोसी राज्यों और यहां तक कि नेपाल से भी इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आ रहे हैं. मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट के साथ कई प्रशिक्षित यूरो-ऑन्कोलॉजिकल सर्जनों के साथ एम्स, जोधपुर में सभी यूरोलॉजिकल कैंसर का मल्टी-डिसिप्लिनेरी टूमर बोर्ड के जरिए उपचार किया जाता है. इस तकनीक के माध्यम से एम्स के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा के मार्गदर्शन में रोबोटिक सर्जरी और यूरो-ऑन्कोलॉजी में लेटेस्ट अप्डेट्स एंड रीसर्च के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्रों के साथ भागीदारी बढ़ाने पर काम चल रहा है.

यह भी पढ़ें- 94 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी के घुटनों की रोबोटिक सर्जरी, कहा- फिर से समाज की सेवा करने के लिए तैयार

तैयार हुई 10 रोबोटिक सर्जन की टीमः एम्स में शुरूआती दौर के बाद खुद के डॉक्टर्स को ही इसके लिए तैयार किया गया है. अब यहां 10 रोबोटिक सर्जन टीम है जो किसी भी चुनौतिपूर्ण सर्जरी को करने में सक्षम है. यह डॉक्टर बेहतर परिणामों के साथ सटीक तथा न्यूनतम रक्तस्राव के साथ जटिल सर्जरी कर रहे हैं. इसके अलावा सहयोग के लिए नर्सिंग अधिकारियों को तैयार किया गया है. नए सर्जन को तेयार करने का क्रम लगातार जारी है. रोबोटिक्स ने सर्जनों को विभिन्न कैंसर सर्जरी और पुनर्निर्माण सर्जरी में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद की है और यूरोलॉजी के क्षेत्र में यह कहीं अधिक उपयोगी साबित हो रही है.

यह भी पढ़ें- तेजाब पीने से सिकुड़ी आहार नली, जोधपुर एम्स के डॉक्टर्स ने रोबोटिक सर्जरी से दूर की सिकुड़न

प्रोस्टेट कैंसर के लिए वरदान है रोबोटिक सर्जरीः दुनिया भर में रोबोटिक सर्जरी का सबसे बड़ा उपयोग प्रोस्टेट कैंसर तथा पेल्विक सर्जरी में रहा है. यह एम्स, जोधपुर में अलग नहीं है. यूरोलॉजी विभाग के सह आचार्य डॉ गौतम राम चौधरी ने बताया कि विभाग ने किडनी, ब्लैडर और प्रोस्टेट के 200 से अधिक जटिल तथा चुनौतीपूर्ण बीमारियों के ऑपरेशन किए है. प्रोस्टेट कैंसर के लिए सर्जरी, जिसे रेडिकल प्रोस्टेटेक्टॉमी कहा जाता है, एक कठिन सर्जरी है. ओपन या लैप्रोस्कोपिक तरीकों से करना मुश्किल होता है. पहले प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित लोगों को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जाना पड़ता था, लेकिन अब पूरे राजस्थान से लोग अपने इलाज के लिए एम्स जोधपुर आ रहे हैं.

जोधपुर. देश के नए एम्स में जोधपुर की पहचान अलग ही है. जोधपुर एम्स चिकित्सकीय सेवाओं में अपने प्रयोगों के लिए हमेशा आगे रहा है. नए एम्स में सबसे पहले रोबोटिक सर्जरी करने वाले जोधपुर एम्स ने चार सालों में 500 सर्जरी (Jodhpur AIIMS Completed 500 Robotic System Operations) पूरी कर ली है.

एम्स में रोबोटिक सर्जरी की शुरूआत अप्रेल 2018 में हुई थी. जिसके बाद से यह क्रम लगातार जारी है. इस अवधि में कोविड के चलते एक साल तक काम नही हुआ था. अब रोबोटिक सर्जरी के मामले में जोधपुर हर दिन नई ऊंचाइयों को छू रहा है. अत्याधुनिक दा विंची रोबोटिक तकनीक से हो रही सर्जरी से मरीजों को खासी राहत मिली है. खासकर प्रोस्टेट कैंसर में होने वाली जटिल सर्जरी रो​बोटिक पद्धति से करने में यहां के डॉक्टरों ने महारात हासिल की है. अब तक करीब 30 सर्जरी ऐसी हो चुकी है.

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कई जटिल सर्जरी भी हो रही हैः जोधपुर एम्स में कई चुनौतिपूर्ण सर्जरी भी हो रही है. इस तकनीक से किडनी कैंसर के उपचार में से ट्यूमर को हटा दिया जाता है, बाकी किडनी को बरकरार रखी जाती है जो नियमित काम करती रहती है. इसके मरीज पड़ोसी राज्यों और यहां तक कि नेपाल से भी इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए आ रहे हैं. मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट और रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट के साथ कई प्रशिक्षित यूरो-ऑन्कोलॉजिकल सर्जनों के साथ एम्स, जोधपुर में सभी यूरोलॉजिकल कैंसर का मल्टी-डिसिप्लिनेरी टूमर बोर्ड के जरिए उपचार किया जाता है. इस तकनीक के माध्यम से एम्स के निदेशक डॉ संजीव मिश्रा के मार्गदर्शन में रोबोटिक सर्जरी और यूरो-ऑन्कोलॉजी में लेटेस्ट अप्डेट्स एंड रीसर्च के लिए अंतरराष्ट्रीय केंद्रों के साथ भागीदारी बढ़ाने पर काम चल रहा है.

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तैयार हुई 10 रोबोटिक सर्जन की टीमः एम्स में शुरूआती दौर के बाद खुद के डॉक्टर्स को ही इसके लिए तैयार किया गया है. अब यहां 10 रोबोटिक सर्जन टीम है जो किसी भी चुनौतिपूर्ण सर्जरी को करने में सक्षम है. यह डॉक्टर बेहतर परिणामों के साथ सटीक तथा न्यूनतम रक्तस्राव के साथ जटिल सर्जरी कर रहे हैं. इसके अलावा सहयोग के लिए नर्सिंग अधिकारियों को तैयार किया गया है. नए सर्जन को तेयार करने का क्रम लगातार जारी है. रोबोटिक्स ने सर्जनों को विभिन्न कैंसर सर्जरी और पुनर्निर्माण सर्जरी में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद की है और यूरोलॉजी के क्षेत्र में यह कहीं अधिक उपयोगी साबित हो रही है.

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प्रोस्टेट कैंसर के लिए वरदान है रोबोटिक सर्जरीः दुनिया भर में रोबोटिक सर्जरी का सबसे बड़ा उपयोग प्रोस्टेट कैंसर तथा पेल्विक सर्जरी में रहा है. यह एम्स, जोधपुर में अलग नहीं है. यूरोलॉजी विभाग के सह आचार्य डॉ गौतम राम चौधरी ने बताया कि विभाग ने किडनी, ब्लैडर और प्रोस्टेट के 200 से अधिक जटिल तथा चुनौतीपूर्ण बीमारियों के ऑपरेशन किए है. प्रोस्टेट कैंसर के लिए सर्जरी, जिसे रेडिकल प्रोस्टेटेक्टॉमी कहा जाता है, एक कठिन सर्जरी है. ओपन या लैप्रोस्कोपिक तरीकों से करना मुश्किल होता है. पहले प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित लोगों को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद जाना पड़ता था, लेकिन अब पूरे राजस्थान से लोग अपने इलाज के लिए एम्स जोधपुर आ रहे हैं.

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